बागपत: केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सोमवार को संसद में किसानों से जुड़े तीन विधेयक पास कर दिए, जिसके बाद किसान अध्यादेश के खिलाफ सड़कों पर उतर आए. वहीं किसान संगठनों के समर्थन में कई राजनीतिक पार्टियां भी अध्यादेश के खिलाफ खुलकर सामने आई हैं. देश भर में किसान अध्यादेश को लेकर आंदोलित हैं. वहीं गुरुवार को बागपत में किसानों के आंदोलन में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत शामिल हुए.
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार को तीनों बिल वापस लेने होंगे. इस बिल में बदलाव करने की जरूरत है. उन्होंने कहा सरकार एमएसपी और मंडी सेक्टर को बन्द करना चाहती है. यदि ऐसा हुआ तो किसान और उपभोक्ता दोनों बर्बाद होंगे. साथ ही महंगाई बढ़ेगी. उनका कहना है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकार नियम बना दे, जिससे एमएसपी से नीचे किसान की कोई फसल नहीं बिकेगी.
वहीं राकेश टिकैत ने मलकपुर शुगर मिल के बकाया भुगतान न करने पर कहा कि मोदी समूह की बाकी फैक्ट्रियों को बन्द किया जाए, तब ये किसानों का पैसा देंगे. वहीं उत्तम ट्योटा की चार फैक्ट्रियों को भी बंद करने की बात कही. उन्होंने कहा अगर सरकार अपना बिल वापस नहीं लेती है, तो किसान इकट्ठा होकर आंदोलन करेंगे.
दरअसल, कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) बिल, आवश्यक वस्तु (संशोधन) बिल, मूल्य आश्वासन तथा कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता बिल केंद्रीय कैबिनेट पहले ही इनसे जुड़े अध्यादेश पास कर चुकी है, जिन्हें अब संसद में बिल के रूप में पेश किया गया, जिसको संसद में पास कर दिया गया.