बाराबंकी: हर वर्ष घाघरा में आने वाली बाढ़ से बाराबंकी जिले के सिरौलीगौसपुर, रामनगर और फतेहपुर तहसीलों के सैकड़ों गांव तबाह हो जाते हैं. नेपाल से पानी छोड़ें जाने के बाद घाघरा उफान मारने लगती है. घाघरा में जलस्तर बढ़ने से तटवर्ती गांव इसकी चपेट में आ जाते हैं. यहाँ रहने वाले ग्रामीणों की फसलें डूब जाती हैं और घर बर्बाद हो जाते हैं.
नदी के कटान से परेशान ग्रामीण कर रहे पलायन-
- घाघरा नदी का जलस्तर बढ़ने से कई गांवों के लिए खतरा पैदा हो गया है.
- जलस्तर बढ़ने से नदी का कटान बढ़ गया है और इससे ग्रामीणों के घरों के लिए खतरा पैदा हो गया है.
- ग्रामीणों ने घर छोड़कर गांव से दूर, बंधे पर जाकर शरण ले रहे हैं.
- घाघरा का जलस्तर बढ़ने से नदी गांव की तरफ तेजी से बढ़ रही है.
नदी में समा रहे ग्रामीणों के खेत-
- घाघरा के कटान से ग्रामीणों के खेत नदी में समाते जा रहे हैं और इससे गांव वाले दहशत में हैं.
- पिछले वर्ष प्रशासन ने नदी को कटान से रोकने के लिए ड्रेजिंग कराई थी, लेकिन घाघरा ने रुख बदल दिया.
- कटाव से सिरौलीगौसपुर तहसील के माझा रायपुर, बेहटा, परसावल, नैपुरा और पारा गांव नदी के दूसरे छोर पर चले गए हैं.
- गांव के किनारे बसे गांव टेपरा, पासिनपुरवा और तेलियारी गांवों का घाघरा ने कटान शुरू कर दिया है.
पिछले कई वर्षों से जारी इस समस्या से निपटने के लिए पिछले वर्ष प्रशासन ने नदी को कटान से रोकने के लिए ड्रेजिंग कराई थी लेकिन ड्रेजिंग होने के बाद घाघरा ने रुख बदल दिया.
-अखिलेश सिंह, तहसीलदार सिरौलीगौसपुरनदी का पानी बढ़ने से यहां बहुत समस्या है हमें अगर सरकार की तरफ से रहने के लिए कुछ मिल जाए तो बहुत मेहरबानी होगी.
-पीड़ित ग्रामीण