अयोध्या: राम मंदिर आंदोलन के पुरोधा और मध्य प्रदेश के राज्यपाल रहे स्वर्गीय लालजी टंडन की अस्थियां उनके परिजनों ने सरयू नदी में प्रवाहित कर दीं. लालजी टंडन के पुत्र और परिवार के अन्य सदस्यों में नाव में बैठकर सरयू नदी के बीच स्वर्गीय टंडन का शव प्रवाहित किया. राम मंदिर निर्माण से पहले उनकी अस्थियों को सरयू में प्रवाहित कर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दी गई.
मंगलवार को स्वर्गीय लालजी टंडन का अस्थि कलश सरयू में विसर्जित हुआ. इस मौके पर संत तुलसीदास घाट पर संत महात्माओं, जन प्रतिनिधियों और अधिकारियों ने उनके चित्र पर पर फूलमाला पहनाकर श्रद्धांजलि अर्पित की. श्रद्धांजलि सभा में श्रीराम वल्लभाकुंज के अधिकारी राजकुमार दास, महंत रामदास, मनमोहन दास, सांसद लल्लू सिंह, विधायक वेद प्रकाश गुप्ता, महापौर ऋषिकेश उपाध्याय, महानगर अध्यक्ष अभिषेक मिश्र, महामंत्री परमानन्द मिश्र, नगर आयुक्त डॉ. नीरज शुक्ल समिति अयोध्या के कई संत, महंत और गणमान्य लोग उपस्थित रहे. स्वर्गीय लालजी टंडन के पुत्र आशुतोष टंडन ने कहा कि मृत्यु से चार-पांच दिन पहले उन्होंने अयोध्या भ्रमण करने का निश्चय किया था, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था. 20 जुलाई को ट्रस्ट ने कार्यक्रम तय किया और 21 को उनका देहावसान हो गया. आशुतोष टंडन ने बताया कि अयोध्या से हमेशा उनका आत्मीय लगाव रहा है. आशुतोष टंडन ने बताया कि उनके पिता के मन मस्तिष्क में हमेशा अयोध्या बसी रही. ऐसे में उनकी आत्मा की शांति के लिए उनका अस्थि कलश सरयू में प्रवाहित करने का निश्चय किया गया.