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बाराबंकी: पराली को खाद में बदल देंगे ये विशेष यंत्र - agricultural machine

कृषि वैज्ञानिक किसानों को ऐसे यंत्रों का उपयोग करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, जिससे पराली न निकले. यही नहीं, जगह-जगह गोष्ठियां और सेमिनार के जरिए ऐसे यंत्रों का प्रदर्शन भी किया जा रहा है.

पराली को खाद में बदल देंगे ये विशेष यंत्र.
पराली को खाद में बदल देंगे ये विशेष यंत्र.
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Published : Oct 6, 2020, 8:21 PM IST

बाराबंकी : खेतों में पराली यानी फसल अवशेष जलाने की नौबत ही न आये इसके लिए योगी सरकार पूरी तरह गम्भीर है. जिले में कृषि विभाग के सहयोग से जीएस ऑटोमोबाइल द्वारा आयोजित शक्ति उत्सव कार्यक्रम में पहुंचे कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, कृषि निदेशक अजीत प्रकाश श्रीवास्तव, उपकृषि निदेशक अनिल सागर सहित तमाम कृषि विभाग के अधिकारियों और कृषि वैज्ञानिकों ने फसल अवशेष नष्ट करने वाले यंत्रों से किसानों को न केवल अवगत कराया, बल्कि उन्हें खरीदने के लिए प्रेरित भी किया.

बैठक के दौरान कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से किसानों द्वारा खेतों में पराली जलाने से बढ़ रहे प्रदूषण से लोगों का स्वास्थ्य खराब हो रहा है. लोगों के फेफड़े खराब हो रहे हैं, टीबी जैसी गम्भीर बीमारी बढ़ रही है और सांस लेने में तकलीफ की शिकायतें आ रही हैं. इस बार कोरोना के चलते इसे और भी गम्भीरता से लिया जा रहा है. किसानों को इसके नुकसान से आगाह किया जा रहा है.

कृषि एक्सपर्ट अनिल भटनागर ने बताया कि पराली जलाने को हर हाल में रोकने के लिए शासन ने पूरी तरह कमर कस ली है. सरकार फसल अवशेष योजना चला रही है. क्रॉप रेजीड्यू मैनेजमेंट से सम्बंधित कृषि यंत्रों की खरीद पर सरकार 80 फीसदी अनुदान दे रही है. फसल अवशेष ज्यादा न निकले इसके लिए हैप्पी सीडर, मल्चर, जीरो टिल सीड ड्रिल, रिवर्सेबल एमबी प्लाऊ जैसी तमाम मशीनों को मार्केट में उतारा गया है. कृषि वैज्ञानिक इन मशीनों के प्रति किसानों को जागरूक कर इनसे होने वाले लाभ को बता रहे हैं.

पराली जलाने के बजाय फर्टिलाइजर में बदलें

सरकार की मंशा है कि पिछले वर्षों में पराली जलाने की जो घटनाएं हुई थीं, इस बार न हों. सरकार का सोचना है कि पराली को लेकर किसानों पर कार्रवाई कम से कम की जाय. लिहाजा ऐसी नौबत ही न आए कि पराली जलानी पड़े. इसीलिए पराली को कम करने के लिए मशीनों के प्रयोग पर जोर दिया जा रहा है. यही नहीं किसानों को बताया जा रहा है कि कैसे पराली को खाद में बदला जा सकता है.

बाराबंकी : खेतों में पराली यानी फसल अवशेष जलाने की नौबत ही न आये इसके लिए योगी सरकार पूरी तरह गम्भीर है. जिले में कृषि विभाग के सहयोग से जीएस ऑटोमोबाइल द्वारा आयोजित शक्ति उत्सव कार्यक्रम में पहुंचे कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, कृषि निदेशक अजीत प्रकाश श्रीवास्तव, उपकृषि निदेशक अनिल सागर सहित तमाम कृषि विभाग के अधिकारियों और कृषि वैज्ञानिकों ने फसल अवशेष नष्ट करने वाले यंत्रों से किसानों को न केवल अवगत कराया, बल्कि उन्हें खरीदने के लिए प्रेरित भी किया.

बैठक के दौरान कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से किसानों द्वारा खेतों में पराली जलाने से बढ़ रहे प्रदूषण से लोगों का स्वास्थ्य खराब हो रहा है. लोगों के फेफड़े खराब हो रहे हैं, टीबी जैसी गम्भीर बीमारी बढ़ रही है और सांस लेने में तकलीफ की शिकायतें आ रही हैं. इस बार कोरोना के चलते इसे और भी गम्भीरता से लिया जा रहा है. किसानों को इसके नुकसान से आगाह किया जा रहा है.

कृषि एक्सपर्ट अनिल भटनागर ने बताया कि पराली जलाने को हर हाल में रोकने के लिए शासन ने पूरी तरह कमर कस ली है. सरकार फसल अवशेष योजना चला रही है. क्रॉप रेजीड्यू मैनेजमेंट से सम्बंधित कृषि यंत्रों की खरीद पर सरकार 80 फीसदी अनुदान दे रही है. फसल अवशेष ज्यादा न निकले इसके लिए हैप्पी सीडर, मल्चर, जीरो टिल सीड ड्रिल, रिवर्सेबल एमबी प्लाऊ जैसी तमाम मशीनों को मार्केट में उतारा गया है. कृषि वैज्ञानिक इन मशीनों के प्रति किसानों को जागरूक कर इनसे होने वाले लाभ को बता रहे हैं.

पराली जलाने के बजाय फर्टिलाइजर में बदलें

सरकार की मंशा है कि पिछले वर्षों में पराली जलाने की जो घटनाएं हुई थीं, इस बार न हों. सरकार का सोचना है कि पराली को लेकर किसानों पर कार्रवाई कम से कम की जाय. लिहाजा ऐसी नौबत ही न आए कि पराली जलानी पड़े. इसीलिए पराली को कम करने के लिए मशीनों के प्रयोग पर जोर दिया जा रहा है. यही नहीं किसानों को बताया जा रहा है कि कैसे पराली को खाद में बदला जा सकता है.

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