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बलरामपुर: 71 मदरसों पर लग सकता है ताला, जांच में नहीं मिले जरूरी दस्तावेज

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में स्थाई और अस्थाई मान्यता के आधार पर 600 मदरसे संचालित है. प्रमुख सचिव अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के निर्देशन के बाद शुरू हुई जांच में संचालित कुल मदरसों में से 71 मदरसे नियमों के विरुद्ध पाए गए हैं. ऐसे में अब इन मदरसों के भविष्य पर ताला लगता नजर आ रहा है.

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Published : Feb 23, 2020, 9:24 AM IST

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71 मदरसे जांच के बाद पाए गए नियम के विरूद्ध

बलरामपुर: जिले में कुल 600 मदरसे स्थाई और अस्थाई मान्यता के आधार पर संचालित है. जिनमें एक लाख से ज्यादा छात्र पढ़ाई करते हैं. लेकिन एक जांच के बाद इन्हीं मदरसों में से 71 मदरसों के भविष्य पर ताला लगता नजर आ रहा है. प्रमुख सचिव अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के निर्देशन पर शुरु हुए जांच के परिणाम के बाद संचालित कुल मदरसों में से 71 मदरसे नियमों के विरुद्ध पाए गए हैं. किन्ही मदरसों में भवन की कमी है, तो किन्ही के पास वह कागजात ही नहीं है, जिसके जरिए उनके मान्यता को आगे बढ़ाया जा सके. ऐसे में अब इन मदरसों के भविष्य पर ताला लगता नजर आ रहा है और यहां पर पढ़ने वाले तकरीबन 25 हजार छात्र-छात्राएं और इन्हें पढ़ाने के लिए मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षा के अंतर्गत पढ़ाने वाले तकरीबन 200 शिक्षकों के भविष्य पर भी ताला लटकता नजर आ रहा है.

71 मदरसे जांच के बाद पाए गए नियम के विरूद्ध

दोषी अधिकारियों के खिलाफ दर्ज होगा मामला

जिले में अस्थाई मान्यता की आड़ में कई मदद से संचालित है जिनको 5 साल में मानक पूरा करके स्थाई मान्यता लेने के लिए कदम बढ़ा देना चाहिए था, लेकिन मदरसा संचालकों द्वारा ऐसा नहीं किया गया. अब सत्यापन में 71 मदरसे अवैध या मानक विहीन मिले हैं. इस कारण मुख्य विकास अधिकारी ने सभी मदरसों के प्रबंधक कमेटी के सदस्य और दोषी अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का निर्देश दे दिया है.

मदरसा संचालक अपनी बचत के लिए पुनः सत्यापन और जांच करवाने की मांग कर रहे हैं. तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग से जुड़े कई अधिकारियों पर जांच करना तय माना जा रहा है. साथ ही आधुनिकीकरण योजना के तहत वेतन पाने वाले शिक्षकों से रिकवरी करने की योजना भी बनाई जा रही है.

क्या है अस्थाई मान्यता का खेल

मदरसा आधुनिकीकरण योजना का लाभ लेने के लिए जिलों में गांव-गांव, मोहल्ले-मोहल्ले में खोल दिए गए. वर्तमान समय में संचालित 614 मदरसों में से 238 के सत्यापन में 71 मदरसे अवैध या मानक विहीन पाए गए हैं. इनमें कई मदरसे या तो कागज पर संचालित है या वह पिछले 4 सालों से खुले ही नहीं है. जांच अधिकारियों को जांच के दौरान 22 मदरसे बंद मिले जबकि 49 मदरसे पूरी तरह से मानक विहीन पाए गए हैं. अधिकारियों का कहना है कि जिले में 75 फीसदी मदरसे अस्थाई मान्यता वाले हैं. जिन्होंने अभी तक अस्थाई मान्यता के लिए कोई कदम आगे नहीं बढ़ाया है.

दर्ज हो रहे हैं मुकदमे

मुख्य विकास अधिकारी अमनदीप डोली ने बताया कि खंड विकास अधिकारी पचपेड़वा, गैसड़ी, तुलसीपुर, बलरामपुर, हरैया सतघरवा को मुकदमा दर्ज करने का निर्देश दे दिया है. इसे लेकर तकरीबन 20 दिन बाद खंड विकास अधिकारी हरकत में आए हैं. अब धीरे-धीरे मदरसों पर सभी संबंधित थानों में एफआईआर दर्ज करवाने की कवायद शुरू हो रही है.

मदरसों से हो सकती वित्तीय रिकवरी

मुख्य सचिव अल्पसंख्यक विभाग के निर्देशन पर जिले के मदरसों की जांच की गई है जिसमें 71 मदरसे फर्जी या नियमों के विरुद्ध पाए गए हैं, जो या तो कागजों में संचालित हैं या जरूरी अहर्ताओं को पूरी नहीं करते हैं. अब उनके खिलाफ मुकदमा पंजीकृत करने की कवायद शुरू हो चुकी है. यदि विवेचना के आधार पर मदरसे दोषी पाए जाएंगे तो वित्तीय रिकवरी भी की जाएगी.

अध्ययनरत बच्चों को दूसरे मदरसों से किया जाएगा संबद्ध

मुख्य विकास अधिकारी अमनदीप डोली ने बताया कि पूरी जांच के दौरान इस बात का ख्याल रखा जाएगा कि यहां पढ़ने वाले बच्चों के भविष्य पर किसी तरह का संकट न सके. उन्होंने कहा, "सभी मदरसों पर समय पर एग्जाम होंगे या यहां अध्ययनरत बच्चों को दूसरे मदरसे से संबद्ध कर दिया जाएगा"

बलरामपुर: जिले में कुल 600 मदरसे स्थाई और अस्थाई मान्यता के आधार पर संचालित है. जिनमें एक लाख से ज्यादा छात्र पढ़ाई करते हैं. लेकिन एक जांच के बाद इन्हीं मदरसों में से 71 मदरसों के भविष्य पर ताला लगता नजर आ रहा है. प्रमुख सचिव अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के निर्देशन पर शुरु हुए जांच के परिणाम के बाद संचालित कुल मदरसों में से 71 मदरसे नियमों के विरुद्ध पाए गए हैं. किन्ही मदरसों में भवन की कमी है, तो किन्ही के पास वह कागजात ही नहीं है, जिसके जरिए उनके मान्यता को आगे बढ़ाया जा सके. ऐसे में अब इन मदरसों के भविष्य पर ताला लगता नजर आ रहा है और यहां पर पढ़ने वाले तकरीबन 25 हजार छात्र-छात्राएं और इन्हें पढ़ाने के लिए मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षा के अंतर्गत पढ़ाने वाले तकरीबन 200 शिक्षकों के भविष्य पर भी ताला लटकता नजर आ रहा है.

71 मदरसे जांच के बाद पाए गए नियम के विरूद्ध

दोषी अधिकारियों के खिलाफ दर्ज होगा मामला

जिले में अस्थाई मान्यता की आड़ में कई मदद से संचालित है जिनको 5 साल में मानक पूरा करके स्थाई मान्यता लेने के लिए कदम बढ़ा देना चाहिए था, लेकिन मदरसा संचालकों द्वारा ऐसा नहीं किया गया. अब सत्यापन में 71 मदरसे अवैध या मानक विहीन मिले हैं. इस कारण मुख्य विकास अधिकारी ने सभी मदरसों के प्रबंधक कमेटी के सदस्य और दोषी अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का निर्देश दे दिया है.

मदरसा संचालक अपनी बचत के लिए पुनः सत्यापन और जांच करवाने की मांग कर रहे हैं. तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग से जुड़े कई अधिकारियों पर जांच करना तय माना जा रहा है. साथ ही आधुनिकीकरण योजना के तहत वेतन पाने वाले शिक्षकों से रिकवरी करने की योजना भी बनाई जा रही है.

क्या है अस्थाई मान्यता का खेल

मदरसा आधुनिकीकरण योजना का लाभ लेने के लिए जिलों में गांव-गांव, मोहल्ले-मोहल्ले में खोल दिए गए. वर्तमान समय में संचालित 614 मदरसों में से 238 के सत्यापन में 71 मदरसे अवैध या मानक विहीन पाए गए हैं. इनमें कई मदरसे या तो कागज पर संचालित है या वह पिछले 4 सालों से खुले ही नहीं है. जांच अधिकारियों को जांच के दौरान 22 मदरसे बंद मिले जबकि 49 मदरसे पूरी तरह से मानक विहीन पाए गए हैं. अधिकारियों का कहना है कि जिले में 75 फीसदी मदरसे अस्थाई मान्यता वाले हैं. जिन्होंने अभी तक अस्थाई मान्यता के लिए कोई कदम आगे नहीं बढ़ाया है.

दर्ज हो रहे हैं मुकदमे

मुख्य विकास अधिकारी अमनदीप डोली ने बताया कि खंड विकास अधिकारी पचपेड़वा, गैसड़ी, तुलसीपुर, बलरामपुर, हरैया सतघरवा को मुकदमा दर्ज करने का निर्देश दे दिया है. इसे लेकर तकरीबन 20 दिन बाद खंड विकास अधिकारी हरकत में आए हैं. अब धीरे-धीरे मदरसों पर सभी संबंधित थानों में एफआईआर दर्ज करवाने की कवायद शुरू हो रही है.

मदरसों से हो सकती वित्तीय रिकवरी

मुख्य सचिव अल्पसंख्यक विभाग के निर्देशन पर जिले के मदरसों की जांच की गई है जिसमें 71 मदरसे फर्जी या नियमों के विरुद्ध पाए गए हैं, जो या तो कागजों में संचालित हैं या जरूरी अहर्ताओं को पूरी नहीं करते हैं. अब उनके खिलाफ मुकदमा पंजीकृत करने की कवायद शुरू हो चुकी है. यदि विवेचना के आधार पर मदरसे दोषी पाए जाएंगे तो वित्तीय रिकवरी भी की जाएगी.

अध्ययनरत बच्चों को दूसरे मदरसों से किया जाएगा संबद्ध

मुख्य विकास अधिकारी अमनदीप डोली ने बताया कि पूरी जांच के दौरान इस बात का ख्याल रखा जाएगा कि यहां पढ़ने वाले बच्चों के भविष्य पर किसी तरह का संकट न सके. उन्होंने कहा, "सभी मदरसों पर समय पर एग्जाम होंगे या यहां अध्ययनरत बच्चों को दूसरे मदरसे से संबद्ध कर दिया जाएगा"

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