बाराबंकी: रमजान माह में जिले में तरबूज और खरबूजे की मांग बढ़ गई है. इससे यह फसल किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है. जिले के किसान विदेशी किस्म के बीजों से फसल का उत्पादन कर रहे हैं. इस किस्म की फसल में मिठास भी ज्यादा होती है. पद्मश्री से सम्मानित किसान रामसरन वर्मा इसे किसानों के लिए बहुत ही फायदेमंद बताते हैं.
इस तरह किसानों को होता है मोटा फायदा
- यह लगभग 75 दिनों में तैयार हो जाती है.
- एक एकड़ में करीब 200 कुंतल तरबूज से किसानों को लगभग दो लाख की आय हो जाती है.
- रमजान के पवित्र महीने में तरबूज और खरबूज की मांग ज्यादा होती है.
- तरबूज की विशेष वैरायटी में मिठास भी ज्यादा होती है.
- सरस्वती नाम की इस वैरायटी को ताइवानी बीज से उगाया जाता है.
- इसका वजन देसी तरबूज से कम होता है.
केला, टमाटर की फसल के बाद अब तरबूज और खरबूज की फसल से किसानों को ज्यादा फायदा हो रहा है. महज 75 दिनों में ही एक एकड़ में लगभग 200 कुंतल तरबूज की पैदावार होती है. इससे दो लाख रूपये तक की आय हो जाती है. इस फसल को उगाने में कुल लागत लगभग साठ हजार होती है.
-रामसरन वर्मा, पद्मश्री से सम्मानित किसान
तरबूज और खरबूज की फसल से हमें काफी मुनाफा हो रहा है. यह सरस्वती नाम की वैरायटी है, जो ताइवान के बीज से उगाई जा रही है. यह देसी तरबूज से वजन में कम होती है पर इसमें मिठास ज्यादा होती है.
-उमाशंकर वर्मा , किसान