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छात्र की हत्या में आरोपी 3 सगे भाइयों को उम्रकैद की सजा - court sentenced three brothers to life imprisonment

बाराबंकी जिले में अदालत ने 10 वर्ष पूर्व एक छात्र की हत्या के मामले में आरोपित तीन सगे भाइयों को आजीवन कारावास और प्रत्येक पर 30-30 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है. ये फैसला अपर जिला जज अशोक कुमार यादव ने सुनाया है.

छात्र की हत्या में आरोपी 3 सगे भाइयों को उम्रकैद
छात्र की हत्या में आरोपी 3 सगे भाइयों को उम्रकैद
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Published : Mar 25, 2021, 9:00 PM IST

बाराबंकी: जिले में अदालत ने 10 वर्ष पूर्व एक छात्र की हत्या के मामले में आरोपित तीन सगे भाइयों को आजीवन कारावास और प्रत्येक पर 30-30 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है. ये फैसला अपर जिला जज अशोक कुमार यादव ने सुनाया है. खास बात ये कि इस मामले में हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए मृतक छात्र की मां को खासी भागदौड़ करनी पड़ी थी और हत्या के करीब सवा दो साल बाद एफआईआर दर्ज हुई थी.

जिला शासकीय अधिवक्ता मथुरा प्रसाद वर्मा ने अभियोजन कथानक का ब्योरा देते हुए बताया कि जिले के बड्डूपुर थाना क्षेत्र के ममरखापुर गांव की रहने वाली मायादेवी पत्नी हंसराज का एक 15 वर्षीय एकलौता पुत्र पुष्पेन्द्र कुमार था. पुष्पेन्द्र कक्षा नौ का छात्र था. दिनांक 25 सितम्बर 2010 को शाम 06 बजे गांव के ही रमापति पुत्र कल्लू अपने दोनों भाइयों रामानंद और रमाकांत के साथ आया और बहाने से पुष्पेंद्र को बुला ले गया.

देर रात तक जब पुष्पेन्द्र नहीं लौटा तो उसकी खोजबीन शुरू हुई, लेकिन रातभर उसका कोई पता नहीं चला. सुबह खोजने पर पुष्पेन्द्र का शव गांव के प्राइमरी स्कूल सालेपुर के रसोई वाले कमरे में छत से टंगा मिला था. उसके पैर जमीन से लगे हुए थे.

एफआईआर के लिए वादिनी को करनी पड़ी थी कड़ी मशक्कत
वादिनी मायादेवी बड्डूपुर थाने में रिपोर्ट कराने गईं, लेकिन रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई. एसपी को भी प्रार्थना पत्र दिया और शासन में भी भागदौड़ की फिर भी रिपोर्ट दर्ज नहीं हो पाई. इसके बाद तत्कालीन जिलाधिकारी विकास गोठलवाल को प्रार्थना पत्र दिया तो उन्होंने इस बाबत अपने अधीन एसडीएम पवन कुमार गंगवार से जांच कराई, जिसके द्वारा 19 पेज की जांच आख्या जिलाधिकारी को दी गई, जिसमे प्रथम दृष्टया एफआईआर दर्ज किए जाने की आवश्यकता बताई गई थी. इसके काफी दिन बाद एसपी के आदेश पर 12 दिसम्बर 2012 को वादिनी की एफआईआर दर्ज हो पाई थी.

तीन सगे भाइयों ने की थी हत्या
इस मामले में रमापति पुत्र कल्लू, रमाकांत पुत्र कल्लू और रामानंद पुत्र कल्लू निवासीगण ममरखापुर थाना बड्डूपुर के खिलाफ आईपीसी की धारा 302/201 में 12 दिसम्बर 2012 को मुकदमा दर्ज कर विवेचना शुरू की गई. तत्कालीन विवेचक एसएचओ श्यामबाबू शुक्ला द्वारा वैज्ञानिक तरीके से साक्ष्य संकलन करते हुए अभियुक्तों के विरुद्ध चार्जशीट अदालत में दाखिल की गई.

अदालत ने सुनाई सजा
इस मामले में अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष द्वारा पेश किये गए गवाहों, साक्ष्यों और दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद न्यायालय ने तीनों आरोपियों को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास और प्रत्येक पर 30-30 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई.

बाराबंकी: जिले में अदालत ने 10 वर्ष पूर्व एक छात्र की हत्या के मामले में आरोपित तीन सगे भाइयों को आजीवन कारावास और प्रत्येक पर 30-30 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है. ये फैसला अपर जिला जज अशोक कुमार यादव ने सुनाया है. खास बात ये कि इस मामले में हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए मृतक छात्र की मां को खासी भागदौड़ करनी पड़ी थी और हत्या के करीब सवा दो साल बाद एफआईआर दर्ज हुई थी.

जिला शासकीय अधिवक्ता मथुरा प्रसाद वर्मा ने अभियोजन कथानक का ब्योरा देते हुए बताया कि जिले के बड्डूपुर थाना क्षेत्र के ममरखापुर गांव की रहने वाली मायादेवी पत्नी हंसराज का एक 15 वर्षीय एकलौता पुत्र पुष्पेन्द्र कुमार था. पुष्पेन्द्र कक्षा नौ का छात्र था. दिनांक 25 सितम्बर 2010 को शाम 06 बजे गांव के ही रमापति पुत्र कल्लू अपने दोनों भाइयों रामानंद और रमाकांत के साथ आया और बहाने से पुष्पेंद्र को बुला ले गया.

देर रात तक जब पुष्पेन्द्र नहीं लौटा तो उसकी खोजबीन शुरू हुई, लेकिन रातभर उसका कोई पता नहीं चला. सुबह खोजने पर पुष्पेन्द्र का शव गांव के प्राइमरी स्कूल सालेपुर के रसोई वाले कमरे में छत से टंगा मिला था. उसके पैर जमीन से लगे हुए थे.

एफआईआर के लिए वादिनी को करनी पड़ी थी कड़ी मशक्कत
वादिनी मायादेवी बड्डूपुर थाने में रिपोर्ट कराने गईं, लेकिन रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई. एसपी को भी प्रार्थना पत्र दिया और शासन में भी भागदौड़ की फिर भी रिपोर्ट दर्ज नहीं हो पाई. इसके बाद तत्कालीन जिलाधिकारी विकास गोठलवाल को प्रार्थना पत्र दिया तो उन्होंने इस बाबत अपने अधीन एसडीएम पवन कुमार गंगवार से जांच कराई, जिसके द्वारा 19 पेज की जांच आख्या जिलाधिकारी को दी गई, जिसमे प्रथम दृष्टया एफआईआर दर्ज किए जाने की आवश्यकता बताई गई थी. इसके काफी दिन बाद एसपी के आदेश पर 12 दिसम्बर 2012 को वादिनी की एफआईआर दर्ज हो पाई थी.

तीन सगे भाइयों ने की थी हत्या
इस मामले में रमापति पुत्र कल्लू, रमाकांत पुत्र कल्लू और रामानंद पुत्र कल्लू निवासीगण ममरखापुर थाना बड्डूपुर के खिलाफ आईपीसी की धारा 302/201 में 12 दिसम्बर 2012 को मुकदमा दर्ज कर विवेचना शुरू की गई. तत्कालीन विवेचक एसएचओ श्यामबाबू शुक्ला द्वारा वैज्ञानिक तरीके से साक्ष्य संकलन करते हुए अभियुक्तों के विरुद्ध चार्जशीट अदालत में दाखिल की गई.

अदालत ने सुनाई सजा
इस मामले में अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष द्वारा पेश किये गए गवाहों, साक्ष्यों और दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद न्यायालय ने तीनों आरोपियों को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास और प्रत्येक पर 30-30 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई.

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