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स्वतंत्रता सेनानी मौलवी अहमदुल्लाह शाह को समर्पित हो सकती है अयोध्या मस्जिद

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Published : Jan 25, 2021, 11:49 AM IST

इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (आईआईसीएफ) ने कहा कि ट्रस्ट महान स्वतंत्रता सेनानी मौलवी अहमदुल्ला शाह को अयोध्या मस्जिद प्रोजेक्ट समर्पित करने के प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार कर रहा है.

स्वतंत्रता सेनानी मौलवी अहमदुल्लाह शाह को समर्पित हो सकती है अयोध्या की मस्जिद
स्वतंत्रता सेनानी मौलवी अहमदुल्लाह शाह को समर्पित हो सकती है अयोध्या की मस्जिद

अयोध्या: जिले के धन्नीपुर में इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के देखरेख में बन रही मस्जिद को नाम देने की जद्दोजहद चल रही है. अयोध्या मस्जिद ट्रस्ट, इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन अयोध्या में प्रस्तावित मस्जिद परियोजना के लिए महान स्वतंत्रता सेनानी मौलवी अहमदुल्लाह शाह के नाम पर गंभीरता के साथ विचार कर रहा है.

मस्जिद परियोजना महान स्वतंत्रता सेनानी मौलवी अहमदुल्लाह शाह को समर्पित करने का प्रस्ताव

ट्रस्ट मस्जिद के प्रोजेक्ट को अयोध्या के महान स्वतंत्रता सेनानी मौलवी अहमदुल्लाह शाह को समर्पित कर सकता है. इंडो इस्लामिक कल्चरल फ़ाउंडेशन के सचिव अतहर हुसैन ने कहा कि ट्रस्ट अयोध्या मस्जिद परियोजना को महान स्वतंत्रता सेनानी मौलवी अहमदुल्लाह शाह को समर्पित करने के प्रस्ताव पर बहुत गंभीरता से सोच रहा है. हमें अलग-अलग प्लेटफार्मों से एक ही के बारे में सुझाव मिले हैं. यह एक अच्छा सुझाव है. हम आधिकारिक तौर पर विचार-विमर्श के बाद इसकी घोषणा करेंगे.


योध्या में मस्जिद के निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अयोध्या में मस्जिद के निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन किया गया था, जब शीर्ष अदालत ने राम मंदिर के लिए व मस्जिद के लिए जमीन दी थी. अब मस्जिद महान स्वतंत्रता सेनानी मौलवी अहमदुल्ला शाह के नाम पर करने पर मंथन हुआ है.

मौलवी अहमदुल्ला शाह 1787 में पैदा हुए और वे 5 जून 1858 को शहीद हुए. वे फैजाबाद के मौलवी के रूप में प्रसिद्ध थे. वह 1857 के विद्रोह के नेता थे. मौलवी अहमदुल्ला शाह को अवध क्षेत्र में विद्रोह के प्रमुख स्तम्भ के रूप में जाना जाता था. ब्रिटिश अधिकारियों ने अहमदुल्लाह की साहस, वीरता, व्यक्तिगत और संगठनात्मक क्षमताओं के बारे में उल्लेख किया है. जीबी मल्लेसन ने 1857 के भारतीय विद्रोह के
इतिहास में बार-बार अहमदुल्ला का उल्लेख किया गया है.

अयोध्या मस्जिद ट्रस्ट के गठन के बाद यह सवाल उठा था कि ट्रस्ट अपनी मस्जिद परियोजना के साथ मुगल सम्राट बाबर का नाम लेगा या नहीं. ट्रस्ट ने अभी तक यह तय नहीं किया है कि परियोजना को किस नाम से समर्पित किया जाए. ट्रस्ट के पुष्ट सूत्रों के अनुसार, अयोध्या मस्जिद परियोजना को सांप्रदायिक भाईचारे और देशभक्ति का प्रतीक बनाने के लिए ट्रस्ट ने मौलवी अहमदुल्ला शाह को परियोजना समर्पित करने का फैसला किया है. ऐसा इसलिए कि वे देशभक्ति, सांप्रदायिक भाईचारे और इस्लाम के सच्चे अनुयायी का प्रतिनिधित्व करते हैं.

मौलवी ने अयोध्या को केंद्र बना अवध क्षेत्र में विद्रोह शुरू किया

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान मौलवी ने अयोध्या को केंद्र बनाकर अवध क्षेत्र में विद्रोह शुरू किया. उन्होंने फैजाबाद (अब अयोध्या )के चौक इलाके में स्थित स्थानीय मस्जिद सराय को अपना मुख्यालय बनाया. उन्होंने फैजाबाद और अवध क्षेत्र के बड़े हिस्से को मुक्त करा लिया था. उन्होंने इस मस्जिद के परिसर का इस्तेमाल विद्रोही नेताओं के साथ बैठकें करने के लिए किया.

वह अयोध्या की धार्मिक एकता और गंगा-जमुनी संस्कृति के प्रतीक भी थे

शोधकर्ता और प्रसिद्ध इतिहासकार राम शंकर त्रिपाठी के अनुसार, एक मुस्लिम होने के साथ, वह अयोध्या की धार्मिक एकता और गंगा-जमुनी संस्कृति के प्रतीक भी थे. 1857 के विद्रोह में कानपुर के नाना साहिब, रॉयल्टी के अरुण कुंवर सिंह ने मौलवी अहमदुल्ला शाह के साथ लड़ाई लड़ी.

इंडो इस्लामिक कल्चरल फ़ाउंडेशन के सचिव अतहर हुसैन ने कहा कि हमें अलग-अलग प्लेटफार्मों से एक ही के बारे में सुझाव मिले हैं. यह एक अच्छा सुझाव है. आधिकारिक तौर पर विचार-विमर्श के बाद इसकी घोषणा करेंगे.

अयोध्या: जिले के धन्नीपुर में इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के देखरेख में बन रही मस्जिद को नाम देने की जद्दोजहद चल रही है. अयोध्या मस्जिद ट्रस्ट, इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन अयोध्या में प्रस्तावित मस्जिद परियोजना के लिए महान स्वतंत्रता सेनानी मौलवी अहमदुल्लाह शाह के नाम पर गंभीरता के साथ विचार कर रहा है.

मस्जिद परियोजना महान स्वतंत्रता सेनानी मौलवी अहमदुल्लाह शाह को समर्पित करने का प्रस्ताव

ट्रस्ट मस्जिद के प्रोजेक्ट को अयोध्या के महान स्वतंत्रता सेनानी मौलवी अहमदुल्लाह शाह को समर्पित कर सकता है. इंडो इस्लामिक कल्चरल फ़ाउंडेशन के सचिव अतहर हुसैन ने कहा कि ट्रस्ट अयोध्या मस्जिद परियोजना को महान स्वतंत्रता सेनानी मौलवी अहमदुल्लाह शाह को समर्पित करने के प्रस्ताव पर बहुत गंभीरता से सोच रहा है. हमें अलग-अलग प्लेटफार्मों से एक ही के बारे में सुझाव मिले हैं. यह एक अच्छा सुझाव है. हम आधिकारिक तौर पर विचार-विमर्श के बाद इसकी घोषणा करेंगे.


योध्या में मस्जिद के निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अयोध्या में मस्जिद के निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन किया गया था, जब शीर्ष अदालत ने राम मंदिर के लिए व मस्जिद के लिए जमीन दी थी. अब मस्जिद महान स्वतंत्रता सेनानी मौलवी अहमदुल्ला शाह के नाम पर करने पर मंथन हुआ है.

मौलवी अहमदुल्ला शाह 1787 में पैदा हुए और वे 5 जून 1858 को शहीद हुए. वे फैजाबाद के मौलवी के रूप में प्रसिद्ध थे. वह 1857 के विद्रोह के नेता थे. मौलवी अहमदुल्ला शाह को अवध क्षेत्र में विद्रोह के प्रमुख स्तम्भ के रूप में जाना जाता था. ब्रिटिश अधिकारियों ने अहमदुल्लाह की साहस, वीरता, व्यक्तिगत और संगठनात्मक क्षमताओं के बारे में उल्लेख किया है. जीबी मल्लेसन ने 1857 के भारतीय विद्रोह के
इतिहास में बार-बार अहमदुल्ला का उल्लेख किया गया है.

अयोध्या मस्जिद ट्रस्ट के गठन के बाद यह सवाल उठा था कि ट्रस्ट अपनी मस्जिद परियोजना के साथ मुगल सम्राट बाबर का नाम लेगा या नहीं. ट्रस्ट ने अभी तक यह तय नहीं किया है कि परियोजना को किस नाम से समर्पित किया जाए. ट्रस्ट के पुष्ट सूत्रों के अनुसार, अयोध्या मस्जिद परियोजना को सांप्रदायिक भाईचारे और देशभक्ति का प्रतीक बनाने के लिए ट्रस्ट ने मौलवी अहमदुल्ला शाह को परियोजना समर्पित करने का फैसला किया है. ऐसा इसलिए कि वे देशभक्ति, सांप्रदायिक भाईचारे और इस्लाम के सच्चे अनुयायी का प्रतिनिधित्व करते हैं.

मौलवी ने अयोध्या को केंद्र बना अवध क्षेत्र में विद्रोह शुरू किया

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान मौलवी ने अयोध्या को केंद्र बनाकर अवध क्षेत्र में विद्रोह शुरू किया. उन्होंने फैजाबाद (अब अयोध्या )के चौक इलाके में स्थित स्थानीय मस्जिद सराय को अपना मुख्यालय बनाया. उन्होंने फैजाबाद और अवध क्षेत्र के बड़े हिस्से को मुक्त करा लिया था. उन्होंने इस मस्जिद के परिसर का इस्तेमाल विद्रोही नेताओं के साथ बैठकें करने के लिए किया.

वह अयोध्या की धार्मिक एकता और गंगा-जमुनी संस्कृति के प्रतीक भी थे

शोधकर्ता और प्रसिद्ध इतिहासकार राम शंकर त्रिपाठी के अनुसार, एक मुस्लिम होने के साथ, वह अयोध्या की धार्मिक एकता और गंगा-जमुनी संस्कृति के प्रतीक भी थे. 1857 के विद्रोह में कानपुर के नाना साहिब, रॉयल्टी के अरुण कुंवर सिंह ने मौलवी अहमदुल्ला शाह के साथ लड़ाई लड़ी.

इंडो इस्लामिक कल्चरल फ़ाउंडेशन के सचिव अतहर हुसैन ने कहा कि हमें अलग-अलग प्लेटफार्मों से एक ही के बारे में सुझाव मिले हैं. यह एक अच्छा सुझाव है. आधिकारिक तौर पर विचार-विमर्श के बाद इसकी घोषणा करेंगे.

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