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खुले में नमाज को लेकर हिंदू ही नहीं मुस्लिम समाज ने भी जताई नाराजगी, उठाई फांसी की मांग

अयोध्या में सामूहिक रूप से नमाज अता करने का मुसलमानों ने विरोध किया है. मुस्लिम समुदाय के लोगों ने मामले में कार्रवाई की मांग की है. बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी से लेकर मुस्लिम समाजसेवी तक कह रहे हैं कि, ऐसे लोग सार्वजनिक स्थल पर नमाज अता कर सांप्रदायिक बवाल करना चाहते हैं.

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हिंदू ही नहीं मुस्लिम समाज ने भी जताई नाराजगी
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Published : Jul 24, 2022, 3:56 PM IST

Updated : Jul 24, 2022, 4:32 PM IST

अयोध्या: बीते कुछ दिनों से देश भर में खुले में नमाज और हनुमान चालीसा पढ़े जाने को लेकर बवाल शुरू हो गया है. सार्वजिक स्थान पर आए दिन नमाज पढ़े जाने को लेकर साजिश के तहत माहौल खराब करने का आरोप भी लगाया जा रहा है. इस घटना का विरोध अयोध्या के साधु संत ही नहीं मुस्लिम समाज भी कर रहा है. यही नहीं मुस्लिम समाज द्वारा ऐसे लोगों को आतंकी करार देते हुए, उन्हें फांसी की सजा दिए जाने की भी मांग की गयी है.

यूपी सरकार ने सार्वजनिक स्थान और खुले में नमाज को लेकर प्रतिबंध भी लगा दिया है. बावजूद उसके लगातार समुदाय विशेष के लोगों द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर खुले स्थान में नमाज अता कर कानून व्यवस्था को चुनौती दी जा रही है. इस तरह की घटनाएं कर इसे धार्मिक तूल देने की कोशिश कर रहे हैं. इन कोशिशों को लेकर जहां एक तरफ अभी तक हिंदू समुदाय मुखर था. वहीं, अब मुस्लिम समुदाय से जुड़े लोग भी इस तरह की हरकतों को समाज में दुर्भावना पैदा करने वाले मान रहे हैं और ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग भी हो रही है. अयोध्या में बाबरी मस्जिद मामले के पैरोकार रहे इकबाल अंसारी और मुस्लिम समुदाय से आने वाले बबलू खान ने भी इस मामले की कड़ी शब्दों में निंदा करते हुए गोरखपुर और प्रयागराज में खुले में नमाज अता कर आपसी वैमनस्य पैदा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है.

खुले में नमाज को लेकर हिंदू ही नहीं मुस्लिम समाज ने भी जताई नाराजगी
बाबरी पक्ष के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने कहा कि हिंदुस्तान में नमाज को लेकर नियम कानून बनाए गए हैं. सरकार ने जब नियम बना दिया है कि खुले में नमाज न पढ़ी जाए तो लोगों को चाहिए कि खुले में नमाज न पढ़े. यह हिंदुस्तान का संविधान है और यहां के संविधान को मानना पड़ेगा. इकबाल अंसारी ने कहा कि मौलाना और नमाजियों से मेरा अनुरोध है. सरकारी नियमों को मानें जब सरकार ने खुले में नमाज पढ़ने पर प्रतिबंध लगा दिया है, तो लोगों को अपने मस्जिद और अपने परिसर के अंदर ही नमाज पढ़ना चाहिए. इकबाल अंसारी ने अपील करते हुए कहा कि इस पर राजनीति न की जाए और इसका उल्लंघन भी न किया जाए. नमाज अपने परिसर में पढ़े. यही हिंदुस्तान के मुस्लिमों से मेरी गुजारिश है.

इसे भी पढ़ेंः Sawan 2022: बंटवारे की याद संजोता काशी का ये शिवलिंग, जिसे कहते हैं पाकिस्तानी महादेव

वहीं, राम मंदिर समर्थक रहे बबलू खान ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि जब एक बार यह बात तय कर दी गई है कि खुले में नमाज नहीं पढ़ा जाएगा तो फिर बच्चों के साथ प्रयागराज स्टेशन पर नमाज पढ़ा जाना बिल्कुल गलत है ऐसे मौलाना पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जरूरत है, जिससे कि आगे कोई भी मौलाना इस तरीके की हरकत न कर सकें. मुस्लिम राम मंदिर समर्थक बबलू खान यहीं नहीं रुके, उन्होंने मौलाना को आतंकवादी करार देते हुए फांसी की सजा की मांग कर डाली.

रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि ऐसे जगहों पर नमाज अता करें, जहां आम जनता को कोई बाधा न पहुंचे. आवागमन में परेशानी ना हो. जिस प्रकार से गोरखपुर और प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर नमाज अता की गई है, यह बहुत गलत है. उन्होंने कहा कि शासन प्रशासन जो नियम कानून लाते हैं, उस नियम कानून को मुसलमान नहीं मानते हैं.

प्रशासन को कड़ाई से इसको रोकना चाहिए. जब चाहो, जहां चाहो नमाज अता करो, यह बिल्कुल गलत है. आचार्य सत्येंद्र दास ने सरकार से मांग की कि इस तरह के घटना को पूरे देश में प्रतिबंध लगाना चाहिए. मस्जिद में नमाज पढ़ने का स्थान है, तो लोग मस्जिद में जाकर नमाज अता करें. इनके शरीयत में लिखा है कि मस्जिद में ही नमाज अदा करें, लेकिन अगर कहीं और है तो परमिशन लेकर नमाज अता करें. अगर सरकारी जगह पर नमाज अता करना है, तो डीएम से अनुमति ले.
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अयोध्या: बीते कुछ दिनों से देश भर में खुले में नमाज और हनुमान चालीसा पढ़े जाने को लेकर बवाल शुरू हो गया है. सार्वजिक स्थान पर आए दिन नमाज पढ़े जाने को लेकर साजिश के तहत माहौल खराब करने का आरोप भी लगाया जा रहा है. इस घटना का विरोध अयोध्या के साधु संत ही नहीं मुस्लिम समाज भी कर रहा है. यही नहीं मुस्लिम समाज द्वारा ऐसे लोगों को आतंकी करार देते हुए, उन्हें फांसी की सजा दिए जाने की भी मांग की गयी है.

यूपी सरकार ने सार्वजनिक स्थान और खुले में नमाज को लेकर प्रतिबंध भी लगा दिया है. बावजूद उसके लगातार समुदाय विशेष के लोगों द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर खुले स्थान में नमाज अता कर कानून व्यवस्था को चुनौती दी जा रही है. इस तरह की घटनाएं कर इसे धार्मिक तूल देने की कोशिश कर रहे हैं. इन कोशिशों को लेकर जहां एक तरफ अभी तक हिंदू समुदाय मुखर था. वहीं, अब मुस्लिम समुदाय से जुड़े लोग भी इस तरह की हरकतों को समाज में दुर्भावना पैदा करने वाले मान रहे हैं और ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग भी हो रही है. अयोध्या में बाबरी मस्जिद मामले के पैरोकार रहे इकबाल अंसारी और मुस्लिम समुदाय से आने वाले बबलू खान ने भी इस मामले की कड़ी शब्दों में निंदा करते हुए गोरखपुर और प्रयागराज में खुले में नमाज अता कर आपसी वैमनस्य पैदा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है.

खुले में नमाज को लेकर हिंदू ही नहीं मुस्लिम समाज ने भी जताई नाराजगी
बाबरी पक्ष के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने कहा कि हिंदुस्तान में नमाज को लेकर नियम कानून बनाए गए हैं. सरकार ने जब नियम बना दिया है कि खुले में नमाज न पढ़ी जाए तो लोगों को चाहिए कि खुले में नमाज न पढ़े. यह हिंदुस्तान का संविधान है और यहां के संविधान को मानना पड़ेगा. इकबाल अंसारी ने कहा कि मौलाना और नमाजियों से मेरा अनुरोध है. सरकारी नियमों को मानें जब सरकार ने खुले में नमाज पढ़ने पर प्रतिबंध लगा दिया है, तो लोगों को अपने मस्जिद और अपने परिसर के अंदर ही नमाज पढ़ना चाहिए. इकबाल अंसारी ने अपील करते हुए कहा कि इस पर राजनीति न की जाए और इसका उल्लंघन भी न किया जाए. नमाज अपने परिसर में पढ़े. यही हिंदुस्तान के मुस्लिमों से मेरी गुजारिश है.

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वहीं, राम मंदिर समर्थक रहे बबलू खान ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि जब एक बार यह बात तय कर दी गई है कि खुले में नमाज नहीं पढ़ा जाएगा तो फिर बच्चों के साथ प्रयागराज स्टेशन पर नमाज पढ़ा जाना बिल्कुल गलत है ऐसे मौलाना पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जरूरत है, जिससे कि आगे कोई भी मौलाना इस तरीके की हरकत न कर सकें. मुस्लिम राम मंदिर समर्थक बबलू खान यहीं नहीं रुके, उन्होंने मौलाना को आतंकवादी करार देते हुए फांसी की सजा की मांग कर डाली.

रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि ऐसे जगहों पर नमाज अता करें, जहां आम जनता को कोई बाधा न पहुंचे. आवागमन में परेशानी ना हो. जिस प्रकार से गोरखपुर और प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर नमाज अता की गई है, यह बहुत गलत है. उन्होंने कहा कि शासन प्रशासन जो नियम कानून लाते हैं, उस नियम कानून को मुसलमान नहीं मानते हैं.

प्रशासन को कड़ाई से इसको रोकना चाहिए. जब चाहो, जहां चाहो नमाज अता करो, यह बिल्कुल गलत है. आचार्य सत्येंद्र दास ने सरकार से मांग की कि इस तरह के घटना को पूरे देश में प्रतिबंध लगाना चाहिए. मस्जिद में नमाज पढ़ने का स्थान है, तो लोग मस्जिद में जाकर नमाज अता करें. इनके शरीयत में लिखा है कि मस्जिद में ही नमाज अदा करें, लेकिन अगर कहीं और है तो परमिशन लेकर नमाज अता करें. अगर सरकारी जगह पर नमाज अता करना है, तो डीएम से अनुमति ले.
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Last Updated : Jul 24, 2022, 4:32 PM IST
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