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बलिया: दही-जलेबी नहीं, सब्जी-जलेबी है यहां की पहचान

यूपी के बलिया में एक महीने तक लगने वाले धनुष यज्ञ सुदिष्ट बाबा मेला यहां की पहचान है. 250 साल पुराने इस मेले में जलेबी और सब्जी खाने की परंपरा है. यहां जलेबी खरीदने पर मुफ्त में सब्जी भी दी जाती है.

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Published : Dec 24, 2019, 2:39 PM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:24 PM IST

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सब्जी संग मिलती है जलेबी

बलिया: जनपद का गांव रानीगंज जहां की एक पहचान यहां लगने वाला धनुष यज्ञ सुदिष्ट बाबा मेला है. लोग बताते हैं कि 250 सालों से लगातार इस मेले का आयोजन होता आ रहा है. यहां जलेबी खरीदने पर मुफ्त में सब्जी भी दी जाती है.

सब्जी संग मिलती है जलेबी

जनपद मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर बैरिया तहसील क्षेत्र के रानीगंज के निकट सुदिष्टपुरी में अगहन सुदी पंचमी से इस मेले का आरंभ होता है. एक महीने तक चलने वाले इस ऐतिहासिक सुदिष्ट बाबा मेले में सब्जी संग जलेबी खाने की परंपरा है. यहां सुदिष्ट बाबा का दर्शन करने, मेला घूमने या खरीदारी करने जो भी आता है, सब्जी के साथ जलेबी का स्वाद लेने से नहीं चूकता. आलम यह है कि रोज ही इस मेले में सैकड़ों कुंतल जलेबी की बिक्री होती है. यहां दुकानदार जलेबी संग सब्जी मुफ्त में देते हैं.

सुदिष्ट बाबा करते थे धनुष यज्ञ का आयोजन
यहां के स्थानीय बताते हैं कि यहां सैकड़ों वर्ष पूर्व सुदिष्ट बाबा धनुष यज्ञ का आयोजन करते थे. इस यज्ञ में गरीब कन्याओं का सामूहिक विवाह भी संपन्न होता था. उस समय सुदिष्ट बाबा इस मेले में शामिल होने वाले साधु-संतों सहित आम लोगों को पूड़ी, जलेबी और सब्जी प्रसाद में खिलाते थे. सुदिष्ट बाबा के समाधिस्थ होने के बाद मेले का स्वरूप आध्यात्मिक की जगह धीरे-धीरे भौतिकवादी होने लगा और धीरे-धीरे पूड़ी प्रसाद की थाली से गायब होती गई. धीरे-धीरे जलेबी और सब्जी ने अपना स्थान बना लिया और यह परंपरा शुरू हो गई.

सब्जी संग मिलती है जलेबी

बलिया के ऐतिहासिक ददरी मेला की समाप्ति के बाद बेरिया के धनुष यज्ञ मेले में लोग दूर-दूर से आते हैं. इस मेले की खासियत यहां का खान-पान है. एक ओर जहां लोग मेले में चाट के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के व्यंजन का लुफ्त उठाते हैं, वहीं इस मेले की खासियत जलेबी है. यहां जलेबी चीनी की चाशनी के साथ-साथ गुड़ की चाशनी में भी मिलती है.
मेला घूमने आए लोग भी यहां की जलेबी के कायल हैं, बताते हैं कि पूरे उत्तर भारत में यह एकमात्र मेला है,जहां सब्जी संग जलेबी का लुत्फ लोग उठाते हैं. इस मेले में एक तिहाई क्षेत्रफल में जलेबी और मिठाई की दुकानें रहती हैं. शेष दो तिहाई में दो अन्य तरह की दुकानें लगती हैं.

प्रसाद के रूप में चढ़ती है जलेबी और सब्जी
सुदिष्ट बाबा मेला के प्रबंधक रोशन गुप्ता ने बताया कि यह मेला अगहन सुदी पंचमी के दिन लगता है. उसी दिन भगवान श्री राम ने धनुष तोड़कर सीता मैया संग विवाह किया था. तभी से इस मेले का नाम धनुष यज्ञ सुदिष्ट बाबा मेला पड़ा. यह मेला 1 दिसंबर से 25 दिसंबर तक चलता है, जिसमें यूपी के अलग-अलग हिस्सों से व्यापारी आते हैं और लोग भी यहां आकर खरीदारी करते हैं. सबसे खास बात है कि यहां बाबा की समाधि स्थल पर प्रसाद के रूप में जलेबी और सब्जी चढ़ाई जाती है और लोग इसको ग्रहण करते हैं. मेला घूमने आए श्रद्धालु सबसे पहले सुदिष्ट बाबा का दर्शन पूजन करते हैं और फिर जलेबी, सब्जी का आनंद लेते हैं.

क्या कहते हैं लोग

मेला घूमने आए राकेश गोंड भी जलेबी के साथ सब्जी को देखकर काफी आश्चर्यचकित हुए. उन्होंने बताया कि अभी तक दही जलेबी खाने की परंपरा थी, लेकिन इस मेले में जलेबी के साथ सब्जी का स्वाद काफी अच्छा लग रहा है और लोग इसे बड़े चाव से खा रहे हैं.

मीठे के साथ तीखे का कॉन्बिनेशन

छपरा से आई रजनी गुप्ता ने बताया कि इस मेले के बारे में काफी सुना था, लेकिन आज यहां आने के बाद बहुत अच्छा लग रहा है. जलेबी के साथ सब्जी मुफ्त में मिल रही है. मीठे के साथ तीखे का कॉन्बिनेशन बहुत अच्छा है और इसका टेस्ट भी कुछ अलग है.

फिलहाल बैरिया के इस सुदिष्ट बाबा मेले में दही जलेबी के जगह सब्जी और जलेबी का कॉन्बिनेशन लोगों को खूब भा रहा है और लोग इसका जमकर लुफ्त उठा रहे हैं.

बलिया: जनपद का गांव रानीगंज जहां की एक पहचान यहां लगने वाला धनुष यज्ञ सुदिष्ट बाबा मेला है. लोग बताते हैं कि 250 सालों से लगातार इस मेले का आयोजन होता आ रहा है. यहां जलेबी खरीदने पर मुफ्त में सब्जी भी दी जाती है.

सब्जी संग मिलती है जलेबी

जनपद मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर बैरिया तहसील क्षेत्र के रानीगंज के निकट सुदिष्टपुरी में अगहन सुदी पंचमी से इस मेले का आरंभ होता है. एक महीने तक चलने वाले इस ऐतिहासिक सुदिष्ट बाबा मेले में सब्जी संग जलेबी खाने की परंपरा है. यहां सुदिष्ट बाबा का दर्शन करने, मेला घूमने या खरीदारी करने जो भी आता है, सब्जी के साथ जलेबी का स्वाद लेने से नहीं चूकता. आलम यह है कि रोज ही इस मेले में सैकड़ों कुंतल जलेबी की बिक्री होती है. यहां दुकानदार जलेबी संग सब्जी मुफ्त में देते हैं.

सुदिष्ट बाबा करते थे धनुष यज्ञ का आयोजन
यहां के स्थानीय बताते हैं कि यहां सैकड़ों वर्ष पूर्व सुदिष्ट बाबा धनुष यज्ञ का आयोजन करते थे. इस यज्ञ में गरीब कन्याओं का सामूहिक विवाह भी संपन्न होता था. उस समय सुदिष्ट बाबा इस मेले में शामिल होने वाले साधु-संतों सहित आम लोगों को पूड़ी, जलेबी और सब्जी प्रसाद में खिलाते थे. सुदिष्ट बाबा के समाधिस्थ होने के बाद मेले का स्वरूप आध्यात्मिक की जगह धीरे-धीरे भौतिकवादी होने लगा और धीरे-धीरे पूड़ी प्रसाद की थाली से गायब होती गई. धीरे-धीरे जलेबी और सब्जी ने अपना स्थान बना लिया और यह परंपरा शुरू हो गई.

सब्जी संग मिलती है जलेबी

बलिया के ऐतिहासिक ददरी मेला की समाप्ति के बाद बेरिया के धनुष यज्ञ मेले में लोग दूर-दूर से आते हैं. इस मेले की खासियत यहां का खान-पान है. एक ओर जहां लोग मेले में चाट के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के व्यंजन का लुफ्त उठाते हैं, वहीं इस मेले की खासियत जलेबी है. यहां जलेबी चीनी की चाशनी के साथ-साथ गुड़ की चाशनी में भी मिलती है.
मेला घूमने आए लोग भी यहां की जलेबी के कायल हैं, बताते हैं कि पूरे उत्तर भारत में यह एकमात्र मेला है,जहां सब्जी संग जलेबी का लुत्फ लोग उठाते हैं. इस मेले में एक तिहाई क्षेत्रफल में जलेबी और मिठाई की दुकानें रहती हैं. शेष दो तिहाई में दो अन्य तरह की दुकानें लगती हैं.

प्रसाद के रूप में चढ़ती है जलेबी और सब्जी
सुदिष्ट बाबा मेला के प्रबंधक रोशन गुप्ता ने बताया कि यह मेला अगहन सुदी पंचमी के दिन लगता है. उसी दिन भगवान श्री राम ने धनुष तोड़कर सीता मैया संग विवाह किया था. तभी से इस मेले का नाम धनुष यज्ञ सुदिष्ट बाबा मेला पड़ा. यह मेला 1 दिसंबर से 25 दिसंबर तक चलता है, जिसमें यूपी के अलग-अलग हिस्सों से व्यापारी आते हैं और लोग भी यहां आकर खरीदारी करते हैं. सबसे खास बात है कि यहां बाबा की समाधि स्थल पर प्रसाद के रूप में जलेबी और सब्जी चढ़ाई जाती है और लोग इसको ग्रहण करते हैं. मेला घूमने आए श्रद्धालु सबसे पहले सुदिष्ट बाबा का दर्शन पूजन करते हैं और फिर जलेबी, सब्जी का आनंद लेते हैं.

क्या कहते हैं लोग

मेला घूमने आए राकेश गोंड भी जलेबी के साथ सब्जी को देखकर काफी आश्चर्यचकित हुए. उन्होंने बताया कि अभी तक दही जलेबी खाने की परंपरा थी, लेकिन इस मेले में जलेबी के साथ सब्जी का स्वाद काफी अच्छा लग रहा है और लोग इसे बड़े चाव से खा रहे हैं.

मीठे के साथ तीखे का कॉन्बिनेशन

छपरा से आई रजनी गुप्ता ने बताया कि इस मेले के बारे में काफी सुना था, लेकिन आज यहां आने के बाद बहुत अच्छा लग रहा है. जलेबी के साथ सब्जी मुफ्त में मिल रही है. मीठे के साथ तीखे का कॉन्बिनेशन बहुत अच्छा है और इसका टेस्ट भी कुछ अलग है.

फिलहाल बैरिया के इस सुदिष्ट बाबा मेले में दही जलेबी के जगह सब्जी और जलेबी का कॉन्बिनेशन लोगों को खूब भा रहा है और लोग इसका जमकर लुफ्त उठा रहे हैं.

Intro:यूपी के बलिया में एक महीने तक लगने वाले धनुष यज्ञ सुदिष्ट बाबा मेला की अलग पहचान है 250 साल पुराने इस मेले में जलेबी और सब्जी खाने की परंपरा है यहां जलेबी खरीदने पर मुफ्त में सब्जी भी दी जाती है


बलिया के मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर बैरिया तहसील क्षेत्र के रानीगंज के निकट सुदिष्टपुरी में अगहन सूदी पंचमी से एक महीने तक चलने वाले ऐतिहासिक सुदिष्ट बाबा मेले में सब्जी संग जलेबी खाने की है परंपरा,यहां सुदिष्ट बाबा का दर्शन करने, मेला घूमने या खरीदारी करने जो भी आता है, सब्जी के साथ जलेबी का स्वाद लेना नहीं चूकता।आलम यह है कि प्रति दिन इस मेले में सैकड़ों कुंतल जलेबी की बिक्री होती है दुकानदार जलेबी संग सब्जी मुफ्त में देते हैं





Body:बताया जाता है कि सैकड़ों वर्ष पूर्व सुदिष्ट बाबा धनुष यज्ञ का आयोजन करते थे और यहां गरीब कन्याओं का सामूहिक विवाह संपन्न होता था उस समय सुदिष्ट बाबा इस मेले में शामिल होने वाले साधु-संतों सहित आम लोगों को पूड़ी, जलेबी व सब्जी खिलाते थे सुदिष्ट बाबा के समाधिस्थ होने के बाद मेले का स्वरूप आध्यात्मिक की जगह धीरे-धीरे भौतिकवादी होने लगा धीरे धीरे पूड़ी खाने की थाली से गायब होती गई और जलेबी व सब्जी ने अपना स्थान बना लिया और यह परंपरा शुरू हो गई

सुदिष्ट बाबा मेला के प्रबंधक रोशन गुप्ता ने बताया कि यह मेला अगहन सुदी पंचमी के दिन लगता है उसी दिन भगवान श्री राम ने धनुष तोड़कर सीता मैया संग विवाह किया था तभी से इस मेले का नाम धनुष यज्ञ सुदिष्ट बाबा मेला पड़ा यह मिला 1 दिसंबर से 25 दिसंबर तक चलता है जिसमें यूपी के अलग-अलग हिस्सों से व्यापारी आते हैं और लोग यहां आकर खरीदारी करते हैं सबसे खास बात है कि बाबा की समाधि स्थल पर प्रसाद के रूप में जलेबी और सब्जी चढ़ाई जाती है और लोग इसका ग्रहण करते हैं


बलिया के ऐतिहासिक ददरी मेला की समाप्ति के बाद बेरिया इलाके में धनुष मिले में लोग दूर-दूर से आते हैं लेकिन इस मेले की खासियत यहां के खानपान से है एक ओर जहां लोग मेले में चार्ट के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के व्यंजन का लुफ्त उठाते हैं वही इस मेले की खासियत जिलेबी है यहां जलेबी चीनी की चाशनी के साथ-साथ गुड़ के चासनी में भी मिलती है

मेला घूमने आए लोग भी यह की जलेबी के कायल है साथ ही जलेबी के साथ मिलने वाली सब्जी भी उन्हें खूब पसंद आ रही है बताया जा रहा है कि पूरे उत्तर भारत में यह एकमात्र मेला है,जहां सब्जी संग जलेबी का लुत्फ लोग उठाते हैं मेले के एक तिहाई क्षेत्रफल में जलेबी व मिठाई की दुकानें रहती हैं,शेष दो तिहाई में दो अन्य तरह की दुकानें




Conclusion:मेला घूमने आए श्रद्धालु सबसे पहले सुदिष्ट बाबा का दर्शन पूजन करते हैं और फिर जलेबी, सब्जी का आनंद लेकर चले जाते हैं मेला घूमने आए राकेश गोंड भी जलेबी के साथ सब्जी को देखकर काफी आश्चर्यचकित हुए उन्होंने बताया कि अभी तक दही जलेबी खाने की परंपरा थी लेकिन इस मेले में गैलरी के साथ सब्जी का स्वाद काफी अच्छा लग रहा है और लोग इसे बड़े चाव से खा रहे हैं

छपरा से आई रजनी गुप्ता ने बताया कि इस मेले के बारे में काफी सुना था लेकिन आज यहां आने के बाद बहुत अच्छा लग रहा है जलेबी के साथ सब्जी मुफ्त में मिल रही है मीठे के साथ तीखे का कॉन्बिनेशन बहुत अच्छा है और इसका टेस्ट भी कुछ अलग है

फिलहाल बैरिया के इस सुदिष्ट बाबा मेले में दही जलेबी के जगह सब्जी और जलेबी का कॉन्बिनेशन लोगों को खूब भा रहा है और लोग इसका जमकर लुफ्त उठा रहे हैं


बाइट1-- रोशन कुमार गुप्ता मेला प्रबंधक
बाइट2-- राकेश गोंड---स्थानीय निवासी
बाइट3-- रजनी गुप्ता--छपरा से आयी महिला
पीटीसी--प्रशान्त बनर्जी

प्रशान्त बनर्जी
बलिया
9455785050

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Last Updated : Sep 10, 2020, 12:24 PM IST
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