बाराबंकी: जनपद में आग से बुरी तरह झुलसे जिंदगी और मौत से लड़ रहे कानूनगो का मुंशी आखिरकार अपनी जिंदगी से हार गया है. बुधवार सुबह करीब 90 घण्टों बाद लखनऊ स्थित सिविल हॉस्पिटल में इलाज के दौरान सुरजीत सिंह उर्फ डींगा सिंह की मौत हो गई. मौत के बाद मुंशी के परिवार में कोहराम मच गया. मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए एहतियातन पुलिस महकमा सतर्क है.
शनिवार यानी 21 जनवरी को हैदरगढ़ तहसील में तहसील दिवस के दौरान सभागार के बाहर एक कानूनगो वीरेंद्र सिंह के निजी मुंशी सुरजीत सिंह उर्फ डींगा सिंह ने किसी ज्वलनशील पदार्थ को अपने ऊपर डालकर आग लगा ली थी. उनकी पत्नी ने आरोप लगाया था कि तहसीलदार की प्रताड़ना के चलते उसने यह कदम उठाया. झुलसे सुरजीत का लखनऊ के अस्पताल में इलाज चल रहा था. दरअसल सुरजीत ने हैदरगढ़ ब्लॉक के प्रमुख प्रतिनिधि को फोन कर एक बैनामा की बाबत पूछा था. जिससे नाराज होकर ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि ने तहसीलदार से शिकायत कर दी थी. आरोप है कि तहसीलदार ने उसको डांटते हुए कहा था कि तहसील में दिखाई दिए तो उस पर मुकदमा लिखा देंगे. शनिवार 21 जनवरी को जब वो तहसील में आया तो तहसीलदार ने उसे फिर धमकी दी, जिससे परेशान होकर उसने खुद को आग लगा ली थी. ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि ने मुंशी सुरजीत पर पैसे मांगने और अभद्रता करने का आरोप लगाकर तहसीलदार से शिकायत की थी.
फिलहाल इस मामले में प्रशासन द्वारा जांच की जा रही है. इसी मामले में मंगलवार को कानूनगो वीरेंद्र सिंह को निलंबित कर दिया गया. एडीएम प्रशासन राकेश सिंह ने बताया कि किसी भी कानूनगो को निजी मुंशी रखने का कोई नियम नहीं है, बावजूद इसके कानूनगो ने निजी मुंशी सुरजीत को रखा हुआ था. उसके द्वारा सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली का उल्लंघन किया गया है. लिहाजा कानूनगो वीरेंद्र सिंह को निलंबित किया गया है.
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