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UP Assembly Election 2022: पूर्वांचल में भाजपा के लिए बड़ा चेहरा बनेगा बाहुबली का बेटा, सपा की बढ़ेंगी मुश्किलें

विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) को लेकर सभी पार्टियां अपनी स्तिथि मजबूत करने में लगी हैं. पूर्वांचल (purvanchal) में बीजेपी (BJP) और सपा (Samajwadi Party) के बीच टक्कर होगी. आजमगढ़ में सपा के किले को ध्वस्त करने के लिए बीजेपी बाहुबली रमाकांत यादव के बेटे अरुणकांत यादव को मैदान में उतारेगी.

भाजपा की रणनीति
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Published : Nov 18, 2021, 8:13 AM IST

Updated : Nov 18, 2021, 12:37 PM IST

आजमगढ़: मिशन यूपी 2022 (UP Assembly Election 2022) के लिए राजनीतिक दल कमर कसकर मैदान में कूद चुके हैं. मतदाताओं को लुभाने के लिए एक के बाद एक दाव चले जा रहे हैं. पूर्वाचल (purvanchal) में बीजेपी और सपा खुलकर आमने-सामने आ गए है. सपा (Samajwadi Party) ने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से गठबंधन कर बीजेपी (BJP) को बड़ा झटका दिया तो बीजेपी ने विश्वविद्यालय का नाम सुहेलदेव के नाम पर रखकर डैमेज कंट्रोल की कोशिश की.

अब बीजेपी एक और बड़ा दाव चलने जा रही है. पूर्वांचल में पार्टी विधायक अरुणकांत यादव को यादव युवा चेहरे के रूप में इस्तेमाल करेगी. बीजेपी का यह दाव भी सपा की मुश्किल बढ़ाएगी. कारण है कि अरुणकांत पंचायत चुनाव में भी सपा को झटका दे चुके हैं. अरुणकांत यादव आजमगढ़ में बीजेपी के एक मात्र विधायक है.

अरूण के पिता बाहुबली रमाकांत यादव वर्ष 2019 में बीजेपी का दामन छोड़ कांग्रेस में गए और बाद में सपा में शामिल हो गए. रमाकांत यादव भी विधानसभा चुनाव लड़ने के मूड में हैं. संभव है पार्टी उन्हें निजामाबाद से मैदान में उतारे. बीजेपी के पास पूर्वांचल में बड़े यादव चेहरे की कमी है. योगी सरकार के मंत्री गिरीश यादव पार्टी के पास एक मजबूत यादव नेता हैं, लेकिन जौनपुर के बाहर जनता में उनकी पैठ नहीं के बराबर है.

अरुणकांत यादव पूर्व में अंबेडकरनगर से भी चुनाव लड़ चुके है. वे दो बार विधायक रह चुके है. रमाकांत के सपा में शामिल होने के बाद माना जा रहा था कि अरुणकांत भी पिता के साथ जा सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. वहीं, पंचायत चुनाव में उन्होंने अपने छोटे भाई वरुणकांत को बीजेपी के टिकट पर पवई से ब्लॉक प्रमुख का चुनाव लड़ाया था. यहीं नहीं रमाकांत के विरोध के बाद भी वे उन्हें एकतरफा जीत दिलाने में सफल रहे.

अब विधानसभा चुनाव में फूूलपुर पवई से अरूण का टिकट पक्का माना जा रहा है. कारण है कि गृहमंत्री के कार्यक्रम में अन्य नेताओं की अपेक्षा अरुणकांत को कुछ ज्यादा ही तरजीह दी गई. गृहमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक ने अरूण को याद किया. अब चर्चा इस बात की है कि पार्टी विधानसभा चुनाव में उन्हें यादवों के युवा चेहरे के रूप में इस्तेमाल करेगी.

यह भी पढ़ें: केशव मौर्या का सपा पर तीखा हमला, बोले-अखिलेश अपनी पार्टी का नाम रख लें 'जिन्नावादी' पार्टी

ऐसा होने से सपा की टेंशन बढ़नी तय है. अरुण की आजमगढ़ के युवा यादवों में पैठ है. वहीं, रमाकांत जो अच्छा जनाधार रखते हैं उनके सामने भी पुत्र के खिलाफ असमंजस की स्थिति होगी. रमकांत और अरूण कांत के बीच मनमुटाव भी किसी से छिपा नहीं है और बाहुबली के प्रभाव को कम करने के लिए बीजेपी अरूण को तुरुप के पत्ते के रूप में प्रयोग करने का मन बना चुकी है.

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आजमगढ़: मिशन यूपी 2022 (UP Assembly Election 2022) के लिए राजनीतिक दल कमर कसकर मैदान में कूद चुके हैं. मतदाताओं को लुभाने के लिए एक के बाद एक दाव चले जा रहे हैं. पूर्वाचल (purvanchal) में बीजेपी और सपा खुलकर आमने-सामने आ गए है. सपा (Samajwadi Party) ने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से गठबंधन कर बीजेपी (BJP) को बड़ा झटका दिया तो बीजेपी ने विश्वविद्यालय का नाम सुहेलदेव के नाम पर रखकर डैमेज कंट्रोल की कोशिश की.

अब बीजेपी एक और बड़ा दाव चलने जा रही है. पूर्वांचल में पार्टी विधायक अरुणकांत यादव को यादव युवा चेहरे के रूप में इस्तेमाल करेगी. बीजेपी का यह दाव भी सपा की मुश्किल बढ़ाएगी. कारण है कि अरुणकांत पंचायत चुनाव में भी सपा को झटका दे चुके हैं. अरुणकांत यादव आजमगढ़ में बीजेपी के एक मात्र विधायक है.

अरूण के पिता बाहुबली रमाकांत यादव वर्ष 2019 में बीजेपी का दामन छोड़ कांग्रेस में गए और बाद में सपा में शामिल हो गए. रमाकांत यादव भी विधानसभा चुनाव लड़ने के मूड में हैं. संभव है पार्टी उन्हें निजामाबाद से मैदान में उतारे. बीजेपी के पास पूर्वांचल में बड़े यादव चेहरे की कमी है. योगी सरकार के मंत्री गिरीश यादव पार्टी के पास एक मजबूत यादव नेता हैं, लेकिन जौनपुर के बाहर जनता में उनकी पैठ नहीं के बराबर है.

अरुणकांत यादव पूर्व में अंबेडकरनगर से भी चुनाव लड़ चुके है. वे दो बार विधायक रह चुके है. रमाकांत के सपा में शामिल होने के बाद माना जा रहा था कि अरुणकांत भी पिता के साथ जा सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. वहीं, पंचायत चुनाव में उन्होंने अपने छोटे भाई वरुणकांत को बीजेपी के टिकट पर पवई से ब्लॉक प्रमुख का चुनाव लड़ाया था. यहीं नहीं रमाकांत के विरोध के बाद भी वे उन्हें एकतरफा जीत दिलाने में सफल रहे.

अब विधानसभा चुनाव में फूूलपुर पवई से अरूण का टिकट पक्का माना जा रहा है. कारण है कि गृहमंत्री के कार्यक्रम में अन्य नेताओं की अपेक्षा अरुणकांत को कुछ ज्यादा ही तरजीह दी गई. गृहमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक ने अरूण को याद किया. अब चर्चा इस बात की है कि पार्टी विधानसभा चुनाव में उन्हें यादवों के युवा चेहरे के रूप में इस्तेमाल करेगी.

यह भी पढ़ें: केशव मौर्या का सपा पर तीखा हमला, बोले-अखिलेश अपनी पार्टी का नाम रख लें 'जिन्नावादी' पार्टी

ऐसा होने से सपा की टेंशन बढ़नी तय है. अरुण की आजमगढ़ के युवा यादवों में पैठ है. वहीं, रमाकांत जो अच्छा जनाधार रखते हैं उनके सामने भी पुत्र के खिलाफ असमंजस की स्थिति होगी. रमकांत और अरूण कांत के बीच मनमुटाव भी किसी से छिपा नहीं है और बाहुबली के प्रभाव को कम करने के लिए बीजेपी अरूण को तुरुप के पत्ते के रूप में प्रयोग करने का मन बना चुकी है.

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Last Updated : Nov 18, 2021, 12:37 PM IST
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