शामली : यूपी एसटीएफ की मेरठ यूनिट ने सोमवार की रात 4 कुख्यात बदमाशों को मुठभेड़ में ढेर कर दिया. ये सभी बदमाश मुस्तफा कग्गा गैंग के थे. इनमें से एक बदमाश पर एक लाख रुपये का इनाम भी था. STF टीम और बदमाशों के बीच कई राउंड फायरिंग हुई. इसमें टीम का नेतृत्व कर रहे इंस्पेक्टर को भी गोली लग गई. उन्हें गुरुग्राम के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है. बदमाशों के पास से कई हथियार भी बरामद किए गए हैं. मुठभेड़ कुल 42 मिनट तक चली. इस दौरान करीब 30 राउंड फायरिंग हुई.
शामली के झिंझाना इलाके में यूपी एसटीएफ की मेरठ यूनिट टीम की सोमवार की देर रात करीब 2 बजे मुस्तफा कग्गा गैंग के कुख्यात बदमाशों से मुठभेड़ हो गई. कार सवार बदमाशों को टीम ने घेरा तो उन्होंने फायरिंग करनी शुरू कर दी. टीम और बदमाशों के बीच कई राउंड फायरिंग हुई. इसमें गैंग का मुख्य सदस्य एक लाख का इनामी अरशद समेत उसके 3 साथी सोनीपत निवासी मंजीत, करनाल निवासी सतीश और एक अन्य अपराधी ढेर हो गए. सभी एक ही गैंग के लिए अपराध करते थे.
वहीं फायरिंग के दौरान टीम का नेतृत्व कर रहे इंस्पेक्टर सुनील को भी गोली लग गई. उन्हें गंभीर हालत में करनाल के अस्पताल में भर्ती कराया गया. बाद में यहां से उन्हें गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल रेफर कर दिया गया. उनकी स्थिति गंभीर है, लेकिन फिलहाल स्थिर बनी हुई है. ये वही इंस्पेक्टर हैं जिन्होंने डकैत ददुआ और ठोकिया का भी एनकाउंटर किया था.
VIDEO | Informing about an encounter with criminals in Shamli district of UP, DGP Prashant Kumar says, " last night, in a village in shamli district, an encounter between stf, local police and criminals happened. four criminals were killed. stf inspector sunil got seriously… pic.twitter.com/SWiWVZeamY
— Press Trust of India (@PTI_News) January 21, 2025
गैंग का मुख्य सरगना अरशद सहारनपुर जिले के थाना गंगोह के बाहडी माजरा गांव का रहने वाला था. वह कई मामलों में वांछित था. उस पर कई संगीन मुकदमे दर्ज थे. इनमें हत्या, डकैती, लूटपाट और आर्म्स एक्ट के मामले शामिल हैं. एसटीएफ के मुताबिक अरशद पर सहारनपुर के बेहट में डकैती और लूट के कई मामले दर्ज हैं. थाना गंगोह में हत्या और हत्या के प्रयास, थाना नानौता में डकैती, थाना रामपुर मनिहारन में भी हत्या के मुकदमे दर्ज हैं.
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मुजफ्फरनगर और शामली के भी कई थानों में अरशद के खिलाफ मुकदमे दर्ज हैं. इनके अलावा उसके खिलाफ हरियाणा के पानीपत जिले में धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश का केस दर्ज है. अरशद पर सहारनपुर के एडीजी जोन की ओर से एक लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया था. टीम को मौके से कई हथियार भी मिले हैं.
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एसटीएफ के एएसपी बृजेश कुमार ने बताया कि यह मुठभेड़ उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए बड़ी सफलता है. अरशद जैसे कुख्यात अपराधी के खात्मे से क्षेत्र में कानून-व्यवस्था को मजबूती मिलेगी. उन्होंने बताया कि मुठभेड़ में मारे गए बदमाशों का शामली में पोस्टमार्टम कराया जा रहा है. सभी आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित की जा रही है.
वहीं सीएम योगी आदित्यनाथ की सरकार के दौरान साढ़े सात वर्षों में पहली बार एसटीएफ ने एक साथ 4 अपराधियों को मुठभेड़ में ढेर किया है. यह योगी सरकार का अब तक का सबसे बड़ा एनकाउंटर है.
दिल्ली, हरियाणा और युपी में वांटेड था मुठभेड़ में मारा गया इनामी अरशद
सहारनपुर : मुठभेड़ में मारे गए 4 अपराधियों में सबसे चर्चित नाम अरशद का है. अरशद इस समय वेस्ट यूपी के कुख्यात कग्गा गैंग को संचालित कर रहा था. कग्गा गैंग ने यूपी, दिल्ली, हरियाणा और उत्तराखंड समेत 4 राज्यों में आतंक फैला रखा है. पुलिसकर्मियों की हत्या और थानों से हथियार लूटना, खुलेआम वाहनों को हाईजैक कर लूटपाट करना, कग्गा गैंग का आतंक फैलाने का यही पैटर्न था. पश्चमी युपी में इस गैंग ने अपहरण, हत्या और फिरौती को उद्योग बनाया हुआ था. जो इनकी बात नहीं मानता था, उसे दिनदहाड़े मौत के घाट उतार दिया जाता था. बता दें कि 2011 में कग्गा गैंग के सरगना मुस्तफा के एनकाउंटर के बाद मुकीम गैंग को संभाल रहा था. फिर उसके बाद अरशद भी इसमें शामिल हो गया, जो मुकीम काला का दाहिना हाथ बन गया. 2021 में मुकीम काला की हत्या के बाद अरशद पूरी तरह से इसी पैटर्न पर गैंग को संचालित कर रहा था. मुस्तफा उर्फ कग्गा सहारनपुर के बाढ़ी माजरा का रहने वाला था.
मुस्तफा के निशाने पर रहती थी पुलिस: मुस्तफा उर्फ कग्गा के निशाने पर पुलिस रहती थी. थानों के सामने गाड़ी खड़ी कर बंदूक की नोक पर हथियार लूट लेता था. वह पुलिस पर गोलियां चलाने से भी नहीं हिचकिचाता था. कग्गा ने एसओजी के सर्विलांस एक्सपर्ट कांस्टेबल सचिन की हत्या कर थी. फिर उसने दो सिपाहियों की हत्या कर उनकी राइफलें भी लूट ली थीं. 20 जून 2011 को कग्गा ने मुखबिरी के शक में कैराना के खुरगान निवासी जुल्फान उर्फ काला की हत्या कर दी थी.
ऐसे मारा गया कग्गा: लखनऊ में क्राइम मीटिंग हुई थी, जिसमें डीजीपी बृजलाल ने कार्रवाई के निर्देश दिए थे. जिसके बाद एडीजे एनसीआर केएल मीना और डीआईजी सहारनपुर जेएन सिंह ने कई दिनों तक क्षेत्र में डेरा डालकर मिशन कग्गा की रणनीति बनाई थी. 2011 में पुलिस को सूचना मिली थी कि मुस्तफा उर्फ कग्गा बीनपुर गांव के जंगल में बड़ी वारदात करने जा रहा है. जिसके बाद चमन सिंह चावड़ा ने एसओजी प्रभारी प्रशांत कपिल और उनकी टीम को साथ लिया. आमने-सामने की मुठभेड़ हुई, जिसमें कग्गा मुठभेड़ में मारा गया. उस समय मुकीम काला भाग गया था. हालांकि कग्गा की गर्लफ्रेंड फातिमा पकड़ी गई थी.
कग्गा गैंग में मुकीम की एंट्री: मुकीम काला ने 20 जून 2011 को मुस्तफा कग्गा के गैंग में एंट्री की थी. इनामी अरशद उसका दाहिना हाथ बन गया. गांव जहानपुरा निवासी मुकीम काला, अरशद और जंधेड़ी निवासी साबिर के परिवारों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. वे मजदूरी कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे. धीरे-धीरे मुकीम काला वेस्ट यूपी की अपराध दुनिया का बड़ा नाम बन गया. शामली, कैराना, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, पानीपत, सोनीपत और देहरादून के व्यापारी और राजनेता मुकीम काला का नाम सुनते ही डर जाते थे. मुकीम पुलिस पर फायरिंग करने से पहले नहीं सोचता था. इसी डर के चलते कोई भी उसके गिरोह के बारे में सूचना नहीं दे पाता था. मुकीम काला और साबिर काना कुख्यात मुस्तफा उर्फ कग्गा के शार्प शूटर थे. यूपी और हरियाणा सरकार ने उस पर दो लाख का इनाम घोषित कर रखा था. मुकीम काला पर 11 साल में 61 मुकदमे दर्ज हुए. इनमें से ज्यादातर मुकदमे रंगदारी और हत्या के थे.
पहला केस 16 साल की उम्र में: मुकीम काला के खिलाफ पहला केस 2008 में 16 साल की उम्र में दर्ज हुआ था. वह जेल गया और बाहर आकर उसने अपराध की दुनिया का डॉन बनने का सपना देखना शुरू कर दिया. 2010 मुकीम काला के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ. मुकीम की उम्र करीब 19 साल रही होगी. उन दिनों वह पानीपत में एक ठेकेदार के पास मजदूरी करता था. ठेकेदार ने काला को मेहनती समझकर उसे काम दे दिया, लेकिन, मुकीम ने यहीं से अपने आपराधिक जीवन की शुरुआत की. एक दिन मुकीम ने अपने एक साथी के साथ मिलकर अपने मालिक से 19 लाख रुपये लूट लिए. उसने गोलियां चलाईं और भाग गया. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर करनाल जेल भेज दिया. यह जेल मुकीम के लिए अपराध की पाठशाला साबित हुई. जेल में मुकीम की मुलाकात वेस्ट यूपी के कुख्यात गैंगस्टर मुस्तफा कग्गा से हुई. कग्गा के एनकाउंटर के बाद मुकीम ने गैंग का नाम बदलकर मुकीम गैंग कर लिया. कैराना में कई बड़ी लूटपाट करने के बाद इसने गैंग का नाम बदलकर मुकीम गैंग कर लिया.
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