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बलरामपुर में 40 गोशालाएं, फिर भी लोग छुट्टा गोवंशों से परेशान

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में आम जनता छुट्टा जानवरों से काफी परेशान हैं. जिले में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार मिशन के तहत तकरीबन 8 करोड़ 25 लाख रुपये खर्च कर तकरीबन 40 गोशालाओं का निर्माण करवाया जा चुका है, लेकिन इसके बाद भी छुट्टा जानवरों से लोग परेशान हैं.

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Published : Dec 9, 2019, 3:08 PM IST

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छुट्टा गोवंशों से लोग परेशान.

बलरामपुर: जिले में छुट्टा जानवरों की संख्या बढ़ती जा रही है, जिसे आम जनता परेशान है. आए दिन छुट्टा जानवरों की वजह से सड़कों पर हादसे होते हैं. साथ ही जानवर किसानों की फसलें नष्ट कर देते हैं. हालात यह हैं कि किसानों ने अपने खेतों में कटीले तार लगाने शुरू कर दिए हैं.

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा छुट्टा जानवरों के लिए लागू की गई गोशाला योजना भी कोई मदद नहीं कर पा रही है. साथ ही सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ के कड़े दिशा-निर्देश भी बेकार साबित हो रहे हैं. जिले में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार मिशन के तहत तकरीबन 8 करोड़ 25 लाख रुपये खर्च कर तकरीबन 40 गोशालाओं का निर्माण करवाया जा चुका है.

छुट्टा गोवंशों से लोग परेशान.

महीने में औसतन होते हैं 15 एक्सीडेंट
जिला प्रशासन का दावा है कि गोशालाओं में 1600 छुट्टा गोवंशों को पाला जा रहा है, लेकिन इन गोशालाओं का निर्माण ऐसी जगह पर करवाया गया है, जहां पर न तो गाय पहुंच सकती हैं और न ही उनकी देख-रेख के लिए कोई व्यक्ति रह सकता है. इस कारण अधिकतर गोवंश या तो सड़कों पर दिखाई देते हैं या किसानों के खेत में. अगर गोवशों के कारण सड़कों पर होने वाले एक्सीडेंट की बात की जाए तो महीने में औसतन 15 एक्सीडेंट होते हैं. कई दफा एक्सीडेंट इतने भीषण होते हैं कि लोगों की जान तक चली जाती है.

ऑटो ड्राइवर तौरंग बताते हैं कि गोवंशों के कारण सड़क पर चलना मुश्किल हो गया है. अब न तो हम तेजी से अपनी सवारियों को उनके गंतव्य तक पहुंचा पाते हैं और न ही हमें सड़कों पर सुरक्षित रहने का अधिकार प्राप्त है. सड़कों पर अब केवल गोवंश का कब्जा है. तौरंग का कहना है कि कई बार रात में सड़क पर गाय बैठी रहती है और दिखाई नहीं देती. इस कारण बड़े भीषण एक्सीडेंट हो जाते हैं.

छुट्टा जानवरों से किसान परेशान
किसान अकबर अली का कहना है कि हमने पिछले साल हजारों रुपये खर्च कर खेत में कटीले तार भी लगवाए थे, लेकिन अब तो उसका भी कोई असर नहीं हो रहा है. गोवंश खेतों में घुस जाते हैं और फसलों का नुकसान कर देते हैं.

जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश का कहना है कि गोवंशों से सड़कों को खाली करवाने के लिए गोशालाओं का निर्माण करवाया जा रहा है. चार बृहद गो संवर्धन केंद्र पूरे जिले में बनाए जा रहे हैं. साथ ही हर नगर पालिका और नगर पंचायत क्षेत्र में गोशालाओं का निर्माण करवाया जा रहा है. इसके अलावा पंचायतों में भी गोशालाओं का निर्माण करवाया जा रहा है.

बलरामपुर: जिले में छुट्टा जानवरों की संख्या बढ़ती जा रही है, जिसे आम जनता परेशान है. आए दिन छुट्टा जानवरों की वजह से सड़कों पर हादसे होते हैं. साथ ही जानवर किसानों की फसलें नष्ट कर देते हैं. हालात यह हैं कि किसानों ने अपने खेतों में कटीले तार लगाने शुरू कर दिए हैं.

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा छुट्टा जानवरों के लिए लागू की गई गोशाला योजना भी कोई मदद नहीं कर पा रही है. साथ ही सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ के कड़े दिशा-निर्देश भी बेकार साबित हो रहे हैं. जिले में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार मिशन के तहत तकरीबन 8 करोड़ 25 लाख रुपये खर्च कर तकरीबन 40 गोशालाओं का निर्माण करवाया जा चुका है.

छुट्टा गोवंशों से लोग परेशान.

महीने में औसतन होते हैं 15 एक्सीडेंट
जिला प्रशासन का दावा है कि गोशालाओं में 1600 छुट्टा गोवंशों को पाला जा रहा है, लेकिन इन गोशालाओं का निर्माण ऐसी जगह पर करवाया गया है, जहां पर न तो गाय पहुंच सकती हैं और न ही उनकी देख-रेख के लिए कोई व्यक्ति रह सकता है. इस कारण अधिकतर गोवंश या तो सड़कों पर दिखाई देते हैं या किसानों के खेत में. अगर गोवशों के कारण सड़कों पर होने वाले एक्सीडेंट की बात की जाए तो महीने में औसतन 15 एक्सीडेंट होते हैं. कई दफा एक्सीडेंट इतने भीषण होते हैं कि लोगों की जान तक चली जाती है.

ऑटो ड्राइवर तौरंग बताते हैं कि गोवंशों के कारण सड़क पर चलना मुश्किल हो गया है. अब न तो हम तेजी से अपनी सवारियों को उनके गंतव्य तक पहुंचा पाते हैं और न ही हमें सड़कों पर सुरक्षित रहने का अधिकार प्राप्त है. सड़कों पर अब केवल गोवंश का कब्जा है. तौरंग का कहना है कि कई बार रात में सड़क पर गाय बैठी रहती है और दिखाई नहीं देती. इस कारण बड़े भीषण एक्सीडेंट हो जाते हैं.

छुट्टा जानवरों से किसान परेशान
किसान अकबर अली का कहना है कि हमने पिछले साल हजारों रुपये खर्च कर खेत में कटीले तार भी लगवाए थे, लेकिन अब तो उसका भी कोई असर नहीं हो रहा है. गोवंश खेतों में घुस जाते हैं और फसलों का नुकसान कर देते हैं.

जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश का कहना है कि गोवंशों से सड़कों को खाली करवाने के लिए गोशालाओं का निर्माण करवाया जा रहा है. चार बृहद गो संवर्धन केंद्र पूरे जिले में बनाए जा रहे हैं. साथ ही हर नगर पालिका और नगर पंचायत क्षेत्र में गोशालाओं का निर्माण करवाया जा रहा है. इसके अलावा पंचायतों में भी गोशालाओं का निर्माण करवाया जा रहा है.

Intro:सियासतदानों ने सियासी गोवंश पर शतरंज की चाल चलके प्रदेश की सत्ता तक हासिल कर ली। लेकिन अब कोई सियासत दान इन्हें पूछने वाला भी नहीं है। ये छुट्टा जानवर आज सड़कों पर न केवल राहगीरों के लिए मुसीबत का सबब बन रहे हैं। बल्कि आज की तारीख में एक्सीडेंट डाटा बढ़ाने में इनका बड़ा योगदान है। इसके अलावा ये गोवंश किसानों के लिए भी नुकसानदायक साबित हो रहे हैं।


Body:बलरामपुर जिले के किसी भी मार्ग या गांव में आप निकल जाएं सैंकड़ों की संख्या में गोवंश आपको सड़कों पर खड़े या लेटे या फसलों को नष्ट करते दिखाई दे जाएंगे। इनसे न केवल सड़कों पर चलना मुश्किल हो है। बल्कि इन गोवंश के कारण किसानों की फसलें बुरी तरह नष्ट हो रही हैं। कई किसानों ने तो अपने खेतों को परती छोड़ रखा है और कई ने अपने खेतों के चारों ओर कटीले तार लगा रखें हैं। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा छुट्टा जानवरों के लिए लागू की गई गौशाला योजना भी इसमें कोई मदद नहीं कर पा रही है। और न ही सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ के कड़े दिशा निर्देश। सारे के सारे कवायद बेकार साबित हो रहे हैं। बलरामपुर जिले में भी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार मिशन के तहत तकरीबन 8 करोड़ 25 लाख रुपए खर्च करके तकरीबन गाँवों में 40 गौशालाओं का निर्माण करवाया जा चुका है। जिसके बाबत जिला प्रशासन का दावा है कि गोशालाओं में 1600 छुट्टा गोवंशों को पाला जा रहा है। लेकिन इन गौशालाओं का निर्माण ऐसी जगह पर करवाया गया है। जहां पर ना तो गाय पहुंच सकती हैं और ना ही उनकी देखरेख के लिए कोई व्यक्ति रह सकता है। इस कारण अधिकतर गोवंश या तो सड़कों पर दिखाई देते हैं या किसानों के खेत में। बलरामपुर जिले में अगर गोवशों के कारण सड़कों पर होने वाले एक्सीडेंट की बात की जाए तो महीने में औसतन 15 एक्सीडेंट होते हैं। कई दफा एक्सीडेंट इतने भीषण होते हैं कि लोगों की जान तक चली जाती है। कई दफा गोवंशों को बचाने के चक्कर में बड़ी-बड़ी गाड़ियां व बसें पलट तक जाती हैं।


Conclusion:इस बारे में हम से बात करते हुए एक ऑटो ड्राइवर तौरंग बताते हैं कि गोवंशों के कारण राह चलना मुश्किल हो गया है। अब ना तो हम तेजी से अपनी सवारियों को उनके गंतव्य तक पहुंचा पाते हैं। ना ही हमें सड़कों पर सुरक्षित रहने का अधिकार ही प्राप्त है क्योंकि सड़कों पर अब केवल गोवंश का कब्जा है। वह कहते हैं कि कई दफा रात में सड़क पर गाय बैठी रहती है और दिखाई नहीं देती। इस कारण बड़े भीषण एक्सीडेंट हो जाते हैं। रोजाना दो-चार लोग तो इस तरह के एक्सीडेंट में घायल हो ही रहे हैं। कई दफा एक्सीडेंट इतने भीषण होते हैं कि लोगों की जान तक चली जाती है। वही पेशे से किसान अकबर अली बताते हैं कि भवनों के कारण अब हमारी कोई भी फसल नहीं बचाती है। हमने पिछले साल हजारों रुपए खर्च करके कटीले तार भी लगवाए थे। लेकिन अब तो उसका भी कोई असर नहीं हो रहा है। गोवंश खेतों में घुस जाते हैं और फसलों का नुकसान कर देते हैं। उन्होंने कहा कि अगर गोवंश पर रोक लगाई जा सकती है तो इसके लिए बड़े-बड़े गौशालाओं का निर्माण करवाना होगा। क्योंकि लोग जानवरों को अपने उपयोग के बाद खुला छोड़ देते हैं और वही जानवर सड़कों पर और खेतों में आतंक मचाते हैं। इस मामले पर बात करते हुए जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश कहते हैं कि जिले कि गोवंशों से सड़कों को खाली करवाने के लिए गौशालाओं का निर्माण करवाया जा रहा है। चार बृहद गो संवर्धन केंद्र पूरे जिले में बनाए जा रहे हैं। वहीं हर नगर पालिका व नगर पंचायत क्षेत्र में भी गौशालाओं का निर्माण करवाया जा रहा है। इसके अलावा पंचायतों में भी गौशालाओं का निर्माण करवाया जा रहा है। जिनमें से 40 का निर्माण पूरा हो चुका है। बाईट क्रमशः :- 1 :- तौरंग, ऑटो ड्राइवर 2:- अकबर अली, किसान 3:- कृष्णा करुणेश, जिलाधिकारी 4 :- योगेंद्र त्रिपाठी, पीटीसी, 9839325432
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