बदायूं : लोकसभा चुनाव से पहले नेताओं के पार्टी बदलने का शुरू हुआ सिलिसला मतदान के नजदीक आते-आते तक नहीं थम रहा है. बदायूं जिले से सपा के पूर्व मंत्री आबिद रजा ने गुरुवार को सपा छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया और कांग्रेस प्रत्याशी सलीम शेरवानी को अपना समर्थन दिया. आबिद रजा के कांग्रेस में जाने से सपा को बड़ा झटका लगा है.
पूर्व सपा मंत्री आबिद रजा ने कांग्रेस में शामिल होकर चुनावी समीकरण ही बदल दिए हैं. इसका सबसे ज्यादा नुकसान सपा सांसद धर्मेंद्र यादव को हो सकता है. आबिद के कांग्रेस में जाने से मुस्लिम वोटर कांग्रेस की ओर रुख कर सकता है, क्योंकि आबिद रजा की मुस्लिम वोटरों में अच्छी पकड़ है, जिसे कांग्रेस प्रत्याशी सलीम शेरवानी भुनाना चाहेंगे.
कांग्रेस ने बदायूं से सलीम शेरवानी को मैदान में उतारा है, जो बदायूं के पांच बार सांसद रह चुके हैं. वहीं बदायूं में मुख्य लड़ाई सपा और बीजेपी में मानी जा रही थी. बीजेपी से संघमित्रा मौर्या चुनाव लड़ रही हैं. चुनावी गलियारों में चर्चा ये भी है कि आबिद रजा के कांग्रेस में शामिल होने से मुस्लिम वोटर कट जाएगा और इसका सीधा नुकसान धर्मेंद्र यादव को होगा. वहीं कुछ लोगों का कहना है कि इसका फायदा बीजेपी भी उठा सकती है, क्योंकि सपा से जितना मुस्लिम वोटर कटेगा और कांग्रेस में जाएगा, उसका सीधा फायदा बीजेपी को ही होगा.
आबिद रजा के सपा छोड़ने को लेकर सपा के जिलाध्यक्ष आशीष यादव ने कहा कि आबिद रजा के कांग्रेस में शामिल होने से उन्हें कोई नुकसान नहीं होने वाला है. वहीं बीजेपी जिलाध्यक्ष हरीश शाक्य ने कहा कि उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन किस पार्टी में शामिल हो रहा है. बीजेपी की प्रत्याशी संघमित्रा मौर्या यहां से चुनाव जीत रही हैं.