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बाराबंकी: नकदी फसलों को इस तरह उगा रमजान महीने में मोटा पैसा कमा रहे किसान - बाराबंकी में विदेशी किस्म के बीजों से खेती

बाराबंकी में किसान विदेशी बीज और उच्च तकनीक से तरबूज और खरबूजे की खेती कर रहे हैं. रमजान की वजह से बढ़ी मांग से किसानों की कमाई बढ़ गई है. इस किस्म में मिठास भी ज्यादा है. पद्मश्री से सम्मानित किसान रामसरन वर्मा इसे किसानों के लिए बहुत ही फायदेमंद बताते हैं.

रमजान की वजह से बढ़ी मांग से किसानों की कमाई बढ़ गई है.
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Published : May 13, 2019, 4:05 PM IST

बाराबंकी: रमजान माह में जिले में तरबूज और खरबूजे की मांग बढ़ गई है. इससे यह फसल किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है. जिले के किसान विदेशी किस्म के बीजों से फसल का उत्पादन कर रहे हैं. इस किस्म की फसल में मिठास भी ज्यादा होती है. पद्मश्री से सम्मानित किसान रामसरन वर्मा इसे किसानों के लिए बहुत ही फायदेमंद बताते हैं.

रमजान की वजह से बढ़ी मांग से किसानों की कमाई बढ़ गई है.

इस तरह किसानों को होता है मोटा फायदा

  • यह लगभग 75 दिनों में तैयार हो जाती है.
  • एक एकड़ में करीब 200 कुंतल तरबूज से किसानों को लगभग दो लाख की आय हो जाती है.
  • रमजान के पवित्र महीने में तरबूज और खरबूज की मांग ज्यादा होती है.
  • तरबूज की विशेष वैरायटी में मिठास भी ज्यादा होती है.
  • सरस्वती नाम की इस वैरायटी को ताइवानी बीज से उगाया जाता है.
  • इसका वजन देसी तरबूज से कम होता है.

केला, टमाटर की फसल के बाद अब तरबूज और खरबूज की फसल से किसानों को ज्यादा फायदा हो रहा है. महज 75 दिनों में ही एक एकड़ में लगभग 200 कुंतल तरबूज की पैदावार होती है. इससे दो लाख रूपये तक की आय हो जाती है. इस फसल को उगाने में कुल लागत लगभग साठ हजार होती है.

-रामसरन वर्मा, पद्मश्री से सम्मानित किसान


तरबूज और खरबूज की फसल से हमें काफी मुनाफा हो रहा है. यह सरस्वती नाम की वैरायटी है, जो ताइवान के बीज से उगाई जा रही है. यह देसी तरबूज से वजन में कम होती है पर इसमें मिठास ज्यादा होती है.

-उमाशंकर वर्मा , किसान

बाराबंकी: रमजान माह में जिले में तरबूज और खरबूजे की मांग बढ़ गई है. इससे यह फसल किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है. जिले के किसान विदेशी किस्म के बीजों से फसल का उत्पादन कर रहे हैं. इस किस्म की फसल में मिठास भी ज्यादा होती है. पद्मश्री से सम्मानित किसान रामसरन वर्मा इसे किसानों के लिए बहुत ही फायदेमंद बताते हैं.

रमजान की वजह से बढ़ी मांग से किसानों की कमाई बढ़ गई है.

इस तरह किसानों को होता है मोटा फायदा

  • यह लगभग 75 दिनों में तैयार हो जाती है.
  • एक एकड़ में करीब 200 कुंतल तरबूज से किसानों को लगभग दो लाख की आय हो जाती है.
  • रमजान के पवित्र महीने में तरबूज और खरबूज की मांग ज्यादा होती है.
  • तरबूज की विशेष वैरायटी में मिठास भी ज्यादा होती है.
  • सरस्वती नाम की इस वैरायटी को ताइवानी बीज से उगाया जाता है.
  • इसका वजन देसी तरबूज से कम होता है.

केला, टमाटर की फसल के बाद अब तरबूज और खरबूज की फसल से किसानों को ज्यादा फायदा हो रहा है. महज 75 दिनों में ही एक एकड़ में लगभग 200 कुंतल तरबूज की पैदावार होती है. इससे दो लाख रूपये तक की आय हो जाती है. इस फसल को उगाने में कुल लागत लगभग साठ हजार होती है.

-रामसरन वर्मा, पद्मश्री से सम्मानित किसान


तरबूज और खरबूज की फसल से हमें काफी मुनाफा हो रहा है. यह सरस्वती नाम की वैरायटी है, जो ताइवान के बीज से उगाई जा रही है. यह देसी तरबूज से वजन में कम होती है पर इसमें मिठास ज्यादा होती है.

-उमाशंकर वर्मा , किसान

Intro: बाराबंकी,13 मार्च । किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है तरबूज और खरबूज की फसल. लगभग 75 दिनों में हो जाती है तैयार. 1 एकड़ में करीब 200 कुंतल तरबूज से किसानों को लगभग दो लाख की आय हो जाती है. रमजान के पवित्र महीने में तरबूज और खरबूज की मांग ज्यादा होती है. तरबूज की विशेष वैरायटी में मिठास भी होती है ज्यादा. सरस्वती नाम की इस वैरायटी को ताइवानी बीज से उगाया जाता है, जिसका वजन भी देसी तरबूज से कम होता है. पद्मश्री से सम्मानित किसान रामसरन वर्मा इसे किसानों के लिए बहुत ही फायदेमंद बताते हैं.


Body:ऐसे समय में जब किसानों की आय से संबंधित बातें होती रह रही हैं , तब पद्मश्री से सम्मानित रामसरन वर्मा का कहना है , कि केला, टमाटर की फसल के बाद अब तरबूज और खरबूज की फसल से किसानों को ज्यादा फायदा हो रहा है . महज 75 दिनों में ही 1 एकड़ में लगभग 200 कुंतल तरबूज की पैदावार होती है, जिससे दो लाख की आयु हो जाती है.इस फसल को उगाने में कुल लागत लगभग साठ हजार होती है, और शुद्ध बचत एक लाख चालीस हजार मात्र 75 दिनों में मिल जाती है.
वहीं किसान उमाशंकर का भी यही मानना है, कि तरबूज और खरबूज की फसल से उन्हें काफी मुनाफा हो रहा है. इसकी वैरायटी के बारे में भी उन्होंने जानकारी दी , कि यह सरस्वती नाम की वैरायटी है ,जो ताइवान के बीज से उगाई जा रही है .यह देसी तरबूज से वजन में कम होती है, और इसमें मिठास भी 10 से 12% होती है. देसी तरबूज में 6 से 7% और वजन लगभग 5 से 10 किलो तक होता है.


Conclusion:भीषण गर्मी के इस मौसम में तरबूज हलक से नीचे जाते ही ,लोगों के उदर में एक सुकून और ठंड का एहसास कराती है. गर्मियों में तरबूज को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है, और लोग इसे बड़े चाव से खाते भी हैं. इस वक्त रमजान के महीने चल रहे हैं और इस वजह से तरबूज और खरबूज की मांग भी काफी बढ़ गई है, क्योंकि दिन भर की थकान में नमाजी शाम को रोजा खोलते वक्त तरबूज को विशेष तरजीह देते हैं.
गर्मी बढ़ने के साथ-साथ जैसे ही तरबूज की मांग बढ़ती है, वैसे ही किसानों के चेहरे पर मुस्कान भी आ जाती है. जिले में तरबूज की फसल किसान बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं और खेती किसानी को नया आयाम भी दे रहे हैं.




bite -

1- पद्मश्री रामसरन वर्मा , किसान बाराबंकी

2- उमाशंकर वर्मा , किसान बाराबंकी.



रिपोर्ट- आलोक कुमार शुक्ला , रिपोर्टर  बाराबंकी 9628 4769 07
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