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बाराबंकी: लॉकडाउन के कारण उद्योग-धंधों को हुआ भारी नुकसान

उत्तर प्रदेश का बाराबंकी जिला उद्योग धंधों के मामले में काफी रईस माना जाता है. वहीं लॉकडाउन की वजह से उद्योग-धंधों को भारी नुकसान हुआ है, जिससे कि अधिकारियों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ दिख रही हैं.

लॉकडाउन के कारण फैक्ट्रियों को हुई भारी नुकसान
लॉकडाउन के कारण फैक्ट्रियों को हुई भारी नुकसान
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Published : May 5, 2020, 6:08 PM IST

बाराबंकी: कोरोना वायरस के कारण पूरे देश में लागू किए गए लॉकडाउन की वजह से अर्थव्यवस्था को गहरा आघात पहुंचा है. उद्योग धंधों के मामले में बाराबंकी काफी बेहतर माना जाता है. तकरीबन 17 हजार उद्योग धंधे यहां संचालित होते हैं. लॉकडाउन की वजह से लगभग 100 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ है.

बाराबंकी जिले में करीब 17 हजार छोटे-बड़े उद्योग धंधे संचालित होते हैं. सोमैया नगर और कुर्सी इंडस्ट्रियल एरिया की खास तौर पर जाना जाता है. यहां हजारों इंडस्ट्रीज संचालित होती हैं. इन फैक्ट्रियों से सरकार को हर वर्ष अच्छा खासा राजस्व मिलता है.

लॉकडाउन के बाद से इन फैक्ट्रियों में ताले लग गए हैं. फैक्ट्री के मालिकों का कहना है कि फैक्ट्री में काम करने वाले कर्मचारियों को बिना काम के करीब 14 करोड़ रुपये वेतन देना पड़ा. ट्रांसपोर्टेशन बंद होने के कारण पहले की बनी वस्तुएं भी बाजार में नहीं लायी जा सकीं.

एक लंबे लॉकडाउन के बाद अब एक बार फिर से इन इंडस्ट्रीज को चलाने की कवायद की जा रही है. वहीं वस्तुओं की डिमांड न होने से अधिकारी चिंतित हैं. अधिकारियों का मानना है कि करीब 100 करोड़ की अर्थव्यवस्था का नुकसान हुआ है, जिसको पटरी पर लाने के लिए एक लंबा वक्त लगेगा.

बाराबंकी: कोरोना वायरस के कारण पूरे देश में लागू किए गए लॉकडाउन की वजह से अर्थव्यवस्था को गहरा आघात पहुंचा है. उद्योग धंधों के मामले में बाराबंकी काफी बेहतर माना जाता है. तकरीबन 17 हजार उद्योग धंधे यहां संचालित होते हैं. लॉकडाउन की वजह से लगभग 100 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ है.

बाराबंकी जिले में करीब 17 हजार छोटे-बड़े उद्योग धंधे संचालित होते हैं. सोमैया नगर और कुर्सी इंडस्ट्रियल एरिया की खास तौर पर जाना जाता है. यहां हजारों इंडस्ट्रीज संचालित होती हैं. इन फैक्ट्रियों से सरकार को हर वर्ष अच्छा खासा राजस्व मिलता है.

लॉकडाउन के बाद से इन फैक्ट्रियों में ताले लग गए हैं. फैक्ट्री के मालिकों का कहना है कि फैक्ट्री में काम करने वाले कर्मचारियों को बिना काम के करीब 14 करोड़ रुपये वेतन देना पड़ा. ट्रांसपोर्टेशन बंद होने के कारण पहले की बनी वस्तुएं भी बाजार में नहीं लायी जा सकीं.

एक लंबे लॉकडाउन के बाद अब एक बार फिर से इन इंडस्ट्रीज को चलाने की कवायद की जा रही है. वहीं वस्तुओं की डिमांड न होने से अधिकारी चिंतित हैं. अधिकारियों का मानना है कि करीब 100 करोड़ की अर्थव्यवस्था का नुकसान हुआ है, जिसको पटरी पर लाने के लिए एक लंबा वक्त लगेगा.

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