आजमगढ़: सतयुग में दैत्यों के विनाश के लिए महर्षि दधीचि ने अपने शरीर को त्याग कर अपनी हड्डीयों को देवताओं को वज्र बनाने के लिए दे दिया था. वहीं कलयुग में महर्षि दुर्वासा की तपोस्थली क्षेत्र के निवासी प्रांजल जायसवाल ने विश्व में फैले करोना महामारी रूपी दानव को समाप्त करने के लिए अपने शरीर को कोरोना को समाप्त करने वाले वैक्सीन बनाने वाले चिकित्सकों को परीक्षण के लिए समर्पित कर दिया. इसके बाद आजमगढ़ के लोग प्रांजल पर गर्व महसूस कर रहे हैं कि इस लाल ने जिले के नाम को एक बार फिर रोशन किया है.
कोरोना वायरस के संक्रमण से आज पूरे विश्व में दहशत का माहौल है. भारत में भी कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं. कोरोना के इलाज के लिए कई देश वैक्सीन बनाने का दावा भी कर चुके हैं. भारत में भी कुछ चिकित्सकों एवं संस्थानों ने वैक्सीन बनाने का दावा किया है, लेकिन अभी तक वैक्सीन का सही परीक्षण नहीं हो पाया है.
वैक्सीन परीक्षण के लिए स्वीकृति
फूलपुर कस्बा के रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता प्रांजल जायसवाल ने कोरोना वायरस वैक्सीन के लिए अपने शरीर पर परीक्षण करने की सहमित देकर मिशाल कायम की है. उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद दिल्ली को डीएम आजमगढ़ के माध्यम से एक पत्र के साथ ईमेल भेजा है, जिसमें उन्होंने अपने ऊपर वैक्सीन का परीक्षण कराने की स्वीकृति दी है.
पत्र में क्या लिखा है प्रांजल ने ?
प्रांजल ने पत्र में लिखा है कि कोरोना जैसी महामारी के कारण पूरी दुनिया को क्षति हो रही है. इस क्षति से दुखी होकर मानव जाति के कल्याण के लिए उन्होंने ये फैसला लिया है. अगर कोरोना वायरस के खात्मे के लिए कोई वैक्सीन तैयार की जाती है, तो उसका परीक्षण सर्वप्रथम उनके शरीर पर किया जाये, जिसकी मंजूरी भी सरकार की तरफ से मिल गई है. वहीं प्रांजल का कहना है कि वैक्सीन के परीक्षण के लिए मानव शरीर की अवश्यकता थी, जिसके लिए उन्होंने अपने शरीर को परीक्षण के लिए दिया है. प्रांजल का कहना है कि आजमगढ़ की धरती सिद्ध धरती है, लेकिन इस जनपद को भिन्न-भिन्न नजर से देखा जाता है, लेकिन ऐसा नहीं है. आजमगढ़ क्रांतिकारियों की धरती है.
देश की सेवा के प्रति प्रांजल का लगाव
वहीं प्रांजल के परिवार वालों का कहना है कि वह बचपन से ही बिल्कुल अलग रहता है. देश की सेवा के प्रति उसका लगाव बचपन से है. यही कारण रहा कि उसने न अपने बारे में सोचा और न ही परिवार के बारे में, उसने अपने शरीर को दान कर दिया. परिजनों का कहना है कि कोरोना महामारी से निपटने के लिए वैक्सीन के ट्रायल के लिए एक मानव शरीर की जरूरत है, सोचा तो बहुत लोगों ने, लेकिन आगे कोई नहीं आया. प्रांजल ने समाज व देश के लिए अपने शरीर को दाव पर लगा दिया, जिसका हम सबको गर्व है.