बाराबंकी: पॉक्सो एक्ट के दो अलग-अलग मामलों में बाराबंकी अदालत ने बुधवार को 4 दोषियों कठोर कारावास की सजा सुनाई है. एक मामले में अपर सत्र न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट कोर्ट नम्बर 45 ने एक आरोपी को दोषसिद्ध करते हुए उसे 10 वर्ष के कठोर कारावास और 28 हजार 500 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. जबकि अपर सत्र न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट कोर्ट नम्बर 46 ने 3 आरोपियों को दोषसिद्ध करते हुए प्रत्येक को 10-10 वर्ष के कठोर कारावास और 22-22 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है.
बराबंकी अपर सत्र न्यायाधीश के कोर्ट नम्बर 45 के एडीजीसी क्रिमिनल अजय सिंह सिसौदिया ने अभियोजन ने बताया कि वादी द्वारा थाना देवां पर दिनांक 20 मार्च 2014 को तहरीर दी गई कि उसकी पुत्री को आरोपियों बहला फुसलाकर उसके साथ दुष्कर्म किया. इस बाबत पुलिस ने 4 आरोपियों जसवंत, उमाकांत, रामानंद और रामराज के विरुद्ध आईपीसी की धारा 363, 366, 376, 504, 352 और 16/17 पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की. तत्कालीन विवेचक द्वारा वैज्ञानिक तरीके से साक्ष्य संकलन करते हुए विवेचना के बाद न्यायालय में चार्ज शीट फाइल की. अभियोजन ने मामले में ठोस गवाह पेश किए. अभियोजन और बचाव पक्ष के गवाहों और दलीलों को सुनने के बाद अपर सत्र न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट कोर्ट नम्बर 45 अजय कुमार श्रीवास्तव ने आरोपी जसवंत चौहान को दोषी पाते हुए 10 वर्ष के कठोर कारावास और 28 हजार 500 रुपये की सजा सुनाई. जबकि आरोपी उमाकांत चौहान, रामानंद और रामराज तीनो को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया.
जबकि दूसरे मामले में कोर्ट नम्बर 46 के एडीजीसी क्रिमिनल लव त्रिपाठी और पुरुषोत्तम मिश्रा ने अभियोजन ने बताया कि 23 जून 2015 को वादी की पुत्री को बहला फुसलाकर भगा ले जाने का सतरिख थाने पर प्रार्थना पत्र दिया था. वादी की तहरीर पर पुलिस ने इमरान, मुजम्मिल और अनीता गुप्ता के विरुद्ध आईपीसी की धारा 363, 366 के तहत मुकदमा दर्ज कर तफ्तीश शुरू की. तत्कालीन विवेचक द्वारा वैज्ञानिक तरीकों से साक्ष्य एकत्र किए गए. विवेचना के दौरान मामले में आईपीसी की धारा 120 बी ,376 और 3/4पॉक्सो एक्ट की धाराएं बढ़ाई गई. विवेचना के बाद विवेचक ने चार्जशीट न्यायालय पर प्रेषित की. इस मामले में अभियोजन ने ठोस गवाह पेश किए. दोनों पक्षों की गवाही और बहस सुनने के बाद अपर सत्र न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट कोर्ट नम्बर 46 ने आरोपियों इमरान, मुजम्मिल और अनीता गुप्ता को दोषी मानते हुए 10-10 वर्ष की कठोर कारावास और 22-22 हजार रुपये अर्थदण्ड की सजा सुनाई.
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