बरेली: बरेली जिले की नौ विधानसभाओं में से एक बहेड़ी विधानसभा सीट हैं. बरेली की यह विधानसभा सीट पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा हैं. हिमालयी क्षेत्र का तराई इलाका बहेड़ी अपनी उपजाऊ जमीन के कारण कृषि की अपार सम्भावनाओं से घिरा है, उपजाऊ भूमि होने के कारण कुमॉउ मण्डल यानि कूर्माचल क्षेत्र में गिने जाने वाले बहेड़ी की नगरीय संरचना रामपुर के नवाबी दौर में रखी गयी थी और तब यह तत्कालीन मुस्तफाबाद में शामिल था. दलदल इलाके में मिलने वाली बहेड़ा घास के उत्पादन के चलते इस जगह का नाम बहेड़ी रखा गया.
बरेली के उत्तर पश्चिम दिशा का यह क्षेत्र में यह बंटवारे के समय पंजाब और हरियाणा से पलायन कर आये जाट और सिख आज यहां के सम्पन्न किसानों में गिने जाते हैं. नगरपालिका बहेड़ी क्षेत्र में बासठ फीसदी मुसलमान आबादी है. यहां रिछा क्षेत्र में बने अरबी विश्वविद्यालय अलजामिया तुल कादिरया उर्दू, अरबी और फारसी तालीम का बड़ा इदारा है, जहॉ देश भर से सुन्नी मुसलमान दीनी और दुनियावी तालीम लेते हैं.
यूपी उत्तराखण्ड एक होने के समय बहेड़ी को कुमॉऊ मण्डल का प्रवेश द्वार भी कहा जाता था और तत्कालीन दौर में यह दोनों राज्यों के लिए व्यापार का बड़ा केन्द्र भी रहा लेकिन उत्तराखण्ड अलग होने का दंश बहेड़ी के व्यापारियों को झेलना पड़ा. बहेड़ी विधानसभा क्षेत्र में बहेड़ी नगर पालिका, देवरनिया नगर पंचायत, रिछा नगरपंचायत, शेरगढ नगर पंचायत, और फरीदपुर नगर पंचायत की 385 ग्राम पंचायते शामिल हैं.
विकास और समस्यायें
बहेड़ी विधानसभा क्षेत्र में नगरपालिका क्षेत्र के अलावा ज्यादातर इलाका कस्बाई या ग्रामीण है. जिला मुख्यालय से जोड़ने वाले बरेली बहेड़ी मार्ग की लम्बे समय से चली आ रही थी. विधानसभा 2012 चुनाव जीतने पर सपा सरकार ने इसकी सुध ली और फोरलेन हाईवे बनाकर स्थानीय जनता को बड़ी राहत दी. ग्रामीण क्षेत्रों की जनता बिजली मिलने से खुश है. उच्च शिक्षा के लिए यहां के छात्रों को बरेली जिला मुख्यालय का रूख करना होता है. केसर चीनी मिल से गन्ना उत्पादकों के लिए समय पर गन्ना मूल्य भुगतान होने से किसान खुश हैं.
नगर क्षेत्र में नये पार्क, स्टेडियम आदि की मांग पर भी कभी विधायक साहब ने गौर नहीं किया. कई गांवों ऐसे हैं जहां जीत दर्ज कराने के बाद से विधायक ने वहां की सुध नहीं ली. नगर क्षेत्र की आसपास खोले गये अवैध स्लॉटर हाउस क्षेत्र की जनता के लिए परेशानी का सबब बने हुए थे. 2017 में आई भाजपा सरकार ने अबैध स्लाटर हाउस पर रोक लगा दी. व्यापक जनविरोध के बाद भी क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने इस समस्या की ओर ध्यान नहीं दिया.
यहां 2002 के अंत में विधानसभा के लिए उपचुनाव हुए और वर्तमान विधायक अता उर रहमान ने बसपा के बैनर तले चुनाव लड़ा और समाजवादी पार्टी की मुमताज जहॉ को चुनाव हराकर बहेड़ी विधानसभा क्षेत्र अपनी राजनीतिक पारी का आगाज किया. उपचुनाव के बाद फिर 2007 के चुनाव में भाजपा के छत्रपाल सिंह ने इस सीट को अपनी झोली में डाला. इस दौरान अता उर रहमान ने समाजवादी पार्टी ज्वाइन की और 2012 का आम चुनाव साइकिल के बैनर तले लड़ा. उन्होंने भाजपा के छत्रपाल सिंह को मात्र अठारह मतों से मात दी. इस जीत को क्षेत्रवासी आज भी संदेह की दृष्टि से देखते हैं, बताते हैं कि भाजपा की जिद पर पिछले चुनाव में दो बार रिकाउन्टिंग की गयी लेकिन नतीजा नहीं बदला। भाजपा के छत्रपाल सिंह अपनी हार पचा नहीं सके, उन्होने कोर्ट की शरण ली और आज भी यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है. यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में भाजपा के छत्रपाल गंगवार ने सपा के अताउर रहमान को हराकर बहेड़ी विधानसभा की सीट पर कब्जा कर लिया था. भाजपा सरकार ने अभी हाल में ही बैकवर्ड कार्ड खेलते हुये कुर्मी समाज के बहेड़ी विधायक छत्रपाल गंगवार को राजस्व मंत्री बनाया है.
कुल मतदाता | 3,44,151 |
पुरुष मतदाता | 1,87,067 |
महिला मतदाता | 1,50,782 |
अन्य | 02 |
बहेड़ी विधानसभा-जातिगत आंकड़े
ब्राह्मण | 27 हजार |
वैश्य | 23 हजार |
मुस्लिम | 1लाख 20 हजार |
कायस्थ | 08 हजार |
सिंधी पंजाबी खत्री | 12 हजार |
क्षत्रिय | 38 हजार |
दलित | 30 हजार |
यादव | 22 हजार |
अन्य | 25,882 |
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2012 के चुनाव में कुल मतदाताओं में से 69 फीसदी मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग किया और मात्र 24 फीसदी वोट पाकर समाजवादी पार्टी के अताउर रहमान ने भाजपा के अपने निकटतम प्रतिद्वंदी छत्रपाल सिंह को मात्र 18 वोटों से मात दी थी. जीत का इतना कम अन्तर क्षेत्र में चर्चा का विषय रहा था और भाजपा इस हार को पचा नहीं पायी. भाजपा प्रत्याशी छत्रपाल ने कोर्ट की शरण ली और यह मामला आज भी न्यायालय में विचाराधीन है. 2017 में भाजपा के छत्रपाल गंगवार ने सपा के अताउर रहमान को हारकर जीत अपने नाम की थी. आगामी चुनाव 2022 में बहेड़ी सीट पर हर बार की तरह इस बार भी पार्टियों की नजर मुस्लिम वोटों पर रहेगी.