बाराबंकी: अक्षय तृतीया पर गुपचुप तरीके से हो जाने वाले बाल विवाह को रोकने के लिए महिला कल्याण और चाइल्ड लाइन विभाग ने कमर कस ली है. इस बार किसी भी कीमत पर जिले में बाल विवाह नहीं होने दिया जाएगा. इसके लिए प्रशासन ने खास रणनीति तैयार की है. जिला प्रोबेशन कार्यालय द्वारा टीमें बनाकर विशेष निगरानी की जा रही है. अगर कहीं भी बाल विवाह की घटना की जानकारी मिली तो विवाह कराने वाले पंडित, मौलवी सहित वर और कन्या पक्ष के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाएगा.
बाल विवाह से जच्चा-बच्चा की मृत्यु दर में हुआ इजाफा
पिछले कई वर्षों से अक्षय तृतीया के मौके पर बाल विवाह होते आए हैं. पंडित और मौलवी इसमें अपनी भागीदारी निभाते हैं. बाल विवाह के चलते शिशु और माता की मृत्यु दर में वृद्धि हो रही है. शिशु जन्म के समय माता का शरीर विकसित नहीं होता. लिहाजा जच्चा की असमय मौत हो जाती है. बाल विवाह किसी बच्चे को अच्छे स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा के अधिकार से वंचित करता है.
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बाल विवाह रोकने का कानून
समाज में फैली इस कुप्रथा को रोकने के लिए तमाम प्रयास हुए. राजा राम मोहन राय ने तो बाकायदा इसके खिलाफ अभियान चलाया था. इस पर पूर्ण लगाम न लग पाने के चलते आखिरकार वर्ष 2006 में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम बनाया गया. इसके तहत अदालत ने दंड का प्रावधान किया है. जो कोई 18 वर्ष से अधिक आयु का पुरुष वयस्क होते हुए बाल विवाह करेगा तो उसे कठोर कारावास( जिसकी अवधि दो वर्ष तक) हो सकती है या जुर्माने से जो एक लाख रुपये तक का हो सकेगा अथवा दोनों से दंडनीय होगा.
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क्या है मान्यता
जानकारों के मुताबिक अक्षय तृतीया के दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं. उनका अक्षय(जो नष्ट न हो)फल मिलता है. अक्षय तृतीया को शुभ तिथि और घड़ी माना जाता है. लिहाजा पुराने जमाने में लोग इस दिन बाल विवाह करने लगे और धीरे-धीरे इसने कुप्रथा का रूप ले लिया. जिला प्रोबेशन अधिकारी अनिल कुमार मौर्य ने बताया कि कुछ रूढ़िवादी लोग इस दिन बाल विवाह कराते हैं.
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बाल विवाह रोकने के लिए टीम गठित
बाल विवाह रोकने के लिए बनाई गई टीम में शामिल चाइल्ड लाइन के निदेशक रत्नेश कुमार ने बताया कि कहीं भी अगर कोई बाल विवाह की घटना की किसी को जानकारी हो तो तुरंत टोल फ्री नम्बर 1098 पर फोन करें. टीम तुरंत सम्बंधित थाने की पुलिस के साथ मौके पर पहुंचेगी और बाल विवाह रोकेगी.
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काउंसिलिंग के बाद भराया जाएगा बांड
बाल विवाह के पीछे कई कारण सामने आए हैं. एक तो शिक्षा का अभाव दूसरे लड़की की शादी को माता पिता द्वारा बोझ समझा जाना. यही नहीं कुछ कट्टरपंथी लोग भी इसे बढ़ावा देते हैं. जिला प्रोबेशन अधिकारी ने बताया कि कहीं भी कोई सूचना मिलती है तो तुरंत टीम वहां पुलिस के साथ पहुंचेगी और बाल विवाह को रुकवा कर वर और बधू पक्ष के लोगों की काउंसिलिंग करेगी. यही नहीं दोनों पक्षों से बांड भराया जाएगा कि वे लड़के की उम्र 21 वर्ष और लड़की की उम्र 18 वर्ष होने तक उनकी कहीं भी शादी नहीं करेंगे और उन्हें स्कूल भेजेंगे. अगर बात नहीं बनी तो उनके खिलाफ विधिक कार्रवाई की जाएगी.
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पिछले वर्षों में हुई कार्रवाईयां
जिला प्रोबेशन अधिकारी अनिल कुमार मौर्या ने बताया कि लगातार अभियान चलाने और सख्त कानून होने के बाद भी लोग इस कुप्रथा को नहीं छोड़ पा रहे हैं. वर्ष 2020 में जहां विभाग ने 08 बाल विवाह रोके थे तो वर्ष 2019 में 09 मामले सामने आए थे. उन्होंने बताया कि पिछले पांच वर्षों में हर वर्ष आधा दर्जन से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं.