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बाराबंकी: घाघरा में जलस्तर बढ़ने से पलायन को मजबूर ग्रामीण

घाघरा नदी का पानी खतरे के निशान से ऊपर पहुंचा. नदी जलस्तर बढ़ने से कई गांवों के लिए खतरा पैदा हो गया है. नदी के कटान से ग्रामीणों के घर जलमग्न हो रहे है. इस समस्या से ग्रामीण दहशत में हैं और सुरक्षित स्थान के लिए पलायन कर रहे हैं.

घाघरा नदी का जलस्तर बढ़ने से नदी का कटान जारी.
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Published : Jul 17, 2019, 9:56 AM IST

बाराबंकी: हर वर्ष घाघरा में आने वाली बाढ़ से बाराबंकी जिले के सिरौलीगौसपुर, रामनगर और फतेहपुर तहसीलों के सैकड़ों गांव तबाह हो जाते हैं. नेपाल से पानी छोड़ें जाने के बाद घाघरा उफान मारने लगती है. घाघरा में जलस्तर बढ़ने से तटवर्ती गांव इसकी चपेट में आ जाते हैं. यहाँ रहने वाले ग्रामीणों की फसलें डूब जाती हैं और घर बर्बाद हो जाते हैं.

घाघरा नदी का जलस्तर बढ़ने से नदी का कटान जारी.

नदी के कटान से परेशान ग्रामीण कर रहे पलायन-

  • घाघरा नदी का जलस्तर बढ़ने से कई गांवों के लिए खतरा पैदा हो गया है.
  • जलस्तर बढ़ने से नदी का कटान बढ़ गया है और इससे ग्रामीणों के घरों के लिए खतरा पैदा हो गया है.
  • ग्रामीणों ने घर छोड़कर गांव से दूर, बंधे पर जाकर शरण ले रहे हैं.
  • घाघरा का जलस्तर बढ़ने से नदी गांव की तरफ तेजी से बढ़ रही है.

नदी में समा रहे ग्रामीणों के खेत-

  • घाघरा के कटान से ग्रामीणों के खेत नदी में समाते जा रहे हैं और इससे गांव वाले दहशत में हैं.
  • पिछले वर्ष प्रशासन ने नदी को कटान से रोकने के लिए ड्रेजिंग कराई थी, लेकिन घाघरा ने रुख बदल दिया.
  • कटाव से सिरौलीगौसपुर तहसील के माझा रायपुर, बेहटा, परसावल, नैपुरा और पारा गांव नदी के दूसरे छोर पर चले गए हैं.
  • गांव के किनारे बसे गांव टेपरा, पासिनपुरवा और तेलियारी गांवों का घाघरा ने कटान शुरू कर दिया है.

पिछले कई वर्षों से जारी इस समस्या से निपटने के लिए पिछले वर्ष प्रशासन ने नदी को कटान से रोकने के लिए ड्रेजिंग कराई थी लेकिन ड्रेजिंग होने के बाद घाघरा ने रुख बदल दिया.
-अखिलेश सिंह, तहसीलदार सिरौलीगौसपुर

नदी का पानी बढ़ने से यहां बहुत समस्या है हमें अगर सरकार की तरफ से रहने के लिए कुछ मिल जाए तो बहुत मेहरबानी होगी.
-पीड़ित ग्रामीण

बाराबंकी: हर वर्ष घाघरा में आने वाली बाढ़ से बाराबंकी जिले के सिरौलीगौसपुर, रामनगर और फतेहपुर तहसीलों के सैकड़ों गांव तबाह हो जाते हैं. नेपाल से पानी छोड़ें जाने के बाद घाघरा उफान मारने लगती है. घाघरा में जलस्तर बढ़ने से तटवर्ती गांव इसकी चपेट में आ जाते हैं. यहाँ रहने वाले ग्रामीणों की फसलें डूब जाती हैं और घर बर्बाद हो जाते हैं.

घाघरा नदी का जलस्तर बढ़ने से नदी का कटान जारी.

नदी के कटान से परेशान ग्रामीण कर रहे पलायन-

  • घाघरा नदी का जलस्तर बढ़ने से कई गांवों के लिए खतरा पैदा हो गया है.
  • जलस्तर बढ़ने से नदी का कटान बढ़ गया है और इससे ग्रामीणों के घरों के लिए खतरा पैदा हो गया है.
  • ग्रामीणों ने घर छोड़कर गांव से दूर, बंधे पर जाकर शरण ले रहे हैं.
  • घाघरा का जलस्तर बढ़ने से नदी गांव की तरफ तेजी से बढ़ रही है.

नदी में समा रहे ग्रामीणों के खेत-

  • घाघरा के कटान से ग्रामीणों के खेत नदी में समाते जा रहे हैं और इससे गांव वाले दहशत में हैं.
  • पिछले वर्ष प्रशासन ने नदी को कटान से रोकने के लिए ड्रेजिंग कराई थी, लेकिन घाघरा ने रुख बदल दिया.
  • कटाव से सिरौलीगौसपुर तहसील के माझा रायपुर, बेहटा, परसावल, नैपुरा और पारा गांव नदी के दूसरे छोर पर चले गए हैं.
  • गांव के किनारे बसे गांव टेपरा, पासिनपुरवा और तेलियारी गांवों का घाघरा ने कटान शुरू कर दिया है.

पिछले कई वर्षों से जारी इस समस्या से निपटने के लिए पिछले वर्ष प्रशासन ने नदी को कटान से रोकने के लिए ड्रेजिंग कराई थी लेकिन ड्रेजिंग होने के बाद घाघरा ने रुख बदल दिया.
-अखिलेश सिंह, तहसीलदार सिरौलीगौसपुर

नदी का पानी बढ़ने से यहां बहुत समस्या है हमें अगर सरकार की तरफ से रहने के लिए कुछ मिल जाए तो बहुत मेहरबानी होगी.
-पीड़ित ग्रामीण

Intro:बाराबंकी ,16 जुलाई । हर वर्ष तटवर्ती इलाकों के गांवों को तबाह कर देने वाली घाघरा नदी का पानी भले ही अभी खतरे के निशान से ऊपर ना पहुंचा हो लेकिन उसकी कटान से कई गांवों के लिए खतरा पैदा हो गया है । ग्रामीण दहशत में हैं और सुरक्षित स्थान के लिए पलायन कर रहे हैं ।


Body:वीओ - हर वर्ष घाघरा में आने वाली बाढ़ से बाराबंकी जिले के सिरौलीगौसपुर ,रामनगर और फतेहपुर तहसीलों के सैकड़ों गांव तबाह हो जाते हैं । नेपाल से पानी छोड़ें जाने के बाद घाघरा उफान मारने लगती है और तटवर्ती गांवों को अपने आगोश में ले लेती है । यहाँ रहने वाले ग्रामीणों की फसलें डूब जाती हैं । घर बर्बाद हो जाते हैं । ग्रामीण अपना सब कुछ छोड़कर बंधे पर जाकर शरण लेते हैं । बाढ़ खत्म होते ही ये लोग फिर लौटते हैं और फिर तिनका तिनका जोड़कर अपनी घर गृहस्ती बनाते है । पिछले कई वर्षों से ये सिलसिला जारी है लेकिन इस बार इनके लिए एक नई मुसीबत खड़ी हो गई है । इस बार अभी घाघरा खतरे के निशान से नीचे है बाढ़ नही आई है लेकिन कटान से इनके घरों के लिए खतरा पैदा हो गया है । गांव की तरफ घाघरा बढ़ रही है ।
बाईट - अखिलेश सिंह , तहसीलदार सिरौलीगौसपुर

वीओ - पिछले वर्ष प्रशासन ने नदी को कटान से रोकने के लिए ड्रेजिंग कराई थी लेकिन ड्रेजिंग होने के बाद घाघरा ने रुख बदल दिया । सिरौलीगौसपुर तहसील के माझा रायपुर, बेहटा, परसावल,नैपुरा, और पारा गांव नदी के दूसरे छोर पर चले गए जबकि टेपरा ,पासिनपुरवा और तेलियारी गांव के किनारे घाघरा ने काटने शुरू कर दिए । ग्रामीणों के खेत नदी में समा गए हैं । कटान बढ़ने से गांव वाले दहशत में हैं । गांव वाले किसी सुरक्षित स्थान पर पनाह लेने के लिए पलायन कर रहे हैं ।
बाईट - पीड़ित ग्रामीण


Conclusion:अभी तक बाढ़ का दंश झेल रहे ग्रामीणों के लिए नदी का कटान एक नई मुसीबत लेकर आया है । ग्रामीण दहशत में हैं । उन्हें कुछ सुझाई नही दे रहा कि करें तो क्या करें ।
रिपोर्ट - अलीम शेख बाराबंकी
9454661740
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