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अमरोहा में डेंगू का कहर जारी, एक ही गांव में मिले 25 मरीज

अमरोहा जिले में डेंगू का डंक थमने का नाम नहीं ले रहा है. जिले के पीपली घोसी गांव में डेंगू के 25 मिले हैं जिससे गांव में दहशत का माहौल है. जबकि दो की इलाज के दौरान मौत भी हो चुकी है.

डेंगू का कहर
डेंगू का कहर
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Published : Oct 19, 2021, 12:05 PM IST

Updated : Oct 19, 2021, 2:16 PM IST

अमरोहा: राज्य में डेंगू का डंक थमने का नाम नहीं ले रहा है. जलभराव व गंदगी से स्क्रब टाइफस, लेप्टोस्पाइरोसिस व डेंगू-मलेरिया की समस्या बढ़ रही है. वहीं जिले के पीपली घोसी गांव में डेंगू के 25 मरीज मिलने से हड़कंप मच गया है. वहीं दो लोगों की मेरठ में इलाज के दौरान मौत भी हो चुकी है.

गांव के लोगों का कहना है कि जो स्वास्थ्य सेवाएं हैं वह पूरी तरह से गांव में नहीं चल पा रही हैं और ग्राम प्रधान कोई सावधानी गांव वालों के लिए नहीं बरत रहे हैं. ब्लॉक स्तर से गांव में सैनेटाइज किया जा रहा है. मगर गांव के मुखिया उस पैसे को अपनी जेब भरने में लगे हुए हैं. ग्रामीणों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से भी गांव में डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़ रही है. बता दें, जनपद अमरोहा में अब तक 200 के पार डेंगू के मरीजों की संख्या हो चुकी है, जिसके बाद जनपद के लोगों में भय बना हुआ है.

हल्के में न लें बुखार को

स्वास्थ्य विभाग की ओर से लोगों के लिए बार-बार एडवाइजरी जारी होती रहती है. स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि किसी भी बुखार को हल्के में न लें. चाहे वह मलेरिया हो, डेंगू हो या कोविड. इस समय कोविड व डेंगू दोनों का खतरा है. यह दोनों ही घातक हो सकते हैं.

डेंगू के प्रकार

टाइप 1- सामान्य डेंगू - इसमें तेज बुखार के साथ शरीर, जोड़ों और सिर में दर्द होता है. दवाएं लेने से 5 से 7 दिन में ठीक हो जाता है.

टाइप 2- डेंगू हैमेरेजिक फीवर - इसमें मरीज के शरीर में प्लेटलेट्स तेजी से कम होते हैं. ब्लीडिंग शुरू हो जाती है. खून शरीर के विभिन्न हिस्से में जमा होने लगता है. यह फेफड़ों, पेट, किडनी या दिमाग में भी पहुंच सकता है. वहीं शरीर पर चकते पड़ जाते हैं, जिनसे खून रिसता रहता है. यह बुखार जानलेवा हो जाता है.

टाइप 3- डेंगू शॉक सिंड्रोम - इसमें मरीज को बुखार के साथ अचानक ब्लड प्रेशर कम हो जाता है. इंटरनल ब्लीडिंग का खतरा ज्यादा होता है. वह शॉक में चला जाता है. मल्टी ऑर्गन फेल्योर हो जाता है. इससे मरीज की मृत्यु हो जाती है. इस बुखार में मरीज को काफी कमजोरी भी आती है.

डेंगू के लक्षण

तेज बुखार, सिर, मांसपेशियों, जोड़ों में दर्द, आंखों के पिछले हिस्से में दर्द, कमजोरी लगना, भूख न लगना व मरीज का जी मिचलाना, चेहरे, गर्दन, चेस्ट पर लाल-गुलाबी रंग के रैशेज पड़ना है. वहीं डेंगू हेमरेजिक में नाक, मुंह, मसूड़े व मल मार्ग से खून आना है. साथ ही डेंगू शॉक सिंड्रोम में ब्लडप्रेश लो होना, बेहोशी होना शरीर में प्लेटलेट्स लगातार कम होने लगना है.

ऐसे करें डेंगू से बचाव

घर व आस-पास पानी को जमा न होने दें. कूलर, बाथरूम, किचन में जलभराव पर ध्यान दें. एकत्र पानी में मच्छर का लार्वा नष्ट करने का तेल स्प्रे करें. एसी की पानी टपकने वाली ट्रे को रोज साफ करें. घर में रखे गमले में पानी जमा न होने दें. छत पर टूटे-फूटे डिब्बे, टायर, बर्तन, बोतलें आदि न रखें. पक्षियों को दाना-पानी देने के बर्तन को रोज साफ करें. शरीर को पूरी तरह ढकने वाले कपड़े पहनें. बच्चों को फुल पेंट व पूरी बाजू की शर्ट पहनाएं. संभव हो तो मच्छरदानी लगाकर सोएं.

अमरोहा: राज्य में डेंगू का डंक थमने का नाम नहीं ले रहा है. जलभराव व गंदगी से स्क्रब टाइफस, लेप्टोस्पाइरोसिस व डेंगू-मलेरिया की समस्या बढ़ रही है. वहीं जिले के पीपली घोसी गांव में डेंगू के 25 मरीज मिलने से हड़कंप मच गया है. वहीं दो लोगों की मेरठ में इलाज के दौरान मौत भी हो चुकी है.

गांव के लोगों का कहना है कि जो स्वास्थ्य सेवाएं हैं वह पूरी तरह से गांव में नहीं चल पा रही हैं और ग्राम प्रधान कोई सावधानी गांव वालों के लिए नहीं बरत रहे हैं. ब्लॉक स्तर से गांव में सैनेटाइज किया जा रहा है. मगर गांव के मुखिया उस पैसे को अपनी जेब भरने में लगे हुए हैं. ग्रामीणों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से भी गांव में डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़ रही है. बता दें, जनपद अमरोहा में अब तक 200 के पार डेंगू के मरीजों की संख्या हो चुकी है, जिसके बाद जनपद के लोगों में भय बना हुआ है.

हल्के में न लें बुखार को

स्वास्थ्य विभाग की ओर से लोगों के लिए बार-बार एडवाइजरी जारी होती रहती है. स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि किसी भी बुखार को हल्के में न लें. चाहे वह मलेरिया हो, डेंगू हो या कोविड. इस समय कोविड व डेंगू दोनों का खतरा है. यह दोनों ही घातक हो सकते हैं.

डेंगू के प्रकार

टाइप 1- सामान्य डेंगू - इसमें तेज बुखार के साथ शरीर, जोड़ों और सिर में दर्द होता है. दवाएं लेने से 5 से 7 दिन में ठीक हो जाता है.

टाइप 2- डेंगू हैमेरेजिक फीवर - इसमें मरीज के शरीर में प्लेटलेट्स तेजी से कम होते हैं. ब्लीडिंग शुरू हो जाती है. खून शरीर के विभिन्न हिस्से में जमा होने लगता है. यह फेफड़ों, पेट, किडनी या दिमाग में भी पहुंच सकता है. वहीं शरीर पर चकते पड़ जाते हैं, जिनसे खून रिसता रहता है. यह बुखार जानलेवा हो जाता है.

टाइप 3- डेंगू शॉक सिंड्रोम - इसमें मरीज को बुखार के साथ अचानक ब्लड प्रेशर कम हो जाता है. इंटरनल ब्लीडिंग का खतरा ज्यादा होता है. वह शॉक में चला जाता है. मल्टी ऑर्गन फेल्योर हो जाता है. इससे मरीज की मृत्यु हो जाती है. इस बुखार में मरीज को काफी कमजोरी भी आती है.

डेंगू के लक्षण

तेज बुखार, सिर, मांसपेशियों, जोड़ों में दर्द, आंखों के पिछले हिस्से में दर्द, कमजोरी लगना, भूख न लगना व मरीज का जी मिचलाना, चेहरे, गर्दन, चेस्ट पर लाल-गुलाबी रंग के रैशेज पड़ना है. वहीं डेंगू हेमरेजिक में नाक, मुंह, मसूड़े व मल मार्ग से खून आना है. साथ ही डेंगू शॉक सिंड्रोम में ब्लडप्रेश लो होना, बेहोशी होना शरीर में प्लेटलेट्स लगातार कम होने लगना है.

ऐसे करें डेंगू से बचाव

घर व आस-पास पानी को जमा न होने दें. कूलर, बाथरूम, किचन में जलभराव पर ध्यान दें. एकत्र पानी में मच्छर का लार्वा नष्ट करने का तेल स्प्रे करें. एसी की पानी टपकने वाली ट्रे को रोज साफ करें. घर में रखे गमले में पानी जमा न होने दें. छत पर टूटे-फूटे डिब्बे, टायर, बर्तन, बोतलें आदि न रखें. पक्षियों को दाना-पानी देने के बर्तन को रोज साफ करें. शरीर को पूरी तरह ढकने वाले कपड़े पहनें. बच्चों को फुल पेंट व पूरी बाजू की शर्ट पहनाएं. संभव हो तो मच्छरदानी लगाकर सोएं.

Last Updated : Oct 19, 2021, 2:16 PM IST
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