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बलरामपुरः पूरा जिला ओडीएफ घोषित पर लाभार्थियों को नहीं मिले शौचालय

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Published : Dec 11, 2019, 2:38 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट 'खुले में शौच मुक्त भारत' की असल हकीकत उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में कुछ और ही है. दरअसल जिले में स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनने वाले शौचालयों में एक ईंट तक नहीं रखी गई.

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लाभार्थियों को नहीं मिले शौचालय.

बलरामपुरः सरकारी आंकड़ों की बानगी और जमीनी हकीकत में कितना फर्क होता है यह मालूम करना है तो स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाए गए शौचालयों की हकीकत गांवों में जाकर देखिए. देश के सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले प्रदेश में दावा तो यूं किया जा रहा है कि अब कोई खुले में शौच नहीं जाता, लेकिन बलरामपुर गांवों में लाभार्थियों को सिर्फ कागजों में लाभ दे दिया गया.

लाभार्थियों को नहीं मिले शौचालय.

अधर में शौचालय निर्माण कार्य
सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय निर्माण के लिए जिले में कुछ 2,52,000 लाभार्थियों को तकरीबन 300 करोड़ रुपये प्रोत्साहन राशि या ठेके के माध्यम शौचालय बनवाने का दावा किया था, लेकिन गांव दर गांव अब जांच के घेरे में हैं.

अधिकारियों की जेब में लाभार्थियों के पैसे
सूत्रों के मुताबिख कुछ गांवों में लाभार्थियों को लाभ देने के नाम पर अधिकारियों और ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधियों ने उनके पैसे तक डकार लिए और उनके यहां शौचालय बनने के लिए एक ईंट तक नहीं रखी. इस मामले में डीएम और मुख्य विकास अधिकारी ने कार्रवाई करते हुए कुछ ग्राम सचिवों का वेतन तक काट लिया.

पैसों को किया गया बंदरबाट
स्वच्छ भारत मिशन के दावों को परखने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने जिले के सबसे पिछड़े ब्लॉक शुमार गैंसड़ी के ग्रामसभा लठावर का रुख किया. यहां से जो तस्वीरें निकल कर आईं वह वास्तव में चौंका देने वाली थी. पूरे गांव में एसबीएम, एलओवी फेज वन और एलओवी फेज टू के तहत तकरीबन 350 परिवारों का चयन हुआ था, जिसमें से करीब 150-200 गरीब परिवारों को इस योजना का लाभ दिया गया. बाकी के पैसे चेक के माध्यम से निकाल कर बंदरबाट कर लिया गया.

लोगों को अनहोनी का डर
यहां की कई महिला लाभार्थियों ने बताया कि उन्हें शौचालय नहीं मिला है. आज भी वह लोग हर मौसम में खुले में शौच के लिए जाते हैं. साथ ही उनका कहना था कि उन्हें डर भी लगता है कि कोई अनहोनी न हो जाए.

जांच के घेरे में सभी गांव
इस योजना की प्रगति और जांच के बारे में बात करते हुए मुख्य विकास अधिकारी अमनदीप डुली ने कहा कि शौचालय बनवाने की स्थिति के बारे में जिले के लगभग सभी गांव जांच के घेरे में हैं. इसका कारण यह है कि स्वच्छ भारत मिशन और एलओवी में हमारा अप्रूवल रेट बहुत अच्छा नहीं था. इस मामले में अधिकारियों द्वारा ढिलाई बरतने पर लगातार कार्रवाई की जा रही हैं.

मुख्य विकास अधिकारी ने बताया कि लाभार्थियों को लाभ न पहुंचने की स्थिति में कुछ ग्राम प्रधानों और कुछ ग्राम सचिवों पर कार्रवाई भी की गई है. जिन गांवों में लाभार्थियों को लाभ नहीं मिला, उनके लिए विशेष व्यवस्था की जा रही है.

इसे भी पढ़ें- कागजों पर हरदोई जिला घोषित हुआ ओडीएफ, अभी भी गांवों में अधूरे पड़े हैं शौचालय

बलरामपुरः सरकारी आंकड़ों की बानगी और जमीनी हकीकत में कितना फर्क होता है यह मालूम करना है तो स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाए गए शौचालयों की हकीकत गांवों में जाकर देखिए. देश के सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले प्रदेश में दावा तो यूं किया जा रहा है कि अब कोई खुले में शौच नहीं जाता, लेकिन बलरामपुर गांवों में लाभार्थियों को सिर्फ कागजों में लाभ दे दिया गया.

लाभार्थियों को नहीं मिले शौचालय.

अधर में शौचालय निर्माण कार्य
सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय निर्माण के लिए जिले में कुछ 2,52,000 लाभार्थियों को तकरीबन 300 करोड़ रुपये प्रोत्साहन राशि या ठेके के माध्यम शौचालय बनवाने का दावा किया था, लेकिन गांव दर गांव अब जांच के घेरे में हैं.

अधिकारियों की जेब में लाभार्थियों के पैसे
सूत्रों के मुताबिख कुछ गांवों में लाभार्थियों को लाभ देने के नाम पर अधिकारियों और ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधियों ने उनके पैसे तक डकार लिए और उनके यहां शौचालय बनने के लिए एक ईंट तक नहीं रखी. इस मामले में डीएम और मुख्य विकास अधिकारी ने कार्रवाई करते हुए कुछ ग्राम सचिवों का वेतन तक काट लिया.

पैसों को किया गया बंदरबाट
स्वच्छ भारत मिशन के दावों को परखने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने जिले के सबसे पिछड़े ब्लॉक शुमार गैंसड़ी के ग्रामसभा लठावर का रुख किया. यहां से जो तस्वीरें निकल कर आईं वह वास्तव में चौंका देने वाली थी. पूरे गांव में एसबीएम, एलओवी फेज वन और एलओवी फेज टू के तहत तकरीबन 350 परिवारों का चयन हुआ था, जिसमें से करीब 150-200 गरीब परिवारों को इस योजना का लाभ दिया गया. बाकी के पैसे चेक के माध्यम से निकाल कर बंदरबाट कर लिया गया.

लोगों को अनहोनी का डर
यहां की कई महिला लाभार्थियों ने बताया कि उन्हें शौचालय नहीं मिला है. आज भी वह लोग हर मौसम में खुले में शौच के लिए जाते हैं. साथ ही उनका कहना था कि उन्हें डर भी लगता है कि कोई अनहोनी न हो जाए.

जांच के घेरे में सभी गांव
इस योजना की प्रगति और जांच के बारे में बात करते हुए मुख्य विकास अधिकारी अमनदीप डुली ने कहा कि शौचालय बनवाने की स्थिति के बारे में जिले के लगभग सभी गांव जांच के घेरे में हैं. इसका कारण यह है कि स्वच्छ भारत मिशन और एलओवी में हमारा अप्रूवल रेट बहुत अच्छा नहीं था. इस मामले में अधिकारियों द्वारा ढिलाई बरतने पर लगातार कार्रवाई की जा रही हैं.

मुख्य विकास अधिकारी ने बताया कि लाभार्थियों को लाभ न पहुंचने की स्थिति में कुछ ग्राम प्रधानों और कुछ ग्राम सचिवों पर कार्रवाई भी की गई है. जिन गांवों में लाभार्थियों को लाभ नहीं मिला, उनके लिए विशेष व्यवस्था की जा रही है.

इसे भी पढ़ें- कागजों पर हरदोई जिला घोषित हुआ ओडीएफ, अभी भी गांवों में अधूरे पड़े हैं शौचालय

Intro:सरकारी आंकड़ों की बानगी और जमीनी हक़ीकत में कितना फ़र्क़ होता है। अगर आपको ये मालूम करना है तो स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाए गए शौचालयों की हकीकत गांवों में जाकर देखिए। देश के सबसे ज़्यादा जनसंख्या वाले सूबे उत्तर प्रदेश में दावा तो यूं किया जा रहा है कि अब कोई खुले में शौच नहीं जाता लेकिन गांवों में लाभार्थियों को काग़ज़ों में लाभ दे दिया गया है।

बलरामपुर जिले में कुछ 2,52,000 परिवारों के महिला या पुरुष लाभार्थियों को स्वच्छ भारत मिशन के तहत तकरीबन 300 करोड़ रुपए खर्च करके शौचालय निर्माण के लिए प्रोत्साहन राशि देने या शौचालय ठेके के माध्यम से बनवाने का दावा है। लेकिन गांव दर गांव अब जांच के घेरे में हैं। एक सूत्र के अनुसार कुछ गांवों में इस तरह की अनिमित्ता है कि लाभार्थियों को लाभ देने के नाम पर अधिकारियों और ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधियों ने मिलकर पैसे तक डकार लिए और उनके यहां शौचालय बनने के लिए एक ईंट तक नहीं रखी गयी।
अगर सूत्र की माने तो इस मामले में जिलाधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी ने कार्रवाई करते हुए कुछ ग्राम सचिवों का वेतन तक काटा है।


Body:खैर, स्वच्छ भारत मिशन के दावों को परखने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने जिले के सबसे पिछड़े ब्लॉक में शुमार गैंसड़ी के ग्रामसभा लठावर का रुख किया। यहां से जो तस्वीरें निकल कर आईं वह वास्तव में स्तब्ध करने वाली थी।
पूरे गांव एसबीएम, एलओवी फेज वन और एलओवी फेज टू के तहत तकरीबन 350 परिवारों का चयन हुआ। जिसमें से तकरीबन 150-200 गरीब परिवारों को इस योजना का लाभ दिया गया। बाकी के पैसे चेक के माध्यम से निकाल कर बंदरबाट कर लिया गया।
यहां के कई महिला लाभार्थियों ने हमसे बात करते हुए कहा कि हमें शौचालय नहीं मिला है। हम आज भी हर मौसम में खुले में शौच के लिए जाते हैं। लाभार्थियों ने कहा कि हमें भी डर लगता है कि कोई अनहोनी ना हो जाए लेकिन क्या करें हमारे प्रधान और सचिव ने हमें लाभ नहीं दिया।
कुछ ने तो ग्राम प्रधान पर यह आरोप तक लगाया कि हमें मुस्लिम होने की वजह से लाभ नहीं मिल रहा है। हमारा प्रधान कहता है कि मुस्लिमों ने हमें वोट नहीं दिया इसलिए हम किसी योजना का लाभ उन्हें नहीं देंगे।


Conclusion:वहीं, इस योजना की प्रगति और जांच के बारे में बात करते हुए मुख्य विकास अधिकारी अमनदीप डुली ने ईटीवी भारत से कहा कि स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण से जुड़े शौचालयों के बनवाने की स्थिति के बारे में जिले के लगभग सभी गांव जांच के घेरे में हैं। इसका कारण यह है कि स्वच्छ भारत मिशन और एलओवी में हमारा अप्रूवल रेट बहुत अच्छा नहीं था। अधिकारियों ने जो ढिलाई बरती थी। उसके लिए हम लोग लगातार कार्रवाई भी कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि बलरामपुर जिले के लगभग सभी गांव शौचालयों से जुड़ी समस्या के लिए जांच के घेरे में है। लाभार्थियों को लाभ ना पहुंचने की स्थिति में कुछ ग्राम प्रधानों और कुछ ग्राम सचिवों पर कार्रवाई भी की गई है। जैसे जांच की स्थिति साफ होती है। हम आपको असल बात बता सकेंगे। इसके अतिरिक्त जिन गांवों में लाभार्थियों को लाभ नहीं मिल सका है। उनके लिए विशेष व्यवस्था की जा रही है।

बाईट क्रमशः :-
अब्दुल गफ्फार, ग्रामीण/ लाभार्थी
जाफरान, ग्रामीण/ लाभार्थी
कितब्बुनिशां, ग्रामीण/ लाभार्थी
अमनदीप डुली, मुख्य विकास अधिकारी
योगेंद्र त्रिपाठी, पीटीसी, 9839325432
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