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बाबरी विध्वंस मामलाः CBI कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देगा एआईएमपीएलबी

सीबीआई की विशेष अदालत के फैसले से नाराज ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अब हाईकोर्ट का रुख करेगा. इसे लेकर एआईएमपीएलबी ने दो दिन वर्चुअल बैठक करने के बाद यह फैसला लिया गया. बोर्ड के सदस्यों का कहना है कि सीबीआई का फैसला न्याय से कोसों दूर है.

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Published : Oct 17, 2020, 6:58 PM IST

aimplb press conference
प्रेसवार्ता को संबोधित करते एआईएमपीएलबी के सदस्य

अयोध्याः सीबीआई अदालत ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सबूतों के अभाव में सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है. हालांकि देशभर से इस फैसले पर तमाम तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आईं. वहीं अदालत के इस फैसले पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने देशभर में अपने सदस्यों के साथ चली 2 दिनों की वर्चुअल मीटिंग के बाद आज यानी शनिवार को मीडिया में एक पत्र जारी किया. पत्र के माध्यम से पर्सनल लॉ बोर्ड ने साफ किया है कि वह इस फैसले को हाईकोर्ट में चैलेंज करेगा.

aimplb press conference
प्रेसवार्ता को संबोधित करते एआईएमपीएलबी के सदस्य

वर्चुअल बैठक के बाद लिया फैसला

सीबीआई के फैसले को लेकर शुक्रवार देर शाम ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मीडिया में एक पत्र जारी किया. उन्होंने बताया कि वर्चुअल बैठक में यह फैसला लिया गया है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड बाबरी विध्वंस के मामले में आए फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देगा. आपको बता दें कि इससे पहले ये बैठक बीते रविवार और फिर मंगलवार को हुई थी.

सीबीआई कोर्ट के फैसले से नाराज था बोर्ड

दरअसल, बाबरी विध्वंस मामले पर अदालत के फैसले के बाद से ही ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड फैसले से नाराज था. बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी ने फैसले पर हैरानी जताई थी. इसके बाद अब ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने फैसले को चुनौती देने का फैसला किया है.

कोर्ट ने सभी 32 आरोपियों को किया था बरी

बता दें कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराने को लेकर लखनऊ की सीबीआई अदालत ने सितंबर में फैसला सुनाया था. इस मामले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया था. 28 साल बाद आए इस केस में सीबीआई की विशेष अदालत का फैसला बोर्ड को नागवार गुजरा था. जिसमें कोर्ट ने कहा था कि आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं लिहाजा, सभी 32 आरोपियों को बरी किया जाता है. हालांकि इस फैसले के आने के तुरंत बाद भी एआईएमपीएलबी के सचिव जफरयाब जिलानी ने इस पर हैरानी जताते हुए इसे नाइंसाफी करार दिया था।

कोर्ट के फैसले को बताया न्याय से कोसों दूर

वहीं मौलाना वली रहमानी ने भी उस समय पत्र जारी करते हुए कहा था कि सीबीआई अदालत का फैसला नाइंसाफी की एक मिसाल है. रहमानी ने दावा किया था कि यह फैसला न्याय से कोसों दूर है. उन्होंने कहा था कि आरोपियों को बरी करने का जो भी कारण हो, लेकिन हम सबने विध्वंस के वीडियो और तस्वीरें देखी हैं. बोर्ड की बैठक में सदस्यों द्वारा ये भी कहा गया कि राम मंदिर और धारा 370 के बाद सरकार का अगला लक्ष्य समान नागरिक संहिता हो सकता है. लिहाजा मुद्दे की नजाकत को देखते हुए अल्पसंख्यकों और समाज के लोगों के साथ बैठकें आयोजित की जानी चाहिए. बैठक में सरकार द्वारा सीआरपीसी और आईपीसी में सुधारों के लिए केंद्र सरकार की समिति का मुद्दा भी शामिल किया गया. इसके साथ ही बैठक में मस्जिदों, ईदगाहों और कब्रिस्तान से जुड़े मामलों की भी समीक्षा की गई. साथ ही महत्वपूर्ण फैसले लिए गए.

अयोध्याः सीबीआई अदालत ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सबूतों के अभाव में सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है. हालांकि देशभर से इस फैसले पर तमाम तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आईं. वहीं अदालत के इस फैसले पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने देशभर में अपने सदस्यों के साथ चली 2 दिनों की वर्चुअल मीटिंग के बाद आज यानी शनिवार को मीडिया में एक पत्र जारी किया. पत्र के माध्यम से पर्सनल लॉ बोर्ड ने साफ किया है कि वह इस फैसले को हाईकोर्ट में चैलेंज करेगा.

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प्रेसवार्ता को संबोधित करते एआईएमपीएलबी के सदस्य

वर्चुअल बैठक के बाद लिया फैसला

सीबीआई के फैसले को लेकर शुक्रवार देर शाम ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मीडिया में एक पत्र जारी किया. उन्होंने बताया कि वर्चुअल बैठक में यह फैसला लिया गया है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड बाबरी विध्वंस के मामले में आए फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देगा. आपको बता दें कि इससे पहले ये बैठक बीते रविवार और फिर मंगलवार को हुई थी.

सीबीआई कोर्ट के फैसले से नाराज था बोर्ड

दरअसल, बाबरी विध्वंस मामले पर अदालत के फैसले के बाद से ही ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड फैसले से नाराज था. बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी ने फैसले पर हैरानी जताई थी. इसके बाद अब ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने फैसले को चुनौती देने का फैसला किया है.

कोर्ट ने सभी 32 आरोपियों को किया था बरी

बता दें कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराने को लेकर लखनऊ की सीबीआई अदालत ने सितंबर में फैसला सुनाया था. इस मामले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया था. 28 साल बाद आए इस केस में सीबीआई की विशेष अदालत का फैसला बोर्ड को नागवार गुजरा था. जिसमें कोर्ट ने कहा था कि आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं लिहाजा, सभी 32 आरोपियों को बरी किया जाता है. हालांकि इस फैसले के आने के तुरंत बाद भी एआईएमपीएलबी के सचिव जफरयाब जिलानी ने इस पर हैरानी जताते हुए इसे नाइंसाफी करार दिया था।

कोर्ट के फैसले को बताया न्याय से कोसों दूर

वहीं मौलाना वली रहमानी ने भी उस समय पत्र जारी करते हुए कहा था कि सीबीआई अदालत का फैसला नाइंसाफी की एक मिसाल है. रहमानी ने दावा किया था कि यह फैसला न्याय से कोसों दूर है. उन्होंने कहा था कि आरोपियों को बरी करने का जो भी कारण हो, लेकिन हम सबने विध्वंस के वीडियो और तस्वीरें देखी हैं. बोर्ड की बैठक में सदस्यों द्वारा ये भी कहा गया कि राम मंदिर और धारा 370 के बाद सरकार का अगला लक्ष्य समान नागरिक संहिता हो सकता है. लिहाजा मुद्दे की नजाकत को देखते हुए अल्पसंख्यकों और समाज के लोगों के साथ बैठकें आयोजित की जानी चाहिए. बैठक में सरकार द्वारा सीआरपीसी और आईपीसी में सुधारों के लिए केंद्र सरकार की समिति का मुद्दा भी शामिल किया गया. इसके साथ ही बैठक में मस्जिदों, ईदगाहों और कब्रिस्तान से जुड़े मामलों की भी समीक्षा की गई. साथ ही महत्वपूर्ण फैसले लिए गए.

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