ETV Bharat / state

बाराबंकी: किसान की संदिग्ध मौत पर राजनीतिक दल हुए सक्रिय, जनप्रतिनिधि पहुंचे पोस्टमार्टम हाउस - बाराबंकी ताजा समाचार

यूपी के बाराबंकी में एक किसान की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत होने की सूचना पर सभी राजनीतिक दल सक्रिय दिखे. घटना की सूचना पर भाजपा सांसद समेत तमाम नेता पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे. मृतक किसान के परिजनों ने उचित कार्रवाई की मांग की है.

etv bharat
किसान की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत.
author img

By

Published : Mar 1, 2020, 4:10 AM IST

बाराबंकी: कर्ज में डूबे किसान जगजीवन की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत पर शनिवार को पोस्टमार्टम हाउस के बाहर नेताओं की खासी गहमागहमी रही. मृतक किसान के परिजन बिना एफआईआर के शव को ले जाने को राजी नहीं हुए और पोस्टमार्टम हाउस पर ही धरने पर बैठ गए. इस खबर पर हड़कंप मच गया.

किसान की संदिग्ध मौत के बाद राजनीतिक दल सक्रिय.

किसान के संदिग्ध मौत होने की खबर सुनते ही सभी राजनीतिक दल सक्रिय हो उठे. सूचना पर भाजपा सांसद उपेंद्र रावत, कांग्रेस नेता तनुज पूनिया, जैदपुर से सपा विधायक गौरव रावत, बाराबंकी से सपा विधायक सुरेश यादव, पूर्व सपा सांसद रामसागर रावत समेत तमाम नेता पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे. मृतक किसान के परिजनों ने नेताओं से अपनी बात बताई और एफआईआर दर्ज करवाने की गुहार लगाई.

किसान की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत
बताते चलें हैदरगढ़ तहसील के कोठी थाना क्षेत्र के मवैया मजरे सदुल्लापुर गांव के रहने वाले जगजीवन वर्मा का चार बैंकों से करीब 40 लाख रुपये कर्ज था. कर्ज की वसूली के लिए गुरुवार को तहसील से नायब तहसीलदार और अमीन की टीम जगजीवन के घर गई थी.

अधिकारियों पर मौत का आरोप
आरोप है कि कर्ज अदायगी में जगजीवन द्वारा असमर्थता जताने पर टीम ने जगजीवन को अपनी गाड़ी में जबरन बैठा लिया और कोठी थाने ले आई. यहां जगजीवन की तबियत खराब होने लगी तो टीम पुलिस के हवाले कर चली गई. कोठी पुलिस द्वारा परिजनों को जगजीवन की तबियत खराब होने की खबर लगी तो ये लोग थाने पहुंचे और उसे सीएचसी में भर्ती कराया. इस बीच राजस्व टीम लौट आई और नायब तहसीलदार ने बताया कि जगजीवन ने जहर खा लिया है. तबियत खराब होने पर जगजीवन को पहले जिला अस्पताल और फिर लखनऊ रेफर कर दिया गया, जहां शुक्रवार शाम उसकी मौत हो गई.

मृतक जगजीवन के परिजनों ने वसूली करने गई टीम को मौत का जिम्मेदार ठहराया है. परिजन एफआईआर दर्ज करने की मांग कर रहे थे लेकिन मौके पर पहुंचे प्रशासनिक अधिकारी इस पर राजी नहीं हुए, जिसके बाद किसानों ने धरना शुरू कर दिया. मामले की जानकारी पर तमाम राजनीतिक दल सक्रिय हो गए. मौके पर पहुंचे सांसद ने किसानों से बात की लेकिन वे बिना एफआईआर कुछ भी मानने को तैयार नहीं हुए. इस दौरान सांसद ने भी माना कि कर्ज के मामले में बड़ी अनियमितता हुई है, जिसकी जांच जरूरी है.

इसे भी पढ़ें:- बाराबंकी: बैंक कर्ज में डूबे किसान की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत

बाराबंकी: कर्ज में डूबे किसान जगजीवन की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत पर शनिवार को पोस्टमार्टम हाउस के बाहर नेताओं की खासी गहमागहमी रही. मृतक किसान के परिजन बिना एफआईआर के शव को ले जाने को राजी नहीं हुए और पोस्टमार्टम हाउस पर ही धरने पर बैठ गए. इस खबर पर हड़कंप मच गया.

किसान की संदिग्ध मौत के बाद राजनीतिक दल सक्रिय.

किसान के संदिग्ध मौत होने की खबर सुनते ही सभी राजनीतिक दल सक्रिय हो उठे. सूचना पर भाजपा सांसद उपेंद्र रावत, कांग्रेस नेता तनुज पूनिया, जैदपुर से सपा विधायक गौरव रावत, बाराबंकी से सपा विधायक सुरेश यादव, पूर्व सपा सांसद रामसागर रावत समेत तमाम नेता पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे. मृतक किसान के परिजनों ने नेताओं से अपनी बात बताई और एफआईआर दर्ज करवाने की गुहार लगाई.

किसान की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत
बताते चलें हैदरगढ़ तहसील के कोठी थाना क्षेत्र के मवैया मजरे सदुल्लापुर गांव के रहने वाले जगजीवन वर्मा का चार बैंकों से करीब 40 लाख रुपये कर्ज था. कर्ज की वसूली के लिए गुरुवार को तहसील से नायब तहसीलदार और अमीन की टीम जगजीवन के घर गई थी.

अधिकारियों पर मौत का आरोप
आरोप है कि कर्ज अदायगी में जगजीवन द्वारा असमर्थता जताने पर टीम ने जगजीवन को अपनी गाड़ी में जबरन बैठा लिया और कोठी थाने ले आई. यहां जगजीवन की तबियत खराब होने लगी तो टीम पुलिस के हवाले कर चली गई. कोठी पुलिस द्वारा परिजनों को जगजीवन की तबियत खराब होने की खबर लगी तो ये लोग थाने पहुंचे और उसे सीएचसी में भर्ती कराया. इस बीच राजस्व टीम लौट आई और नायब तहसीलदार ने बताया कि जगजीवन ने जहर खा लिया है. तबियत खराब होने पर जगजीवन को पहले जिला अस्पताल और फिर लखनऊ रेफर कर दिया गया, जहां शुक्रवार शाम उसकी मौत हो गई.

मृतक जगजीवन के परिजनों ने वसूली करने गई टीम को मौत का जिम्मेदार ठहराया है. परिजन एफआईआर दर्ज करने की मांग कर रहे थे लेकिन मौके पर पहुंचे प्रशासनिक अधिकारी इस पर राजी नहीं हुए, जिसके बाद किसानों ने धरना शुरू कर दिया. मामले की जानकारी पर तमाम राजनीतिक दल सक्रिय हो गए. मौके पर पहुंचे सांसद ने किसानों से बात की लेकिन वे बिना एफआईआर कुछ भी मानने को तैयार नहीं हुए. इस दौरान सांसद ने भी माना कि कर्ज के मामले में बड़ी अनियमितता हुई है, जिसकी जांच जरूरी है.

इसे भी पढ़ें:- बाराबंकी: बैंक कर्ज में डूबे किसान की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.