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लॉकडाउन का असर: ट्रकों और लॉरी में भर-भरकर घर लौटने को मजबूर दिखे मजदूर

लॉकडाउन का असर तो करीबन हर तबके पर पड़ा है, लेकिन इसका सबसे ज्यादा असर प्रवासी मजदूरों पर देखा जा रहा है. दरअसल ये मजदूर काम-धंधा बंद हो जाने के बाद जान जोखिम में डालकर अपने घरों को वापसी के लिए मजबूर हैं.

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Published : May 15, 2020, 8:04 PM IST

migrant worker returning home
migrant worker returning home

बाराबंकी: लॉकडाउन में दूसरे प्रदेशों में फंसे मजदूरों का घर वापसी करने का सिलसिला जारी है. ट्रकों और लारियों में मजदूर भर-भरकर अपने घरों को लौटने को मजबूर हैं. ऐसे में यह मजदूर न मास्क लगाए नजर आएं और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते. हैरानी की बात तब देखने को मिली जब सीमा पार करते समय भी इन पर कोई ध्यान नहीं देता दिखा.

दर्द बयां करते मजदूर.

ताजा मामला बाराबंकी-लखनऊ सीमा का है, जहां से गैर प्रांतों के मजदूर निकल रहे हैं. ऐसे में कोई ट्रकों पर तो कोई डीसीएम पर सवार होकर अपने-अपने घर वापसी कर रहा है. घर पहुंचने की ऐसी जल्दी कि इन्हें किसी भी खतरे का भी कोई आभास नहीं है. वहीं हद तो तब हो गई जब सीमा पर भी इन्हें कोई रोकने और टोकने वाला नहीं दिखा.

ईटीवी भारत की टीम ने जब इनसे बात की तो इनका दर्द छलक पड़ा. मजदूरों का कहना है कि उनके पास खाने को कुछ नहीं बचा है, काम बंद है. रेलवे से जाने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया लेकिन कुछ नहीं हुआ. काफी इंतजार करने के बाद इन्होंने घर से पैसा मंगाया और अब किसी तरह से अपने घर पहुंचना चाहते हैं.

बता दें बाराबंकी के रास्ते मजदूर गोरखपुर, बिहार, बहराइच और बनारस जा रहे हैं. सीमा पर पुलिस का टेंट तो लगा है, लेकिन कोई भी किसी गाड़ी की बाबत पूछने की जहमत नहीं उठाना चाहता है.

इसे भी पढ़ें-पीलीभीत: पूर्व राज्यमंत्री का पीएम मोदी पर निशाना, कहा- 20 लाख करोड़ की आर्थिक मदद महज छलावा

बाराबंकी: लॉकडाउन में दूसरे प्रदेशों में फंसे मजदूरों का घर वापसी करने का सिलसिला जारी है. ट्रकों और लारियों में मजदूर भर-भरकर अपने घरों को लौटने को मजबूर हैं. ऐसे में यह मजदूर न मास्क लगाए नजर आएं और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते. हैरानी की बात तब देखने को मिली जब सीमा पार करते समय भी इन पर कोई ध्यान नहीं देता दिखा.

दर्द बयां करते मजदूर.

ताजा मामला बाराबंकी-लखनऊ सीमा का है, जहां से गैर प्रांतों के मजदूर निकल रहे हैं. ऐसे में कोई ट्रकों पर तो कोई डीसीएम पर सवार होकर अपने-अपने घर वापसी कर रहा है. घर पहुंचने की ऐसी जल्दी कि इन्हें किसी भी खतरे का भी कोई आभास नहीं है. वहीं हद तो तब हो गई जब सीमा पर भी इन्हें कोई रोकने और टोकने वाला नहीं दिखा.

ईटीवी भारत की टीम ने जब इनसे बात की तो इनका दर्द छलक पड़ा. मजदूरों का कहना है कि उनके पास खाने को कुछ नहीं बचा है, काम बंद है. रेलवे से जाने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया लेकिन कुछ नहीं हुआ. काफी इंतजार करने के बाद इन्होंने घर से पैसा मंगाया और अब किसी तरह से अपने घर पहुंचना चाहते हैं.

बता दें बाराबंकी के रास्ते मजदूर गोरखपुर, बिहार, बहराइच और बनारस जा रहे हैं. सीमा पर पुलिस का टेंट तो लगा है, लेकिन कोई भी किसी गाड़ी की बाबत पूछने की जहमत नहीं उठाना चाहता है.

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