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रामनगरी में बसता है मां पार्वती का स्वरूप, माता सीता से है खास नाता

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Published : Jul 21, 2021, 6:02 AM IST

राम नगरी विभिन्न संस्कृतियों की आस्था का संगम है. मठ-मंदिरों के प्रधान शहर में जनकपुर की कुलदेवी भी विराजती हैं. यह बेहद प्राचीन मंदिर है. चीनी यात्री ह्वेनसांग व फाहियान ने भी अपने यात्रा वृतांत में इस प्राचीन मंदिर के आध्यात्मिक वैभव का उल्लेख किया है. देवकाली मंदिर में वर्ष भर मां देवकाली की पूजा-अर्चना और परंपरागत उत्सवों का क्रम जारी रहता है.

श्री देवकाली मंदिर
श्री देवकाली मंदिर

अयोध्या: मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की पावन जन्मस्थली (Shri Ram Birth Place) अयोध्या (Ayodhya) हिंदुओं की आस्था का केंद्र है. इस पवित्र भूमि पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने जन्म लिया था. दावा है कि महाराजा विक्रमादित्य (Maharaja Vikramaditya) की बसाई इस पौराणिक नगरी में 6 हजार से अधिक प्राचीन मंदिर हैं. जहां, भगवान राम, सीता युगल सरकार, हनुमान जी, मां दुर्गा के नौ स्वरूप, भगवान शिव, भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु सहित विभिन्न देवी-देवताओं के मंदिर स्थापित हैं. सभी मंदिरों के बारे में शास्त्रों में उल्लेख भी है. इन्हीं में से एक प्रमुख मंदिर है, जिसका जिक्र हम करने जा रहे हैं. जी हां, अयोध्या में मां छोटी देवकाली का मंदिर.

शास्त्रों के मुताबिक, जगत जननी मां सीता विवाह के उपरांत मां छोटी देवकाली को अपने साथ जनकपुर से अयोध्या लाईं थीं और धार्मिक नगरी के ईशान कोण पर स्थापित कर दिया था. तभी से मां छोटी देवकाली को नगर देवी के रूप में आस्था की दृष्टि से देखा जाता है.

देवकाली मंदिर पर विशेष.
श्री देवकाली मंदिर में माता सीता की कुल देवी को विशेष आस्था और श्रद्धा के साथ पूजा जाता है. छोटी देवकाली मंदिर में नगर देवी सर्वमंगला पार्वती माता गौरी के रूप में विराजती हैं. मान्यता है कि मां सीता जब जनकपुरी से अपने ससुराल अयोध्या के लिए चलीं थीं तो अपनी कुल देवी माता पार्वती की प्रतिमा साथ ले आईं. महाराज दशरथ ने अयोध्या स्थित सप्तसागर के ईशानकोण पर पार्वती जी के मंदिर का निर्माण कराया था, जहां माता सीता और राजकुल की अन्य रानियां पूजा-अर्चना के लिए जाया करती थीं. आज यह रामायणकालीन मंदिर अपनी भव्यता और श्रेष्ठता के चलते भारत का प्रमुख देवस्थल बन चुका है.

इसे भी पढ़ें-राममंदिर न्यास हो भंग, रामालय ट्रस्ट की देखरेख में बने मंदिर : दिग्विजय सिंह

इस पौराणिक मंदिर के बारे में बताया जाता है कि मुगलों के आक्रमण के कारण यह प्राचीन मंदिर दो बार क्षतिग्रस्त हुआ. पहली बार इसका पुनर्निमाण महाराज पुष्यमित्र ने और दूसरी बार बिन्दु सम्प्रदाय के महंत ने इस भव्य मंदिर के स्थान पर एक छोटी सी कोठरी का निर्माण कराया था. तब से आज तक इस मंदिर में पूजा-पाठ का कार्यक्रम चल रहा है. रुद्रयामल और स्कन्दपुराण में भी देवकाली जी और उनके मंदिर का उल्लेख मिलता है, जिससे इस ऐतिहासिक मंदिर की पौराणिकता प्रमाणित होती है. वहीं, चीनी यात्री ह्वेनसांग (hiuen tsang) व फाहियान ने भी अपने यात्रा वृतांत में इस मंदिर की प्रतिष्ठा, वैभव और विशेषता का उल्लेख किया है.

इसे भी पढ़ें-राममंदिर की बाधाओं को दूर करने के लिए गणेश मंदिर का हुआ भूमिपूजन

पुराणों में भी इस मंदिर का उल्लेख मिलता है. रुद्रयामल और स्कंद पुराण में मां छोटी देवकाली मंदिर के महत्व का वर्णन है. अयोध्या के इस प्रमुख मंदिर में वर्ष भर पूजा-अर्चना और परंपरागत उत्सव का क्रम जारी रहता है. जब भगवान राम के मंदिर निर्माण का कार्य जारी है तो इस मंदिर की यादें भी ताजा हो रही हैं. छोटी देवकाली मंदिर के पुजारी अजय द्विवेदी का कहना था कि छोटी देवकाली मां सीता की कुलदेवी हैं.

अयोध्या: मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की पावन जन्मस्थली (Shri Ram Birth Place) अयोध्या (Ayodhya) हिंदुओं की आस्था का केंद्र है. इस पवित्र भूमि पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने जन्म लिया था. दावा है कि महाराजा विक्रमादित्य (Maharaja Vikramaditya) की बसाई इस पौराणिक नगरी में 6 हजार से अधिक प्राचीन मंदिर हैं. जहां, भगवान राम, सीता युगल सरकार, हनुमान जी, मां दुर्गा के नौ स्वरूप, भगवान शिव, भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु सहित विभिन्न देवी-देवताओं के मंदिर स्थापित हैं. सभी मंदिरों के बारे में शास्त्रों में उल्लेख भी है. इन्हीं में से एक प्रमुख मंदिर है, जिसका जिक्र हम करने जा रहे हैं. जी हां, अयोध्या में मां छोटी देवकाली का मंदिर.

शास्त्रों के मुताबिक, जगत जननी मां सीता विवाह के उपरांत मां छोटी देवकाली को अपने साथ जनकपुर से अयोध्या लाईं थीं और धार्मिक नगरी के ईशान कोण पर स्थापित कर दिया था. तभी से मां छोटी देवकाली को नगर देवी के रूप में आस्था की दृष्टि से देखा जाता है.

देवकाली मंदिर पर विशेष.
श्री देवकाली मंदिर में माता सीता की कुल देवी को विशेष आस्था और श्रद्धा के साथ पूजा जाता है. छोटी देवकाली मंदिर में नगर देवी सर्वमंगला पार्वती माता गौरी के रूप में विराजती हैं. मान्यता है कि मां सीता जब जनकपुरी से अपने ससुराल अयोध्या के लिए चलीं थीं तो अपनी कुल देवी माता पार्वती की प्रतिमा साथ ले आईं. महाराज दशरथ ने अयोध्या स्थित सप्तसागर के ईशानकोण पर पार्वती जी के मंदिर का निर्माण कराया था, जहां माता सीता और राजकुल की अन्य रानियां पूजा-अर्चना के लिए जाया करती थीं. आज यह रामायणकालीन मंदिर अपनी भव्यता और श्रेष्ठता के चलते भारत का प्रमुख देवस्थल बन चुका है.

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इस पौराणिक मंदिर के बारे में बताया जाता है कि मुगलों के आक्रमण के कारण यह प्राचीन मंदिर दो बार क्षतिग्रस्त हुआ. पहली बार इसका पुनर्निमाण महाराज पुष्यमित्र ने और दूसरी बार बिन्दु सम्प्रदाय के महंत ने इस भव्य मंदिर के स्थान पर एक छोटी सी कोठरी का निर्माण कराया था. तब से आज तक इस मंदिर में पूजा-पाठ का कार्यक्रम चल रहा है. रुद्रयामल और स्कन्दपुराण में भी देवकाली जी और उनके मंदिर का उल्लेख मिलता है, जिससे इस ऐतिहासिक मंदिर की पौराणिकता प्रमाणित होती है. वहीं, चीनी यात्री ह्वेनसांग (hiuen tsang) व फाहियान ने भी अपने यात्रा वृतांत में इस मंदिर की प्रतिष्ठा, वैभव और विशेषता का उल्लेख किया है.

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पुराणों में भी इस मंदिर का उल्लेख मिलता है. रुद्रयामल और स्कंद पुराण में मां छोटी देवकाली मंदिर के महत्व का वर्णन है. अयोध्या के इस प्रमुख मंदिर में वर्ष भर पूजा-अर्चना और परंपरागत उत्सव का क्रम जारी रहता है. जब भगवान राम के मंदिर निर्माण का कार्य जारी है तो इस मंदिर की यादें भी ताजा हो रही हैं. छोटी देवकाली मंदिर के पुजारी अजय द्विवेदी का कहना था कि छोटी देवकाली मां सीता की कुलदेवी हैं.

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