लखनऊ: शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Allahabad High Court Lucknow Bench) ने आजमगढ़ में फर्जी मदरसों का मामला (Azamgarh fake madrasa case) में एसआईटी रिपोर्ट व एफआईआर को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है. न्यायालय ने कहा है कि 39 मदरसों के अस्तित्व में ही न होने के बावजूद उनके नाम पर फंड जारी किए जाने का आरोप है, ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता कि मामले में कोई संज्ञेय अपराध नहीं बन रहा है.
यह आदेश (Allahabad High Court Lucknow Bench on Azamgarh fake madrasa case) न्यायमूर्ति राजीव सिंह की एकल पीठ ने जावेद असलम, लालमन, ओम प्रकाश पांडेय, मो. सरफराज अहमद व मुन्नर राम की ओर से दाखिल अलग-अलग याचिकाओं पर पारित किया. याचियों की ओर से दलील दी गई कि मामले में गलत तथ्य प्रस्तुत किए गए और एसआईटी ने भी विस्तृत जांच किए बिना 30 नवंबर 2022 को सरकार को रिपोर्ट सौंप दी. वहीं याचिका का राज्य सरकार की ओर से विरोध किया गया. कहा गया कि जांच में पाया गया कि आजमगढ़ जनपद में 313 मदरसे नियमों के विपरीत चल रहे हैं और 39 मदरसों का तो कोई अस्तित्व ही नहीं है. कहा गया कि इन अस्तित्वहीन मदरसों के आधुनिकीकरण के नाम पर फंड जारी किया गया. दलील दी गई कि इससे स्पष्ट है कि मामले में सरकारी धन का भारी गबन हुआ है जिसके विवेचना की आवश्यकता है.
सरकारी वकीलों की नियुक्ति मामले के मूल रिकार्ड तलब: सरकारी वकीलों की नियुक्ति मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार द्वारा आबद्ध किए गए तमाम सरकारी वकीलों की नियुक्ति सम्बंधी रिकॉर्ड तलब कर फिलहाल कोर्ट के पास ही रखने का आदेश दिया है. न्यायालय ने महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्रा की बहस के लिए 10 अक्टूबर की तारीख नियत की है. यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने रमा शंकर तिवारी सहित अन्य याचिकाओं पर पारित किया. पिछली सुनवाई के दौरान न्यायालय ने विधि सचिव के जरिये नियुक्ति सम्बंधी रिकॉर्ड तलब किये थे.
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