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कच्ची शराब बनाने वाली महिलाएं बना रही बिंदी और मिठाई के डिब्बे - बाराबंकी चैनपुरवा गांव

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के चैनपुरवा गांव में महिलाएं कभी कच्ची शराब बनाती थीं, लेकिन सिर्फ एक सार्थक पहल से आज गांव की यही महिलाएं स्वयं सहायता समूह से जुड़कर अपना भविष्य संवार रही हैं.

पुलिस की सहायता से बदली महिलाओं की किस्मत.
पुलिस की सहायता से बदली महिलाओं की किस्मत.
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Published : Dec 20, 2020, 11:44 AM IST

बाराबंकी: पुलिस कप्तान के ड्रीम प्रोजेक्ट मिशन कायाकल्प के तहत गोद लिए गए चैनपुरवा गांव की महिलाओं को स्वावलंबी बनाया जा रहा है. इसके लिए चैनपुरवा गांव में 5 महिला स्वयं सहायता समूह भी बनाए गए हैं. दरअसल, तराई के इलाके में बसने वाले इस गांव में पहले अवैध शराब बनाने का काम होता था, जिसमें महिलाएं भी शामिल थीं, लेकिन अब इन्हें उस दलदल से निकालकर स्वयं सहायता समूह से जोड़ दिया गया है.

चैनपुरवा गांव की महिलाओं को मिला रोजगार.

डूडा करा रहा विशेष ट्रेनिंग
जिला नगरीय विकास अभिकरण (डूडा) चैनपुरवा गांव के इन स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को मिठाई के डिब्बे और माथे की डेकोरेटिव बिंदी बनाने का प्रशिक्षण दे रहा है. आगे इनको मशरूम की खेती के गुर भी सिखाए जाएंगे, ताकि ये महिलाएं आत्मनिर्भर हो सकें. नगर पालिका में स्थित डूडा हाल में ट्रेनिंग ले रही चैनपुरवा की इन महिलाओं में खासा उत्साह है. इन्हें उम्मीद है कि वे अब न केवल खुद की, बल्कि अपने बच्चों की जिंदगी भी सवार सकेंगी.

इन महिलाओं का कहना है कि अब वे दोबारा उस दलदल में नहीं फंसना चाहती हैं. गांव में पांच स्वयं सहायता समूह बनाए गए हैं. एक समूह में करीब 12-15 महिलाएं जुड़ी हैं. हर समूह को अलग-अलग ट्रेनिंग दी जा रही है.

पांच महिला स्वयं सहायता समूह-

  • उत्थान समूह- दुपट्टा में नॉटिंग करना.
  • सद्भावना समूह- मशरूम की खेती.
  • आदर्श समूह- मिठाई के डिब्बे बनाना.
  • निषाद राज समूह- माथे की बिंदी बनाना.
  • उजाला समूह- पूजा की बाती बनाना.

बाराबंकी: पुलिस कप्तान के ड्रीम प्रोजेक्ट मिशन कायाकल्प के तहत गोद लिए गए चैनपुरवा गांव की महिलाओं को स्वावलंबी बनाया जा रहा है. इसके लिए चैनपुरवा गांव में 5 महिला स्वयं सहायता समूह भी बनाए गए हैं. दरअसल, तराई के इलाके में बसने वाले इस गांव में पहले अवैध शराब बनाने का काम होता था, जिसमें महिलाएं भी शामिल थीं, लेकिन अब इन्हें उस दलदल से निकालकर स्वयं सहायता समूह से जोड़ दिया गया है.

चैनपुरवा गांव की महिलाओं को मिला रोजगार.

डूडा करा रहा विशेष ट्रेनिंग
जिला नगरीय विकास अभिकरण (डूडा) चैनपुरवा गांव के इन स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को मिठाई के डिब्बे और माथे की डेकोरेटिव बिंदी बनाने का प्रशिक्षण दे रहा है. आगे इनको मशरूम की खेती के गुर भी सिखाए जाएंगे, ताकि ये महिलाएं आत्मनिर्भर हो सकें. नगर पालिका में स्थित डूडा हाल में ट्रेनिंग ले रही चैनपुरवा की इन महिलाओं में खासा उत्साह है. इन्हें उम्मीद है कि वे अब न केवल खुद की, बल्कि अपने बच्चों की जिंदगी भी सवार सकेंगी.

इन महिलाओं का कहना है कि अब वे दोबारा उस दलदल में नहीं फंसना चाहती हैं. गांव में पांच स्वयं सहायता समूह बनाए गए हैं. एक समूह में करीब 12-15 महिलाएं जुड़ी हैं. हर समूह को अलग-अलग ट्रेनिंग दी जा रही है.

पांच महिला स्वयं सहायता समूह-

  • उत्थान समूह- दुपट्टा में नॉटिंग करना.
  • सद्भावना समूह- मशरूम की खेती.
  • आदर्श समूह- मिठाई के डिब्बे बनाना.
  • निषाद राज समूह- माथे की बिंदी बनाना.
  • उजाला समूह- पूजा की बाती बनाना.
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