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मिल्कीपुर का महाभारत; योगी-अखिलेश के साख की लड़ाई बनी सीट, बागी कर सकते हैं खेला - MILKIPUR BY ELECTION

मिल्कीपुर उपचुनाव की वोटिंग कल, सपा-भाजपा में सीधी टक्कर, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बागी भी मैदान में ठोंक रहे ताल.

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मिल्कीपुर का महाभारत. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 4, 2025, 2:56 PM IST

अयोध्या: मिल्कीपुर विधानसभा सीट की लड़ाई अब अंतिम चरण में आ चुकी है. कल यानी 05 फरवरी को उपचुनाव का मतदान है. सीएम योगी आदित्यनाथ और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व सांसद अखिलेश यादव के लिए साख का सवाल बन चुकी मिल्कीपुर सीट पर मुख्य मुकाबला वैसे तो भाजपा और सपा के बीच ही दिख रहा है. लेकिन, सपा और कांग्रेस के बागी भी दूसरे बैनर तले अपनी ताल ठोंक रहे हैं. जो इस चुनाव में बड़ा खेला कर सकते हैं.

सपा ने फैजाबाद सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद पर दांव लगाया है. वहीं भाजपा ने तमाम समीकरणों को देखते हुए चंद्रभान पासवान को अपना प्रत्याशी बनाया है. इसके अलावा सपा के बागी सूरज चौधरी को आजाद समाज पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया है. जबकि, कांग्रेस से बगावत करके भोलानाथ भारती निर्दलीय मैदान में उतरे हैं.

बात मिल्कीपुर सीट के जातीय समीकरण की करें तो यहां पर दलित और ब्राह्मण वोट हमेशा से निर्णायक की भूमिका में रहा है. माना जाता है कि जिस प्रत्याशी ने इनको साध लिया उसने अपना विधानसभा का टिकट पक्का कर लिया. यही कारण है कि भाजपा के चंद्रभान पासवान और सपा के अजीत प्रसाद दोनों जाति के इलाकों को पूरी तरह से मथ चुके हैं.

भाजपा ने नाराज नेताओं को मनाया: भाजपा ने जैसे ही चंद्रभान पासवान को टिकट देकर मिल्कीपुर सीट पर अपना प्रत्याशी घोषित किया वैसे ही क्षेत्र के कुछ कद्दावर नेताओं ने मुंह फुला लिया. इनमें पूर्व विधायक बाबा गोरखनाथ, रामू प्रियदर्शी जैसे दिग्गज नेता भी शामिल थे. लेकिन, बाद में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आश्वासन पर सभी नाराज नेता चुनाव प्रचार में शामिल हो गए.

सपा को बागियों से खतरा: मिल्कीपुर सीट के उपचुनाव में सपा के लिए भी कम कांटे नहीं हैं. वैसे पूर्व मंत्री व कद्दावर नेता मित्रसेन यादव के बेटे आनंद सेन का सपा को साथ मिलना उसे संजीवनी देता नजर आ रहा है. क्योंकि पहली बार सेन परिवार अवधेश प्रसाद के साथ आया है.

लेकिन, सपा को बागी सूरज चौधरी से खतरा है. क्योंकि, सूरज चौधरी आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के टिकट पर चुनावी मैदान में ताल ठोंक रहे हैं. सूरज सांसद अवधेश प्रसाद के करीबी बताए जाते हैं और उपचुनाव की घोषणा से कुछ दिन पहले उन्होंने परिवारवाद व अन्य गंभीर आरोप लगाते हुए सपा से किनारा कर लिया था.

कांग्रेस का वोट बैंक छिटकने के आसार: मिल्कीपुर उपचुनाव में कांग्रेस का सपा के साथ लोकसभा चुनाव वाला गठबंधन बरकरार है. इसलिए कांग्रेस ने यहां अपना कोई प्रत्याशी नहीं उतारा है. लेकिन, कांग्रेस नेता भोलानाथ भारती पार्टी से बगावत करके निर्दलीय मैदान में उतरे हैं. इससे कांग्रेस वोट बैंक के छिटकने के आसार नजर आ रहे हैं. भोलानाथ ने जिला पंचायत चुनाव में सपा प्रत्याशी तथा अवधेश प्रसाद के बेटे अजित प्रसाद को हराया था. इस वजह से उनका क्षेत्र में जनाधार बताया जाता है.

बसपा का कोर वोटर किसकी ओर: मिल्कीपुर उपचुनाव में बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपना कोई भी प्रत्याशी नहीं उतारा है. ना ही उन्होंने किसी दल को समर्थन देने की बात कही है. ऐसे में बसपा का कोर वोटर असमंजस में है कि वह किधर जाए. वैसे आजाद समाज पार्टी कांशीराम की विचारधारा पर ही है. खुद को दलितों और वंचितों का सच्चा हितैशी बताती है. ऐसे में बसपा का कोर वोटर आजाद समाज की ओर सरक सकता है.

मिल्कीपुर सीट पर क्यों हो रहा उपचुनाव: विधानसभा चुनाव 2022 में मिल्कीपुर सीट पर सपा के अवधेश प्रसाद ने जीत दर्ज की थी. लेकिन, इसके 2 साल बाद हुए लोकसभा चुनाव 2024 में अवधेश प्रसाद सांसद बन गए और श्रीराम की नगरी अयोध्या से भाजपा को करारी हार झेलनी पड़ी. सांसद बनने के बाद अवधेश प्रसाद ने विधायकी छोड़ दी, इसलिए अब यहां पर उपचुनाव हो रहे हैं.

मिल्कीपुर उपचुनाव के लिए कितने बनाए गए मतदान केंद्र: उपचुनाव के लिए मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में 210 मतदेय स्थलों की वेब कास्टिंग होगी. 25 मतदेय स्थलों पर वीडियोग्राफी की जाएगी. 71 मतदान केंद्रों पर माइक्रो ऑब्जर्वर तैनात होंगे. 9 टीम उड़नदस्ता और 9 टीम स्टेटिक निगरानी के लिए तैनात रहेगी. इसके अलावा 6 टीम वीडियो निगरानी करेंगी. साथ ही 2 सुपर जोनल और 4 जोनल मजिस्ट्रेट भी तैनात रहेंगे. मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र के 3,70,822 मतदाताओं के लिए 255 मतदान केंद्रों पर 414 मतदेय स्थल बनाए गए हैं.

मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र के वोटरों का लेखा-जोखा

  • कुल मतदाता - 3,70,822
  • पुरुष - 1,92,984
  • महिला - 1,77,838

जातिगत आंकड़े (अनुमानित)

  • अनुसूचित जाति - 90 हजार
  • पासी - 65 हजार
  • यादव - 62 हजार
  • मुस्लिम - 31 हजार
  • ब्राह्मण - 63 हजार
  • क्षत्रिय - 18 हजार
  • चौरसिया - 16 हजार
  • मौर्या - 12 हजार

अन्य (कुर्मी, निषाद, विश्वकर्मा) - 13829

भाजपा को सिर्फ 2 बार मिली मिल्कीपुर में जीत: मिल्कीपुर सीट पर हमेशा से समाजवादी पार्टी का दबदबा रहा है. अब तक 17 बार हुए चुनाव में सपा ने सबसे ज्यादा 6 बार इस सीट पर जीत दर्ज की है. वहीं, भाजपा को सिर्फ 2 बार ही जीत का स्वाद चखने का मौका मिला है. इसके अलावा मिल्कीपुर में एक परिवार की भी बादशाहत रही है. सेन परिवार से मिल्कीपुर को 7 बार विधायक मिले हैं. इसमें मित्रसेन यादव सबसे ज्यादा 5 बार और उनके बेटे आनंदसेन यादव 2 बार चुनाव जीते हैं.

  • 1967 - रामलाल मिश्रा - कांग्रेस
  • 1969 - हरिनाथ तिवारी - भारतीय जनसंघ
  • 1974 - धर्मचंद्र - कांग्रेस
  • 1977 - मित्रसेन यादव - सीपीआई
  • 1980 - मित्रसेन यादव - सीपीआई
  • 1985 - मित्रसेन यादव - सीपीआई
  • 1989 - बृजभूषण मणि त्रिपाठी - कांग्रेस
  • 1991 - मथुरा प्रसाद तिवारी - भाजपा
  • 1993 - मित्रसेन यादव - सीपीआई
  • 1996 - मित्रसेन यादव - सपा
  • 1998 - रामचंद्र यादव - सपा
  • 2002 - आनंदसेन यादव - सपा
  • 2004 - रामचंद्र यादव - सपा
  • 2007 - आनंदसेन यादव - बसपा
  • 2012 - अवधेश प्रसाद - सपा
  • 2017 - बाबा गोरखनाथ - भाजपा
  • 2022 - अवधेश प्रसाद - सपा

ये भी पढ़ेंः मिल्कीपुर उपचुनाव; महाकुंभ भगदड़ पर अखिलेश बोले- जो सत्य को छुपाए, वह योगी नहीं हो सकता

अयोध्या: मिल्कीपुर विधानसभा सीट की लड़ाई अब अंतिम चरण में आ चुकी है. कल यानी 05 फरवरी को उपचुनाव का मतदान है. सीएम योगी आदित्यनाथ और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व सांसद अखिलेश यादव के लिए साख का सवाल बन चुकी मिल्कीपुर सीट पर मुख्य मुकाबला वैसे तो भाजपा और सपा के बीच ही दिख रहा है. लेकिन, सपा और कांग्रेस के बागी भी दूसरे बैनर तले अपनी ताल ठोंक रहे हैं. जो इस चुनाव में बड़ा खेला कर सकते हैं.

सपा ने फैजाबाद सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद पर दांव लगाया है. वहीं भाजपा ने तमाम समीकरणों को देखते हुए चंद्रभान पासवान को अपना प्रत्याशी बनाया है. इसके अलावा सपा के बागी सूरज चौधरी को आजाद समाज पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया है. जबकि, कांग्रेस से बगावत करके भोलानाथ भारती निर्दलीय मैदान में उतरे हैं.

बात मिल्कीपुर सीट के जातीय समीकरण की करें तो यहां पर दलित और ब्राह्मण वोट हमेशा से निर्णायक की भूमिका में रहा है. माना जाता है कि जिस प्रत्याशी ने इनको साध लिया उसने अपना विधानसभा का टिकट पक्का कर लिया. यही कारण है कि भाजपा के चंद्रभान पासवान और सपा के अजीत प्रसाद दोनों जाति के इलाकों को पूरी तरह से मथ चुके हैं.

भाजपा ने नाराज नेताओं को मनाया: भाजपा ने जैसे ही चंद्रभान पासवान को टिकट देकर मिल्कीपुर सीट पर अपना प्रत्याशी घोषित किया वैसे ही क्षेत्र के कुछ कद्दावर नेताओं ने मुंह फुला लिया. इनमें पूर्व विधायक बाबा गोरखनाथ, रामू प्रियदर्शी जैसे दिग्गज नेता भी शामिल थे. लेकिन, बाद में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आश्वासन पर सभी नाराज नेता चुनाव प्रचार में शामिल हो गए.

सपा को बागियों से खतरा: मिल्कीपुर सीट के उपचुनाव में सपा के लिए भी कम कांटे नहीं हैं. वैसे पूर्व मंत्री व कद्दावर नेता मित्रसेन यादव के बेटे आनंद सेन का सपा को साथ मिलना उसे संजीवनी देता नजर आ रहा है. क्योंकि पहली बार सेन परिवार अवधेश प्रसाद के साथ आया है.

लेकिन, सपा को बागी सूरज चौधरी से खतरा है. क्योंकि, सूरज चौधरी आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के टिकट पर चुनावी मैदान में ताल ठोंक रहे हैं. सूरज सांसद अवधेश प्रसाद के करीबी बताए जाते हैं और उपचुनाव की घोषणा से कुछ दिन पहले उन्होंने परिवारवाद व अन्य गंभीर आरोप लगाते हुए सपा से किनारा कर लिया था.

कांग्रेस का वोट बैंक छिटकने के आसार: मिल्कीपुर उपचुनाव में कांग्रेस का सपा के साथ लोकसभा चुनाव वाला गठबंधन बरकरार है. इसलिए कांग्रेस ने यहां अपना कोई प्रत्याशी नहीं उतारा है. लेकिन, कांग्रेस नेता भोलानाथ भारती पार्टी से बगावत करके निर्दलीय मैदान में उतरे हैं. इससे कांग्रेस वोट बैंक के छिटकने के आसार नजर आ रहे हैं. भोलानाथ ने जिला पंचायत चुनाव में सपा प्रत्याशी तथा अवधेश प्रसाद के बेटे अजित प्रसाद को हराया था. इस वजह से उनका क्षेत्र में जनाधार बताया जाता है.

बसपा का कोर वोटर किसकी ओर: मिल्कीपुर उपचुनाव में बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपना कोई भी प्रत्याशी नहीं उतारा है. ना ही उन्होंने किसी दल को समर्थन देने की बात कही है. ऐसे में बसपा का कोर वोटर असमंजस में है कि वह किधर जाए. वैसे आजाद समाज पार्टी कांशीराम की विचारधारा पर ही है. खुद को दलितों और वंचितों का सच्चा हितैशी बताती है. ऐसे में बसपा का कोर वोटर आजाद समाज की ओर सरक सकता है.

मिल्कीपुर सीट पर क्यों हो रहा उपचुनाव: विधानसभा चुनाव 2022 में मिल्कीपुर सीट पर सपा के अवधेश प्रसाद ने जीत दर्ज की थी. लेकिन, इसके 2 साल बाद हुए लोकसभा चुनाव 2024 में अवधेश प्रसाद सांसद बन गए और श्रीराम की नगरी अयोध्या से भाजपा को करारी हार झेलनी पड़ी. सांसद बनने के बाद अवधेश प्रसाद ने विधायकी छोड़ दी, इसलिए अब यहां पर उपचुनाव हो रहे हैं.

मिल्कीपुर उपचुनाव के लिए कितने बनाए गए मतदान केंद्र: उपचुनाव के लिए मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में 210 मतदेय स्थलों की वेब कास्टिंग होगी. 25 मतदेय स्थलों पर वीडियोग्राफी की जाएगी. 71 मतदान केंद्रों पर माइक्रो ऑब्जर्वर तैनात होंगे. 9 टीम उड़नदस्ता और 9 टीम स्टेटिक निगरानी के लिए तैनात रहेगी. इसके अलावा 6 टीम वीडियो निगरानी करेंगी. साथ ही 2 सुपर जोनल और 4 जोनल मजिस्ट्रेट भी तैनात रहेंगे. मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र के 3,70,822 मतदाताओं के लिए 255 मतदान केंद्रों पर 414 मतदेय स्थल बनाए गए हैं.

मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र के वोटरों का लेखा-जोखा

  • कुल मतदाता - 3,70,822
  • पुरुष - 1,92,984
  • महिला - 1,77,838

जातिगत आंकड़े (अनुमानित)

  • अनुसूचित जाति - 90 हजार
  • पासी - 65 हजार
  • यादव - 62 हजार
  • मुस्लिम - 31 हजार
  • ब्राह्मण - 63 हजार
  • क्षत्रिय - 18 हजार
  • चौरसिया - 16 हजार
  • मौर्या - 12 हजार

अन्य (कुर्मी, निषाद, विश्वकर्मा) - 13829

भाजपा को सिर्फ 2 बार मिली मिल्कीपुर में जीत: मिल्कीपुर सीट पर हमेशा से समाजवादी पार्टी का दबदबा रहा है. अब तक 17 बार हुए चुनाव में सपा ने सबसे ज्यादा 6 बार इस सीट पर जीत दर्ज की है. वहीं, भाजपा को सिर्फ 2 बार ही जीत का स्वाद चखने का मौका मिला है. इसके अलावा मिल्कीपुर में एक परिवार की भी बादशाहत रही है. सेन परिवार से मिल्कीपुर को 7 बार विधायक मिले हैं. इसमें मित्रसेन यादव सबसे ज्यादा 5 बार और उनके बेटे आनंदसेन यादव 2 बार चुनाव जीते हैं.

  • 1967 - रामलाल मिश्रा - कांग्रेस
  • 1969 - हरिनाथ तिवारी - भारतीय जनसंघ
  • 1974 - धर्मचंद्र - कांग्रेस
  • 1977 - मित्रसेन यादव - सीपीआई
  • 1980 - मित्रसेन यादव - सीपीआई
  • 1985 - मित्रसेन यादव - सीपीआई
  • 1989 - बृजभूषण मणि त्रिपाठी - कांग्रेस
  • 1991 - मथुरा प्रसाद तिवारी - भाजपा
  • 1993 - मित्रसेन यादव - सीपीआई
  • 1996 - मित्रसेन यादव - सपा
  • 1998 - रामचंद्र यादव - सपा
  • 2002 - आनंदसेन यादव - सपा
  • 2004 - रामचंद्र यादव - सपा
  • 2007 - आनंदसेन यादव - बसपा
  • 2012 - अवधेश प्रसाद - सपा
  • 2017 - बाबा गोरखनाथ - भाजपा
  • 2022 - अवधेश प्रसाद - सपा

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