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बाढ़ की तबाही से पूर्वांचल को बचाने का प्रयास जारी, बांधों की डिसेंट्रिग योजना तैयार

बलरामपुर सहित पूर्वांचल के जिलों को बाढ़ की विभीषिका से बचाने के लिए प्रशासन ने जलाशयों और बांधों की डिसेंट्रिग कराए जाने की योजना बनाई है. इसकी मदद से कई जिलों को बाढ़ की विभीषिका से बचाया जा सकता है.

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बाढ़ की तबाही से पूर्वांचल को बचाने का प्रयास जारी
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Published : Aug 2, 2023, 7:24 PM IST

डीएम अरविंद कुमार सिंह ने दी जानकारी

बलरामपुर: जनपद बलरामपुर सहित पूर्वांचल के जिलों को बाढ़ की विभीषिका से बचाने के लिए जिला प्रशासन ने कमर कस ली है. प्रशासन ने बाढ़ से लाखों हेक्टेयर खड़ी फसल बचाने के साथ नई पहल करते हुए पायलट अभियान के तहत वन क्षेत्रों में पड़ने वाले जलाशयों और बांधों की डिसेंट्रिग कराए जाने की योजना बनाई है. जिला प्रशासन ने शासन स्तर पर अनापत्ति प्रमाण पत्र हासिल करने के साथ डिसेंट्रीग की रूपरेखा और एसओपी तैयार करने की तैयारी शुरू की है. यदि जिला प्रशासन इस योजना को अमली जामा पहनाने में सफल हो गया तो बलरामपुर, सिद्धर्थनगर, बस्ती, गोरखपुर सहित कई जिलों को बाढ़ की विभीषिका से बचाया जा सकता है.


बता दें कि पिछले 30 सालों से जिले के वन क्षेत्रों में पड़ने वाले बड़े जलाशयों और बांधों की डिसेंट्रिग का कार्य नहीं किया गया है. जिले में धोबहा, धोहनिया, खरझार, नकटी जैसे करीब 50 पहाड़ी नाले हैं. जिसका पानी नेपाल के पहाड़ों से होता हुआ बलरामपुर जिले में आता है. इन पहाड़ी नालों से पानी के साथ बहकर आने वाले पत्थर,बालू, बजडी से ये नाले धीरे धीरे पटते गए हैं. नेपाल के पहाड़ी नालों से आने वाला पानी इन जलाशयों और बांधों में न जाकर राप्ती, बूढी राप्ती नदियों में जाकर विकराल रूप ले लेता है. जिसके कारण बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, बस्ती, गोरखपुर सहित अन्य कई जिलों में विभीषिका का कारण बन जाता है.

इसे भी पढ़े-वाराणसी में नकली दवा के कारोबारियों पर शिकंजा कसा, मुख्य आरोपी पर NSA के तहत कार्रवाई

बलरामपुर सहित पूर्वांचल को बाढ़ की विभीषिका से बचाने के लिए डीएम अरविंद कुमार सिंह ने इसे अमली जामा पहनाने की कोशिश भी शुरू कर दी है.डीएम अरविंद कुमार सिंह ने जिले के कई पहाड़ी नालों का निरीक्षण करने के साथ साथ वन विभाग सहित अन्य कई विभागों के अधिकारियों की बैठक कर कई महत्त्वपूर्ण निर्देश जारी किए है. जिलाधिकारी अरविंद्र कुमार सिंह का कहना है कि वन क्षेत्र में पढ़ने वाले जलाशयों और बांधों की डिसेंट्रिग से बाढ़ नियन्त्रण के कार्य में दूरगामी परिणाम होंगे. साथ ही अगले 2 वर्षों में इसके अच्छे नतीजे भी आएंगे. इससे पहाड़ी नालों से आने वाली बाढ़ को रोकने में काफी हद तक सफलता मिलेगी.

उल्लेखनीय है कि बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, बस्ती, गोरखपुर , सहित कई जिलों को नेपाल के पहाड़ी नालों से आने वाली बाढ़ से गुजरना पड़ता है. पिछले वर्ष बाढ़ ने इन जिलों में भारी तबाही मचाई थी. लाखों हेक्टेयर की खड़ी फसल तबाह हो गई थी और बड़ी सख्या में लोगों की जान भी गई थी. बलरामपुर जनपद में चित्तौड़गण , बघेलखंड , गिरगिटाई , भगवानपुर , खेरवान, सहित एक दर्जन से अधिक बांध और जलाशय है. जहां पर नेपाल से आने वाले पहाड़ी नालों का लाखों क्यूरोसिक पानी इन जलाशयों और बांधों में रोका जा सकता है. जिससे न सिर्फ बलरामपुर जनपद बल्कि सिद्धार्थनगर , बस्ती , गोरखपुर ,देवरिया सहित आस पास के जिलों को बाढ़ की विभीषिका से काफी हद तक बचाया जा सकता है.

यह भी पढ़े-हाईकोर्ट के फैसले से पहले ASI तैयार कर रही ज्ञानवापी का डिजिटल नक्शा

डीएम अरविंद कुमार सिंह ने दी जानकारी

बलरामपुर: जनपद बलरामपुर सहित पूर्वांचल के जिलों को बाढ़ की विभीषिका से बचाने के लिए जिला प्रशासन ने कमर कस ली है. प्रशासन ने बाढ़ से लाखों हेक्टेयर खड़ी फसल बचाने के साथ नई पहल करते हुए पायलट अभियान के तहत वन क्षेत्रों में पड़ने वाले जलाशयों और बांधों की डिसेंट्रिग कराए जाने की योजना बनाई है. जिला प्रशासन ने शासन स्तर पर अनापत्ति प्रमाण पत्र हासिल करने के साथ डिसेंट्रीग की रूपरेखा और एसओपी तैयार करने की तैयारी शुरू की है. यदि जिला प्रशासन इस योजना को अमली जामा पहनाने में सफल हो गया तो बलरामपुर, सिद्धर्थनगर, बस्ती, गोरखपुर सहित कई जिलों को बाढ़ की विभीषिका से बचाया जा सकता है.


बता दें कि पिछले 30 सालों से जिले के वन क्षेत्रों में पड़ने वाले बड़े जलाशयों और बांधों की डिसेंट्रिग का कार्य नहीं किया गया है. जिले में धोबहा, धोहनिया, खरझार, नकटी जैसे करीब 50 पहाड़ी नाले हैं. जिसका पानी नेपाल के पहाड़ों से होता हुआ बलरामपुर जिले में आता है. इन पहाड़ी नालों से पानी के साथ बहकर आने वाले पत्थर,बालू, बजडी से ये नाले धीरे धीरे पटते गए हैं. नेपाल के पहाड़ी नालों से आने वाला पानी इन जलाशयों और बांधों में न जाकर राप्ती, बूढी राप्ती नदियों में जाकर विकराल रूप ले लेता है. जिसके कारण बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, बस्ती, गोरखपुर सहित अन्य कई जिलों में विभीषिका का कारण बन जाता है.

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बलरामपुर सहित पूर्वांचल को बाढ़ की विभीषिका से बचाने के लिए डीएम अरविंद कुमार सिंह ने इसे अमली जामा पहनाने की कोशिश भी शुरू कर दी है.डीएम अरविंद कुमार सिंह ने जिले के कई पहाड़ी नालों का निरीक्षण करने के साथ साथ वन विभाग सहित अन्य कई विभागों के अधिकारियों की बैठक कर कई महत्त्वपूर्ण निर्देश जारी किए है. जिलाधिकारी अरविंद्र कुमार सिंह का कहना है कि वन क्षेत्र में पढ़ने वाले जलाशयों और बांधों की डिसेंट्रिग से बाढ़ नियन्त्रण के कार्य में दूरगामी परिणाम होंगे. साथ ही अगले 2 वर्षों में इसके अच्छे नतीजे भी आएंगे. इससे पहाड़ी नालों से आने वाली बाढ़ को रोकने में काफी हद तक सफलता मिलेगी.

उल्लेखनीय है कि बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, बस्ती, गोरखपुर , सहित कई जिलों को नेपाल के पहाड़ी नालों से आने वाली बाढ़ से गुजरना पड़ता है. पिछले वर्ष बाढ़ ने इन जिलों में भारी तबाही मचाई थी. लाखों हेक्टेयर की खड़ी फसल तबाह हो गई थी और बड़ी सख्या में लोगों की जान भी गई थी. बलरामपुर जनपद में चित्तौड़गण , बघेलखंड , गिरगिटाई , भगवानपुर , खेरवान, सहित एक दर्जन से अधिक बांध और जलाशय है. जहां पर नेपाल से आने वाले पहाड़ी नालों का लाखों क्यूरोसिक पानी इन जलाशयों और बांधों में रोका जा सकता है. जिससे न सिर्फ बलरामपुर जनपद बल्कि सिद्धार्थनगर , बस्ती , गोरखपुर ,देवरिया सहित आस पास के जिलों को बाढ़ की विभीषिका से काफी हद तक बचाया जा सकता है.

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