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बाराबंकी: सूखे भूसे और धूप की मार से दम तोड़ रहे गोवंश

जिले में आवारा गोवंशों के लिए बने आश्रय स्थलों में भी प्रशासन उन्हें सुरक्षित नहीं रख पा रहा है. दरअसल कई केन्द्रों पर पर्याप्त व्यवस्थाओं के अभाव में गोवंशों की मौत का मामला सामने आया है.

अब तक 50 गोवंशों की हो चुकी है मौत
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Published : May 13, 2019, 10:45 AM IST

बाराबंकी : बेसहारा और छुट्टा गोवंशों के लिए बनवाए गए आश्रय स्थल अब इनके लिए मौत का घर साबित हो रहे हैं. केवल बाराबंकी जिले में बीते तीन महीनों में लगभग 50 बेजुबानों ने दम तोड़ दिया है. यह हाल केवल एक केंद्र का है बल्कि सभी दूसरे केंद्रों पर भी ऐसे ही हालात हैं.

अब तक 50 गोवंशों की हो चुकी है मौत

क्यों दम तोड़ रहे हैं गोवंश

  • नगर सीमा स्थित जिन्हौली गांव का मामला.
  • तीन माह में 211 गोवंशों को पकड़कर यहां बंद किया गया है.
  • आनन-फानन में प्रशासन ने आश्रय बनवा दिया, लेकिन पर्याप्त व्यवस्था नहीं कराई.
  • महज सूखा भूसा खाकर जीने को मजबूर हैं.
  • तेज धूप में धधकती टिन के नीचे एक पल बिताना भी मुहाल है.
  • 211 में से अब केवल 160 गोवंश ही बचे हैं.

न तो हरा चारा है, न धूप से बचने के उपाय. कैसे जियेंगे, एक-एक करके दम तोड़ते जा रहे हैं. प्रशासन से कहते तो हैं, लेकिन कोई सुनता ही नहीं है.
- सोहनलाल, आश्रय स्थल कर्मचारी

बाराबंकी : बेसहारा और छुट्टा गोवंशों के लिए बनवाए गए आश्रय स्थल अब इनके लिए मौत का घर साबित हो रहे हैं. केवल बाराबंकी जिले में बीते तीन महीनों में लगभग 50 बेजुबानों ने दम तोड़ दिया है. यह हाल केवल एक केंद्र का है बल्कि सभी दूसरे केंद्रों पर भी ऐसे ही हालात हैं.

अब तक 50 गोवंशों की हो चुकी है मौत

क्यों दम तोड़ रहे हैं गोवंश

  • नगर सीमा स्थित जिन्हौली गांव का मामला.
  • तीन माह में 211 गोवंशों को पकड़कर यहां बंद किया गया है.
  • आनन-फानन में प्रशासन ने आश्रय बनवा दिया, लेकिन पर्याप्त व्यवस्था नहीं कराई.
  • महज सूखा भूसा खाकर जीने को मजबूर हैं.
  • तेज धूप में धधकती टिन के नीचे एक पल बिताना भी मुहाल है.
  • 211 में से अब केवल 160 गोवंश ही बचे हैं.

न तो हरा चारा है, न धूप से बचने के उपाय. कैसे जियेंगे, एक-एक करके दम तोड़ते जा रहे हैं. प्रशासन से कहते तो हैं, लेकिन कोई सुनता ही नहीं है.
- सोहनलाल, आश्रय स्थल कर्मचारी

Intro:बाराबंकी,09 मई । बेसहारा और छुट्टा जानवरों के लिए बनवाये गए आश्रय स्थल अब इनके लिए मौत के घर साबित होने लगे हैं । कम से कम बाराबंकी के तो यही हाल है जहाँ तीन महीनों में तकरीबन 50 बेजुबानों ने दम तोड़ दिया । ये हाल केवल एक केंद्र का है । कमोबेश कुछ ऐसा ही हाल दूसरे केंद्रों का भी है । महज सूखे भूसे के सहारे ये जियें तो कब तक और अब तेज धूप से इन पर दोहरी मार पड़ रही है ।लिहाजा एक एक कर ये रोजाना दम तोड़ते जा रहे है । धधकती टीन के नीचे एक पल भी बिताना मुहाल है । पेश है बाराबंकी से इन बेजुबानों की दर्द भरी अलीम शेख की ये एक्सक्लुसिव रिपोर्ट....




Body:
वीओ- ये है नगर सीमा के जिन्हौली गांव में बना पशु आश्रय स्थल । पिछली 10 फरवरी से इसकी शुरुआत हुई । शहर और नगरपालिका सीमा के 211 गौवंशों को पकड़कर यहां बन्द किया गया था। शासन के निर्देश पर आनन फानन ये आश्रयस्थल जरूर बन गया लेकिन पर्याप्त व्यवस्था नही की गई । बस कागजी कोरम पूरा करते हुए इन्हें यहां लाकर जैसे ठूंस दिया गया हो । महज सूखे भूसे के सहारे ये बेजुबान आखिर जियें भी तो कब तक । लिहाजा एक एक कर ये मरने लगे और हालत ये हो गई कि आज तक करीब 50 बेजुबानों की मौत हो चुकी है । कागजो में 211 बेसहारा लाये गए थे और आज 160 बचे हैं । सूखा भूसा और वो भी चिलचिलाती धूप में खड़े होकर आखिर ये खाएं तो कैसे । इनकी हालत देखिये खाने के अभाव में शरीर टूट रहा है । हड्डियां नज़र आने लगी हैं । ऐसा भी नही की जिम्मेदारों को इसकी खबर नही दी गई । शुरू दिन से यहां ड्यूटी कर रहे सोहनलाल बताते है कि कई बार कहा गया लेकिन कोई सुनवाई नही हुई ।
बाईट- सोहनलाल ,तैनात कर्मचारी
बाईट- ननकऊ , कर्मचारी
पीटीसी - अलीम शेख






Conclusion:रिपोर्ट- अलीम शेख बाराबंकी
9839421515
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