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बांदाः पशु किसान क्रेडिट कार्ड योजना पर बैंकों ने फेरा पानी, नहीं मिला लाभ

यूपी के बांदा जिले में केंद्र सरकार द्वारा चलाई गई पशु किसान क्रेडिट कार्ड योजना का लाभ जिले में किसी को भी नहीं मिल पाया है. मुख्य पशु चिकित्साधिकारी ने बताया कि यह योजना बैंकों की मनमानी और लापरवाही के चलते धरातल पर नहीं उतर पा रही है. उन्होंने बताया कि 1662 लोगों ने किसान क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन किया था, लेकिन 6 माह बाद भी अभी तक एक भी पशुपालक और किसान को पशु किसान क्रेडिट कार्ड नहीं मिल सका है.

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पशु किसान क्रेडिट कार्ड.
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Published : Oct 21, 2020, 5:13 PM IST

बांदाः केंद्र सरकार ने पशुपालकों की आय बढ़ाने के लिए इस साल से किसान क्रेडिट कार्ड की नई योजना शुरू की है, लेकिन यह योजना बैंकों की मनमानी और लापरवाही के चलते धरातल पर नहीं उतर पा रही है. कारण यह है कि पशुपालकों व किसानों ने किसान क्रेडिट कार्ड की इस नई योजना के लिए पशुपालन विभाग के माध्यम से बैंकों में आवेदन किया था. वहीं बैंकों ने यह आवेदन वापस कर दिए. आलम यह है कि जिले में 1662 लोगों ने इसके लिए आवेदन किया था, मगर 6 महीने बीत जाने के बाद भी अभी तक एक भी पशुपालक और किसान को किसान क्रेडिट कार्ड की इस नई योजना का लाभ नहीं मिल सका है. वहीं पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने भी बैंकों के उच्चाधिकारियों से इस मामले की शिकायत की है.

आवेदकों को नहीं मिला पशु किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ.

यह है किसान क्रेडिट कार्ड की नई योजना
बता दें कि पूर्व में केंद्र सरकार द्वारा खेतिहर किसानों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड योजना चलाई गई थी जो अभी भी चल रही है. जिसके माध्यम से किसान अपने खेतों के आधार पर बैंकों से किसान क्रेडिट कार्ड बनवाकर अपनी खेती किसानी के लिए पैसे लेते हैं और 7% साधारण ब्याज दर के हिसाब से बैंकों को पैसे चुकाते हैं. मगर इस साल से केंद्र ने पशुपालकों, भूमिहीन किसानों लघु सीमांत किसानों के लिए यह योजना चलाई है. जिसमें बैंक पशुओं की कीमत का आकलन करेंगी और फिर उसके हिसाब से पशुपालन विभाग के माध्यम से बैकें 4% ब्याज दर के हिसाब से किसान क्रेडिट कार्ड बनाएंगी.

जिससे कि पशुपालक या छोटे किसान दुग्ध उत्पादन के लिए डेयरी या मुर्गी पालन, बकरी पालन या मछली पालन कर अपनी आय को बढ़ा सके. इसके लिए जिले के 1662 लोगों ने आवेदन किया था, लेकिन इन सभी लोगों की फाइलें बैंकों में या तो धूल फांक रही है या फिर यह फाइलें बैंकों ने पशुपालन विभाग को वापस भेज दी है. 6 महीने बीत जाने के बाद भी अब तक जिले में एक भी व्यक्ति को इस योजना का लाभ नहीं मिल सका है. जिससे पशुपालक और किसानों के अरमानों पर बैंकों ने पानी फेर दिया है.

केंद्र सरकार ने आरबीआई की गाइडलाइंस के अनुसार चलाई है योजना
जिले के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. राजीव धीर ने बताया कि किसान क्रेडिट कार्ड पहले खेती किसानी के लिए दिया जा रहा था, लेकिन इस साल से भारत सरकार ने आरबीआई की गाइडलाइंस के अनुसार पशुपालन में भी इसे देने का आदेश जारी किया है. जिसमें पशुपालकों को उनके पशुओं से संबंधित कार्यों को लेकर किसान क्रेडिट कार्ड से लोन दिए जाने का प्रावधान है. वैसे तो इसका ब्याज 7% है, लेकिन अगर समय से इसका भुगतान किया जाए तो इसमें 3% की छूट दी जा रही है. यानी कि कुल मिलाकर 4% ब्याज पर ही लोन दिया जा रहा है.

जिले में अब तक 1662 लोगों ने अलग-अलग बैंकों में इसके लिए आवेदन किया है. मगर अभी तक एक को भी किसान क्रेडिट कार्ड की इस नई योजना का लाभ नहीं मिल सका है. इस संबंध में उन्होंने अपने उच्चाअधिकारियों से बात की है. साथ ही बैंकों के एलडीएम से भी इस संबंध में बात हुई है. जिन्होंने इसे ठीक कराने की बात कही है.

यह योजना बदल सकती है बुंदेलखंड की तस्वीर
डॉ. राजीव धीर ने यह भी बताया कि पशुपालकों या किसानों को उनके पशुओं की कीमत के आधार पर लोन दिया जाना है. पशुओं के मूल्यों का आकलन करने व खर्चों के आकलन करने के लिए हमने एक समिति बनाई है. जो भूमिहीन लोग हैं या जो लघु सीमांत किसान हैं. उनकी आजीविका यहां बुंदेलखंड में सही से नहीं चल पा रही है. क्योंकि यहां की भौगोलिक परिस्थितियां बहुत खराब है. यहां पर पानी की कमी है. साथ ही यहां की जमीन भी उबड़-खाबड़ है. जिससे यहां का किसान अपनी आजीविका सही से नहीं चला पा रहा है. इसलिए केंद्र सरकार ने इस योजना को चालू किया है. यहां के लोगों को अगर हम पशुपालन से जोड़ने में सफल हो जाते हैं तो निश्चित रूप से यहां पर बहुत परिवर्तन होगा. क्योंकि यहां के लोगों को आजीविका का एक साधन मिलेगा, जिससे यहां की तस्वीर बदलेगी.

बांदाः केंद्र सरकार ने पशुपालकों की आय बढ़ाने के लिए इस साल से किसान क्रेडिट कार्ड की नई योजना शुरू की है, लेकिन यह योजना बैंकों की मनमानी और लापरवाही के चलते धरातल पर नहीं उतर पा रही है. कारण यह है कि पशुपालकों व किसानों ने किसान क्रेडिट कार्ड की इस नई योजना के लिए पशुपालन विभाग के माध्यम से बैंकों में आवेदन किया था. वहीं बैंकों ने यह आवेदन वापस कर दिए. आलम यह है कि जिले में 1662 लोगों ने इसके लिए आवेदन किया था, मगर 6 महीने बीत जाने के बाद भी अभी तक एक भी पशुपालक और किसान को किसान क्रेडिट कार्ड की इस नई योजना का लाभ नहीं मिल सका है. वहीं पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने भी बैंकों के उच्चाधिकारियों से इस मामले की शिकायत की है.

आवेदकों को नहीं मिला पशु किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ.

यह है किसान क्रेडिट कार्ड की नई योजना
बता दें कि पूर्व में केंद्र सरकार द्वारा खेतिहर किसानों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड योजना चलाई गई थी जो अभी भी चल रही है. जिसके माध्यम से किसान अपने खेतों के आधार पर बैंकों से किसान क्रेडिट कार्ड बनवाकर अपनी खेती किसानी के लिए पैसे लेते हैं और 7% साधारण ब्याज दर के हिसाब से बैंकों को पैसे चुकाते हैं. मगर इस साल से केंद्र ने पशुपालकों, भूमिहीन किसानों लघु सीमांत किसानों के लिए यह योजना चलाई है. जिसमें बैंक पशुओं की कीमत का आकलन करेंगी और फिर उसके हिसाब से पशुपालन विभाग के माध्यम से बैकें 4% ब्याज दर के हिसाब से किसान क्रेडिट कार्ड बनाएंगी.

जिससे कि पशुपालक या छोटे किसान दुग्ध उत्पादन के लिए डेयरी या मुर्गी पालन, बकरी पालन या मछली पालन कर अपनी आय को बढ़ा सके. इसके लिए जिले के 1662 लोगों ने आवेदन किया था, लेकिन इन सभी लोगों की फाइलें बैंकों में या तो धूल फांक रही है या फिर यह फाइलें बैंकों ने पशुपालन विभाग को वापस भेज दी है. 6 महीने बीत जाने के बाद भी अब तक जिले में एक भी व्यक्ति को इस योजना का लाभ नहीं मिल सका है. जिससे पशुपालक और किसानों के अरमानों पर बैंकों ने पानी फेर दिया है.

केंद्र सरकार ने आरबीआई की गाइडलाइंस के अनुसार चलाई है योजना
जिले के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. राजीव धीर ने बताया कि किसान क्रेडिट कार्ड पहले खेती किसानी के लिए दिया जा रहा था, लेकिन इस साल से भारत सरकार ने आरबीआई की गाइडलाइंस के अनुसार पशुपालन में भी इसे देने का आदेश जारी किया है. जिसमें पशुपालकों को उनके पशुओं से संबंधित कार्यों को लेकर किसान क्रेडिट कार्ड से लोन दिए जाने का प्रावधान है. वैसे तो इसका ब्याज 7% है, लेकिन अगर समय से इसका भुगतान किया जाए तो इसमें 3% की छूट दी जा रही है. यानी कि कुल मिलाकर 4% ब्याज पर ही लोन दिया जा रहा है.

जिले में अब तक 1662 लोगों ने अलग-अलग बैंकों में इसके लिए आवेदन किया है. मगर अभी तक एक को भी किसान क्रेडिट कार्ड की इस नई योजना का लाभ नहीं मिल सका है. इस संबंध में उन्होंने अपने उच्चाअधिकारियों से बात की है. साथ ही बैंकों के एलडीएम से भी इस संबंध में बात हुई है. जिन्होंने इसे ठीक कराने की बात कही है.

यह योजना बदल सकती है बुंदेलखंड की तस्वीर
डॉ. राजीव धीर ने यह भी बताया कि पशुपालकों या किसानों को उनके पशुओं की कीमत के आधार पर लोन दिया जाना है. पशुओं के मूल्यों का आकलन करने व खर्चों के आकलन करने के लिए हमने एक समिति बनाई है. जो भूमिहीन लोग हैं या जो लघु सीमांत किसान हैं. उनकी आजीविका यहां बुंदेलखंड में सही से नहीं चल पा रही है. क्योंकि यहां की भौगोलिक परिस्थितियां बहुत खराब है. यहां पर पानी की कमी है. साथ ही यहां की जमीन भी उबड़-खाबड़ है. जिससे यहां का किसान अपनी आजीविका सही से नहीं चला पा रहा है. इसलिए केंद्र सरकार ने इस योजना को चालू किया है. यहां के लोगों को अगर हम पशुपालन से जोड़ने में सफल हो जाते हैं तो निश्चित रूप से यहां पर बहुत परिवर्तन होगा. क्योंकि यहां के लोगों को आजीविका का एक साधन मिलेगा, जिससे यहां की तस्वीर बदलेगी.

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