अयोध्या: लॉकडाउन के दौरान गरीब बेसहारा लोगों की तरह बेजुबान पशु-पक्षी भी संकट के दौर से गुजर रहे हैं. रामनगरी में श्रद्धालुओं के चढ़ावे और दुकानों की वेस्टेज पर जिंदा रहने वाले बंदरों के लिए यह एक बहुत बड़ा संकट है. ऐसे में भूखे बंदरों की मदद के लिए जिला प्रशासन और समाजसेवी संस्थाएं सामने आयी हैं. लेकिन बावजूद इसके अभी भी बड़ी संख्या में बंदर भूख से भटक रहे हैं.
रामनगरी अयोध्या में बड़ी संख्या में बंदर रहते हैं जो अक्सर श्रद्धालुओं, राहगीरों और फल-सब्जी की दुकानों पर छीना झपटी करते नजर आते थे. यहां आने वाले श्रद्धालु बंदरों की छीना झपटी को लेकर हमेशा सतर्क रहते थे अन्यथा उनकेे लिए मंदिर के अंदर तक प्रसाद ले जाना मुश्किल हो जाता था. हालत ये थी कि, अगर किसी का ध्यान जरा भी भटका तो बंदर उनके हाथ से तुरंत प्रसाद का पैकेट छीन लेते थे. कई बार भक्त जन खुद ही इन बंदरों को खाने के लिए कुछ फल या मिठाई दे दिया करते थे.
लेकिन मौजूदा परिस्थिति में बंदरों के जीवन पर संकट मंडरा रहा है. लॉकडाउन के दौरान मंदिर और दुकानें सब बंद है. ऐसे में ये बंदर अब भोजन के लिए प्रशासन और समाजसेवी संस्थाओं पर निर्भर हैं. कुछ ऐसा ही हाल शहर में घूमने वाले छुट्टा गोवंशीय पशुओं की है.
प्रशासन जानवरों को उपलब्ध करा रहा भोजन
अयोध्या के संतों ने इस विषय को प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने उठाया और उनसे बंदरों और गोवंशों के लिए भोजन के प्रबंध करने का अनुरोध किया था. जिसके बाद प्रशासन की ओर से अयोध्या भर में 2 वाहन बंदरों और गोवंशों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए लगाए गए हैं. अयोध्या और फैजाबाद शहरों में भारी मात्रा में गोवंश और बंदर हैं. ऐसे में महज दो वाहन सभी जानवरों को भोजन उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं. जिसे देखते हुए कई समाज सेवी संस्था भी बेजुबान जानवरों की मदद के लिए सामने आयी हैं
राजस्थान की स्वयंसेवी संस्था कर रही बेजुबानों की मदद
राजस्थान के जालोर जिले में चलने वाली गोपाल कृष्ण गोशाला की ओर से भी अयोध्या में गोवंश और बंदरों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए दो वाहन संचालित किए जा रहे हैं. ये वाहन प्रतिदिन हजारों केले लेकर शहर में निकलते हैं और भूखे जानवरों को भोजन उपलब्ध कराते हैं. गोशाला के सदस्य हीरा लाल सोनी कहते हैं इन बेजुबानों की सेवा कर आत्म संतोष मिलता है.
संतों से देखी नहीं जाती बंदरों की भूख
रामनगरी में रामलला के मुख्य पुजारी कई संत बंदरों को केले खिलाते नजर आते हैं. लेकिन लगातार लॉकडाउन के चलते यह समस्या बढ़ती जा रही है. जिसको लेकर संत समाज और समाजसेवी संस्थाएं चिंतित हैं.