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बलरामपुर अस्पताल में फार्मासिस्ट के सहारे यूनानी ओपीडी, मरीज परेशान - opd

बलरामपुर अस्पताल के ओपीडी में इलाज की आस में आने वाले मरीजों के हाथ निराशा ही लग रही है. विज्ञान भवन के प्रथम तल पर स्थित ओपीडी में जब वह पहली मंजिल चढ़कर हांफते हुए पहुंचते हैं, तो उन्हें पता चलता है कि यूनानी डॉक्टर की तैनाती ही नहीं है.

बलरामपुर अस्पताल में फार्मासिस्ट के सहारे यूनानी ओपीडी, मरीज परेशान
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Published : Apr 5, 2019, 7:16 PM IST

बलरामपुर : बलरामपुर अस्पताल में यूनानी चिकित्सा का लाभ मरीजों को नहीं मिल पा रहा है क्योंकि यहां पर यूनानी डॉक्टर ही नहीं हैं. पिछले तीन साल से पद रिक्त है, जिसकी वजह से रोज आने वाले मरीजों को बिना इलाज के ही वापस लौटना पड़ रहा है. ओपीडी में यूनानी डॉक्टर तो हैं नहीं तो फार्मेसिस्ट ही मरीजों को उपचार के तरीके समझा रहे हैं. ऐसे में ओपीडी में आने वाले मरीजों को डॉक्टर का इंतजार है लेकिन कब डॉक्टर तैनात होंगे, इसका स्पष्ट जवाब कोई देने वाला कोई नहीं है.

बलरामपुर अस्पताल में यूनानी ओपीडी में डॉक्टरों की नही है तैनाती, देखें वीडियो

ओपीडी में रोजाना इलाज की आस में आने वाले मरीजों के हाथ निराशा ही लग रही है. विज्ञान भवन के प्रथम तल पर स्थित ओपीडी में जब वह पहली मंजिल चढ़कर हांफते हुए पहुंचते हैं, तो उन्हें पता चलता है कि यूनानी डॉक्टर की तैनाती ही नहीं है और सिर पर हाथ रख कर वह बैठ जाते हैं. वहीं, जब इस मामले में बलरामपुर अस्पताल के निदेशक से पूछा गया तो उन्होंने सारा दोष सीएमओ लखनऊ के सिर पर मढ़ दिया.

बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉक्टर राजीव लोचन के बातचीत से मना करने के बाद जब मुख्य चिकित्सा अधिकारी लखनऊ डॉक्टर नरेंद्र अग्रवाल से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि जल्द ही व्यवस्थाओं को दुरुस्त कर दिया जाएगा और मरीजों को लाभ मिलने लगेगा.

बलरामपुर : बलरामपुर अस्पताल में यूनानी चिकित्सा का लाभ मरीजों को नहीं मिल पा रहा है क्योंकि यहां पर यूनानी डॉक्टर ही नहीं हैं. पिछले तीन साल से पद रिक्त है, जिसकी वजह से रोज आने वाले मरीजों को बिना इलाज के ही वापस लौटना पड़ रहा है. ओपीडी में यूनानी डॉक्टर तो हैं नहीं तो फार्मेसिस्ट ही मरीजों को उपचार के तरीके समझा रहे हैं. ऐसे में ओपीडी में आने वाले मरीजों को डॉक्टर का इंतजार है लेकिन कब डॉक्टर तैनात होंगे, इसका स्पष्ट जवाब कोई देने वाला कोई नहीं है.

बलरामपुर अस्पताल में यूनानी ओपीडी में डॉक्टरों की नही है तैनाती, देखें वीडियो

ओपीडी में रोजाना इलाज की आस में आने वाले मरीजों के हाथ निराशा ही लग रही है. विज्ञान भवन के प्रथम तल पर स्थित ओपीडी में जब वह पहली मंजिल चढ़कर हांफते हुए पहुंचते हैं, तो उन्हें पता चलता है कि यूनानी डॉक्टर की तैनाती ही नहीं है और सिर पर हाथ रख कर वह बैठ जाते हैं. वहीं, जब इस मामले में बलरामपुर अस्पताल के निदेशक से पूछा गया तो उन्होंने सारा दोष सीएमओ लखनऊ के सिर पर मढ़ दिया.

बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉक्टर राजीव लोचन के बातचीत से मना करने के बाद जब मुख्य चिकित्सा अधिकारी लखनऊ डॉक्टर नरेंद्र अग्रवाल से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि जल्द ही व्यवस्थाओं को दुरुस्त कर दिया जाएगा और मरीजों को लाभ मिलने लगेगा.

Intro:एंकर- बलरामपुर अस्पताल में यूनानी चिकित्सा का लाभ मरीजों को नहीं मिल रहा है क्योंकि यहां पर यूनानी डॉक्टर ही नहीं है। पिछले 3 साल से पद रिक्त है। इसके वजह से रोज आने वाले मरीजों को बिना इलाज के ही वापस लौटना पड़ रहा है। ओपीडी में यूनानी डॉक्टर तो है ही नहीं तो वही फार्मेसिस्ट मरीजों को उपचार के तरीके समझा रहे हैं।


Body:वी.ओ-बलरामपुर अस्पताल में यूनानी चिकित्सा का लाभ मरीजों को नहीं मिल रहा है क्योंकि यहां पर यूनानी डॉक्टर ही नहीं है। पिछले 3 साल से पद रिक्त है इसके वजह से रोज आने वाले मरीजों को बिना इलाज के ही वापस लौटना पड़ रहा है। ओपीडी में यूनानी डॉक्टर तो है ही नहीं तो वही फार्मेसिस्ट मरीजों को उपचार के तरीके समझा रहे हैं। ऐसे में ओपीडी में आने वाले को मरीजों को डॉक्टर का इंतजार है । लेकिन कब डॉक्टर तैनात होंगे लेकिन इसका स्पष्ट जवाब कोई देने वाला नहीं है। फिलहाल चुनाव आचार संहिता के खत्म होने का इंतजार हो रहा है। ओपीडी में रोजाना इलाज की आस में आने दर्जन मरीजों के हाथ निराशा लग रही है। बुधवार को ओपीडी में आए तमाम मरीजों को विज्ञान भवन के प्रथम ताल पर ओपीडी में 1 मंजिल चढ़कर मरीज हाफते पहुंचते हैं। तो उन्हें पता चलता है कि यूनानी डॉक्टर की तैनाती ही नहीं है और सिर पर हाथ रख कर बैठ जाते हैं। 2013 जनवरी में राजधानी के छोटे-बड़े करीब 1 दर्जन से अधिक अस्पतालों में खोली गई इसमें आयुर्वेद यूनानी और योग के विशेषज्ञ एक साथ किए गए ।इसके पीछे उद्देश्य एक छत के नीचे चिकित्सा पद्धति चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा मिले। जिला बलरामपुर के निदेशक से बातचीत करने का प्रयास किया तो उन्होंने ठीकरा सीएमओ लखनऊ के सर पर फोड़ दिया।

बाइट- डॉ. राजीव लोचन, निदेशक, बलरामपुर अस्पताल

वी.ओ- अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहे। बलरामपुर के निदेशक डॉक्टर राजीव लोचन के बातचीत से मना करने के बाद हम मुख्य चिकित्सा अधिकारी लखनऊ डॉक्टर नरेंद्र अग्रवाल के पास पहुंचे उनसे बातचीत में उन्होंने कहा कि जल्दी व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया जाएगा और मरीजों को लाभ मिलने लगेगा।

बाइट- डॉ. नरेंद्र अग्रवाल , सीएमओ, लखनऊ

वी.ओ- उम्मीद है आचार संहिता हटने के बाद अस्पतालों में व्यवस्था सुधरेगी और जो मरीज मायूस होकर लौट रहे हैं और इलाज से वंचित रह जा रहे हैं उन्हें भी उचित उपचार मिल सकेगा जिससे उनके जीवन में तमाम मर्जो से से छुटकारा मिल पाएगा।


Conclusion:
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