बांदा: कोरोना के खिलाफ लड़ाई में जिला प्रशासन और मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के बीच सामंजस्य नहीं दिख रहा. दरअसल, जिले में 2 दिन पहले मिले चौथे कोरोना पॉजिटिव मरीज के रिश्तेदारों को एम्बुलेंस से जिला प्रशासन ने जांच के लिए मेडिकल कॉलेज भेजा था. इस दौरान मेडिकल कॉलेज ने संसाधनों की कमी का हवाला देते हुए अगले दिन जांच करने की बात कही थी. लापरवाही का दूसरा नमूना तब देखने को मिला, जब परिजनों को मेडिकल कॉलेज पर एम्बुलेंस से तो लाया गया, लेकिन वापस जाने के लिए कोई वाहन नहीं दिया गया.
बांदा में मिले चौथे कोरोना पॉजिटिव मरीज के परिवार के 13 लोगों को जिला प्रशासन ने जांच के लिए मेडिकल कॉलेज भेजा था, लेकिन संशाधनों की कमी बताते कॉलेज ने जांच करने से मना कर दिया. इस दौरान परिजनों को वापस जाने के लिए किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं दी गई. इससे परेशान 13 लोग पैदल ही चलकर 5 किलोमीटर दूर अपने घर पहुंचे.
मामले को संज्ञान में लेते मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. मुकेश यादव ने बताया कि उनके पास सीमित संसाधन है, जिस पर वे काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनके पास सिर्फ 20 आइसोलेशन बेड है. इस पर 59 मरीज भर्ती हैं. मेडिकल कॉलेज में हो रही परेशानियों से शासन को अवगत कराया गया है.
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हमारे यहां एक मरीज के डिस्चार्ज होने के बाद ही हम दूसरे मरीज को भर्ती करते हैं. ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए हल निकाले जा रहे हैं.
-डॉ. मुकेश यादव, प्रिंसिपल, राजकीय मेडिकल कॉलेज