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किसानों को नहीं मिल रही सिंचाई की व्यवस्था, बंजर हो रहे हजारों हेक्टेयर खेत

यहां सरयू नहर और राप्ती नहर परियोजना पर तकरीबन 40 साल से काम चल रहा है. कई बांधों का निर्माण भी कराया गया, लेकिन उन बांधों से भी पानी खेतों तक नहीं पहुंचा है. इससे किसान परेशान हैं.

यहां लगभग 70 गांवों में आज तक सिंचाई की कोई व्यवस्था नहीं है.
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Published : Mar 6, 2019, 2:02 PM IST

बलरामपुर : बलरामपुर जिला अति महत्वाकांक्षी जिलों की श्रेणी में आता है. यहां पर विकास की तमाम इन संभावनाओं की जांच और मॉनिटरिंग खुद केंद्र और राज्य सरकारें नीति आयोग के साथ मिलकर कर रही हैं, लेकिन यहां पर सिंचाई की कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई है. इस कारण किसान बड़ी मुशिकल से खेती कर पाते हैं.

गांवों में सिंचाई की व्यवस्था नहीं होने से किसान परेशान.


गैसड़ी और पचपेड़वा के लगभग 70 गांवों में आज तक सिंचाई की कोई व्यवस्था नहीं है. यहां पर किसानों को बमुश्किल एक फसल का लाभ ही मिल पाता है, जबकि अगर सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो जाए तो रवि और खरीफ दोनों फसलों में बराबर उत्पादन किया जा सकता है.

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आज़मडीह के किसान कहते हैं कि बगल में कोहरगड्डी बांध बना हुआ है. जहां से सिंचाई की व्यवस्था अगर सरकार चाहे तो करवा सकती है, लेकिन पानी न मिल पाने के कारण हम केवल बरसात के मौसम में ही खेती कर पाते हैं. रवि की फसल में हमें किसी तरह का कोई लाभ नहीं मिल पाता है.

बलरामपुर : बलरामपुर जिला अति महत्वाकांक्षी जिलों की श्रेणी में आता है. यहां पर विकास की तमाम इन संभावनाओं की जांच और मॉनिटरिंग खुद केंद्र और राज्य सरकारें नीति आयोग के साथ मिलकर कर रही हैं, लेकिन यहां पर सिंचाई की कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई है. इस कारण किसान बड़ी मुशिकल से खेती कर पाते हैं.

गांवों में सिंचाई की व्यवस्था नहीं होने से किसान परेशान.


गैसड़ी और पचपेड़वा के लगभग 70 गांवों में आज तक सिंचाई की कोई व्यवस्था नहीं है. यहां पर किसानों को बमुश्किल एक फसल का लाभ ही मिल पाता है, जबकि अगर सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो जाए तो रवि और खरीफ दोनों फसलों में बराबर उत्पादन किया जा सकता है.

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आज़मडीह के किसान कहते हैं कि बगल में कोहरगड्डी बांध बना हुआ है. जहां से सिंचाई की व्यवस्था अगर सरकार चाहे तो करवा सकती है, लेकिन पानी न मिल पाने के कारण हम केवल बरसात के मौसम में ही खेती कर पाते हैं. रवि की फसल में हमें किसी तरह का कोई लाभ नहीं मिल पाता है.

Intro:(नोट - लाइव यू से फीड जा रही है। कृपया संज्ञान लें।)

जिले के लिए तो बलरामपुर जिला अति महत्वाकांक्षी जिलों की श्रेणी में आता है। जहां पर विकास की तमाम इन संभावनाओं की जांच और मॉनिटरिंग खुद केंद्र और राज्य सरकारें नीति आयोग के साथ मिलकर कर रही। लेकिन बलरामपुर जिले में शायद गंगा उल्टी बह रही है। यहां पर विकास की मूलभूत सुविधाओं में इतनी कमी है कि किसान और आम इंसान ना तो ढंग से अपनी खेती कर पाते हैं और ना ही इन समस्याओं पर सरकार कोई ध्यान दे पा रही।
हरैया सतघरवा, तुलसीपुर, गैसड़ी, पचपेड़वा सहित जिले के सभी 9 ब्लाकों में सरयू नहर और राप्ती नहर परियोजना लागू है। इस परियोजना पर तकरीबन 40 साल से काम चल रहा है। लेकिन काम पूरा नहीं हो सका। कई बांधों का निर्माण भी कराया गया है लेकिन उन बांधों से पानी खेतों तक आज तक नहीं पहुंच सका है।


Body:गैसड़ी और पचपेड़वा के लगभग 70 गांवों में आजतक सिंचाई की कोई व्यवस्था नहीं है। यहां पर किसानों को बमुश्किल एक फसल का लाभ ही मिल पाता है। जबकि अगर सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो जाए। तो रवि और खरीफ दोनों फसलों में बराबर उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
आज़मडीह के किसान अपनी समस्याओं पर बात करते हुए कहते हैं कि बगल में कोहरगड्डी बांध बना हुआ है। जहां से सिंचाई की व्यवस्था अगर सरकार चाहे तो करवा सकती है। लेकिन सरकार के पास इच्छाशक्ति ना होने के कारण हमारे हजारों हेक्टेयर खेत सूखे रह जाते हैं। पानी ना मिल पाने के कारण हम केवल बरसात के मौसम में ही खेती कर पाते हैं। रवि की फसल में हमें किसी तरह का कोई लाभ नहीं मिल पाता।
कुछ किसान कहते हैं कि स्थानीय विधायक शैलेंद्र प्रताप सिंह शैलू ने वोट लेते वक्त वायदा किया था कि कोहर गड्डी बांध से निकलने वाले नहर को पुनः जीवित किया जाएगा। उसकी मरम्मत इत्यादि करवा कर कोहरगड्डी से गौरा तक के किसानों को लाभ दिलवाया जाएगा। लेकिन वायदे तो फायदे होते हैं। किस नेता ने अपना वादा पूरा किया है।
किसान बताते हैं कि सिंचाई व्यवस्था ना होने की जद में पचपेड़वा ब्लॉक के अकेले 50 ग्राम सभाएं आती हैं, जिनमें मिश्रौलिया, बनकटवा, नयनगरा, हरिहरपुर, पोखरभिटवा, कुशमहा, बिंदापुर, आज़मडीह, कुकुरभिटवा, मौजपुर, रामनगरा, फरेंदी गौरा गौरीडीह सोहनवा आतें है।


Conclusion:बलरामपुर में सिंचाई की समस्या इतनी बड़ी है कि इसे हल करने की जहमत अधिकारी भी नहीं उठाना चाहते। अधिकारी और नेता जनता को बार-बार आश्वासन तो देते हैं। लेकिन आश्वासन पूरा कब होगा? इसे बताना मुनासिब नहीं समझते जनता लगातार वायदों पर वायदे पाते हुए। बस मुंह ताकती रह जाती है।
जब इस समस्या पर हमने अधिकारियों और स्थानीय विधायक शैलू सिंह से बात करनी चाहिए तो किसी ने भी फोन नहीं उठाया।
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