बरेली : हिन्दू मान्यता के अनुसार अंतिम संस्कार के बाद अस्थियों को गंगा जी में विषर्जन करने पर मृत आत्मा को मोक्ष मिलता है. लेकिन कई मृतक के परिजन अंतिम संस्कार के बाद अपनों की अस्थियां, श्मशान घाट की कोठी में रखवा देते हैं. इसके बाद लोग अपनी सुविधा के अनुसार उन अस्थियों को गंगा में विषर्जित करते हैं. इससे मृत आत्मा को मुक्ति मिल जाती है.
लेकिन आपको बता दें, बरेली सिटी श्मशान भूमि में अस्थियों को रखने के लिये एक कोठरी बनी है. अस्थियों की संख्या इतनी ज्यादा हो गयी है कि इनको रखने की उसमें जगह भी नहीं बची है. इसलिए कोठरी के बाहर 2 और जगहों पर अस्थियों के रखने की जगह बनानी पड़ी है. क्योंकि कुछ लोग ऐसे भी हैं जो सालों बीत जाने के बाद भी अपने परिजनों की अस्थियों नहीं लेने आते हैं.
सिटी श्मशान भूमि के संरक्षण त्रिलोकी नाथ कहते हैं कि श्मशान भूमि में करीब 1000 से ज्यादा कलश रखे हैं. परिजन उन पर नाम लिखकर चले जाते हैं. जो लोग अस्थियों को लेने नहीं आते हैं, संस्था उन लोगों की सूचना उनके घर भिजवाती है. अगर इसके बाद भी कोई नहीं आता है तो इसकी सूचना अखबारों के माध्यम से निकलवाते हैं. इनका कहना था कि कुछ लोग पढ़कर आते भी हैं, इसके बाद संस्था अस्थियों को इकठ्ठा करके गंगा मैया में विषर्जित कर देता है. ऐसे में उन सभी मृत लोगों को मुक्ति मिल जाती है. हर साल सैकड़ों अस्थियों का विषर्जन किया जाता है.
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बरेली के सिटी श्मशान घाट में लगभग एक हजार से ज्यादा अस्थियां आज भी अपनों का इंतजार कर रही हैं. उनका अपना कोई आए और उनको मुक्ति दिलाए. मगर अफसोस कुछ लोग मरने के बाद अपनों को ही भूल जाते हैं. मटकों में लटकती अस्थियों को अपनों का इंतजार है, ताकि जल्द से जल्द उनकी आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति हो सके.