बाराबंकी : पीएम मोदी की मंशा लोकल फॉर वोकल ( local for vocal) से प्रेरित होकर जेल अधीक्षक द्वारा शुरू की गई इस पहल से बंदियों में खासा उत्साह है. बाराबंकी जिला कारागार ने इसके लिए अनूठी पहल की है. लक्ष्मी और गणेश की एक से एक नायाब मूर्तियां और मिट्टी के दीये बनाने में तल्लीन यह महिलाएं जिला जेल में निरूद्ध हैं. तकरीबन 15 दिनों से महिलाएं इस काम में लगी हैं और अब तक हजारों दिए और तमाम मूर्तियां बन चुकी हैं. जेल अधीक्षक की प्रेरणा से महज चार-पांच महिलाओं द्वारा शुरू किए गए, इस काम से प्रभावित होकर आज 2 दर्जन से भी ज्यादा महिला बंदी इस काम को बखूबी अंजाम दे रही हैं.
इनका कहना है कि इससे उनमें स्वावलंबन की भावना पैदा होगी और वे जब जेल से छूटेगी तो बाहर उन्हें दूसरों पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा. बंदियों (prisoners) द्वारा बनाई जा रही मिट्टी की मूर्तियां और दीये पूरी तरह इको फ्रेंडली हैं. गाय के गोबर और मिट्टी के मिश्रण से तैयार किए जा रहे ये दीये पर्यावरण को प्रदूषित होने से भी बचाएंगे.
मिट्टी के दीये बनाने का काम सिर्फ महिला बंदी ही नहीं कर रही बल्कि पुरुष बंदी भी इस काम को बड़े उत्साह से कर रहे हैं. महिला बंदी इसे अपना सौभाग्य मानती हैं कि उन्हें मौका मिला कि उनके हाथों के बने दीये लोग जलाएंगे और समाज में अच्छाई की रोशनी बिखेरेंगे.
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जेल प्रशासन द्वारा इन बंदियों को गाय का गोबर, मिट्टी और दूसरे सामान उपलब्ध कराए जाते हैं. बंदियों द्वारा तैयार आइटम को सुखाकर फिर उन्हें पकाया जाता है. जेल से बाहर इनकी बिक्री के लिए भी एक टीम लगाई गई है. जेल प्रशासन बंदियों को उनका पारिश्रमिक (wages) भी देगा. बंदियों द्वारा बनाये गए दियों से कारागार (jail) रोशन होगा. साथ ही सस्ते दरों पर बाजारों में ये दीये बेचे जाएंगे.
इस पहल को लेकर जेल अधीक्षक हरि बक्श सिंह का मानना है कि इससे बंदियों में सुधार की मनोवृत्ति बढ़ेगी. साथ ही उनमें स्वावलंबन (independency) की भावना भी पैदा होगी. मिट्टी के दीये बनाने के पीछे उनका कहना है कि इसकी प्रेरणा उन्हें पीएम मोदी (PM MODI) की लोकल फॉर वोकल (local for vocal) की थीम से मिली.