बाराबंकी : यूपी के बाराबंकी में मस्जिद काे तोड़ने का मामला तूल पकड़ने लगा है. जिला प्रशासन ने इसे विवादित भवन बताते हुए सोमवार शाम को ध्वस्त करा दिया था. गुरुवार को कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू कई वरिष्ठ कांग्रेसियों के साथ मौके पर रवाना हो रहे थे. इसी दौरान उन्हें बाराबंकी प्रशासन ने रोक लिया.
कांग्रेसी नेता मौके पर जाकर हालात जानने की जिद करते रहे लेकिन भारी पुलिस बल और प्रशासन के आगे उनकी एक न चली. इस दौरान एसडीएम और प्रदेश अध्यक्ष के बीच नोकझोंक भी हुई. काफी देर तक चली बहस के बाद आखिरकार प्रशासन ने कांग्रेस नेताओं को वापस कर दिया.
बताते चलें कि तहसील राम सनेही घाट परिसर स्थित एक मस्जिद को जिला प्रशासन ने अवैध बताते हुए सोमवार को ध्वस्त करा दिया. कांग्रेस पार्टी ने इसे प्रशासन की मनमानी करार दिया है. गुरुवार को प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू , पीएल पूनिया और नसीमुद्दीन सिद्दीकी समेत कई वरिष्ठ नेता रामसनेहीघाट मौका देखने जा रहे थे. जिला प्रशासन को जैसे ही इसकी भनक लगी, एसडीएम नवाबगंज अभय पांडे, सीओ सिटी, सीओ सदर और नगर कोतवाल समेत भारी पुलिस बल सतर्क हो गया.
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आनन-फानन भारी पुलिस बल के साथ पुलिस अफसर लखनऊ-अयोध्या हाइवे पहुंच गए. चौपुला तिराहे पर इन नेताओं को रोक लिया. नेता हर हाल में मौका मुआयना करने की बात कह रहे थे लेकिन प्रशासन उन्हें जाने से रोक रहा था. नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों में लंबी जद्दोजहद हुई. आखिरकार पुलिस ने नेताओं को हिरासत में ले लिया और उन्हें वापस कर दिया.
ध्वस्तीकरण कार्यवाही पर उठे सवाल
दरअसल, करीब दो महीने पहले यह विवाद सामने आया था. दो महीने पहले एसडीएम राम सनेही घाट ने यहां के भवन का वेरिफिकेशन शुरू किया था. उस वक्त कुछ लोग इस भवन में रह रहे थे. उनको नोटिस दी गई तो वे लोग फरार हो गए. उसके बाद एसडीएम ने इस भवन जिसे स्थानीय लोग मस्जिद बता रहे थे, को प्रशासन ने अवैध बताते हुए उसकी बेरीकेडिंग करा दी. सोमवार शाम को भारी पुलिस बल की मौजूदगी में प्रशासन ने जेसीबी से उसे जमींदोज करा दिया. प्रशासन ने इस कार्यवाही को न्यायिक प्रक्रिया के तहत होना बताया.
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने लगाए गंभीर आरोप
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने प्रशासन द्वारा मस्जिद ध्वस्तीकरण की कार्यवाही को गलत बताया. कहा कि जब हाईकोर्ट ने कोरोना को देखते हुए 31 मई तक डिमोलेशन कार्यवाही पर रोक लगा रखी है तो जिला प्रशासन को क्या जल्दी थी.