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शायर की बेटी पर मुकदमा दर्ज कर देश की बेटियों को डराना चाहती है सरकार: गौहर रजा

यूपी के अलीगढ़ में बुधवार को प्रसिद्ध साइंटिस्ट,कवि और डॉक्यूमेंट्री फिल्ममेकर गौहर रजा ने मुनव्वर राणा की बेटियों पर मुकदमा दर्ज किए जाने को लेकर सरकार पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि यूपी सरकार को शर्म आनी चाहिए कि बेटियों के ऊपर जुर्म कर रहे हैं.

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प्रसिद्ध साइंटिस्ट गौहर रजा ने सरकार पर साधा निशाना
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Published : Jan 22, 2020, 1:30 PM IST

अलीगढ़: जिले में बुधवार को प्रसिद्ध वैज्ञानिक, कवि और डॉक्यूमेंट्री फिल्ममेकर गौहर रजा ने सीएए और एनआरसी के विरोध में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के बाबे सैयद गेट पर एक पब्लिक डिस्कशन में छात्रों को संबोधित किया. उन्होंने मुनव्वर राणा की बेटियों पर मुकदमा दर्ज किए जाने को लेकर कहा कि यूपी सरकार को शर्म आनी चाहिए कि बेटियों के ऊपर जुर्म कर रहे हैं. उन्होंने कहा खासतौर से शायर की बेटी को मुकदमे में फंसाने की कोशिश कर सरकार मुल्क की सभी बेटियों को डराना चाहती है.

प्रसिद्ध वैज्ञानिक गौहर रजा ने सरकार पर साधा निशाना.
गौहर रजा ने सरकार पर निशाना साधा
गौहर रजा ने कहा कि बांटने की सियासत की अपनी हदें हुआ करती है. डिवाइड और रुल की पालिसी अंग्रेजों की थी, लेकिन अंग्रेजों की नाजायज औलादें है जो देश में छूट गई हैं. अंग्रेजों के नक्शे कदम पर ही महौल बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि फासिस्ट पावर को न तो बातचीत करनी आती है और न ही वाद-विवाद करना आता है, क्योंकि यह इस काबिल नहीं है और न ही पीछे कदम हटाते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार नहीं जागी तो जनता जागेगी और सरकार को सत्ता से जाना होगा. गौहर रजा ने कहा कि इस मुल्क का नौजवान जाग रहा है और लोगों को जगा रहा है.

'आज छात्रों के आंदोलन ने सरहदें पार कर दी हैं'
गौहर रजा ने कहा कि 1857 में मेरठ से एक चिंगारी उठी थी, जिसने पूरे मुल्क को अपने लपेटे में ले लिया था. इस बार जामिया से चिंगारी उठी है और पूरे मुल्क और यूनिवर्सिटी को लपेटे में ले लिया है. उन्होंने कहा कि 1857 और आज के आंदोलन में फर्क इतना है कि 1857 में आंदोलन मुल्क की हदों के अंदर हुआ था, लेकिन आज छात्रों के आंदोलन ने सरहदें पार कर दी है. दुनिया के हर यूनिवर्सिटी, जिसमें साउथ अफ्रीका से लेकर यूरोप तक और जापान से लेकर अमेरिका तक यूनिवर्सिटी से आवाजें उठ रही हैं.


'सत्ता के पास लाठी गोली बम है और आम इंसान और स्टूडेंट के पास नारे'

उन्होंने कहा कि नारों और गानों के ऊपर एतराज किया गया. फैज की नज्म से जर्नल जिया परेशान थे, तो हिंदुस्तान में आरएसएस परेशान है. उन्होंने कहा कि छात्रों के नारों से सत्ता की कुर्सी हिलने लगती है. सत्ता के पास लाठी गोली बम है और आम इंसान और स्टूडेंट के पास नारे होते हैं. उन्होंने कहा कि लाठी, गोली, बम, धमाके सिर्फ जिस्म तक ही सीमित होते हैं, जबकि नारे जहन पर असर करते हैं. उन्होंने कहा कि मोदी और अमित शाह जैसे लोग दुनिया में रिजेक्ट होते रहे हैं. इस दौरान उन्होंने अपनी कविताएं छात्रों को सुनाकर तालियां भी बटोरीं.

इसे भी पढ़ें- मशहूर शायर मुनव्वर राना की बेटियों के खिलाफ FIR दर्ज, CAA के खिलाफ कर रहीं प्रदर्शन

अलीगढ़: जिले में बुधवार को प्रसिद्ध वैज्ञानिक, कवि और डॉक्यूमेंट्री फिल्ममेकर गौहर रजा ने सीएए और एनआरसी के विरोध में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के बाबे सैयद गेट पर एक पब्लिक डिस्कशन में छात्रों को संबोधित किया. उन्होंने मुनव्वर राणा की बेटियों पर मुकदमा दर्ज किए जाने को लेकर कहा कि यूपी सरकार को शर्म आनी चाहिए कि बेटियों के ऊपर जुर्म कर रहे हैं. उन्होंने कहा खासतौर से शायर की बेटी को मुकदमे में फंसाने की कोशिश कर सरकार मुल्क की सभी बेटियों को डराना चाहती है.

प्रसिद्ध वैज्ञानिक गौहर रजा ने सरकार पर साधा निशाना.
गौहर रजा ने सरकार पर निशाना साधा
गौहर रजा ने कहा कि बांटने की सियासत की अपनी हदें हुआ करती है. डिवाइड और रुल की पालिसी अंग्रेजों की थी, लेकिन अंग्रेजों की नाजायज औलादें है जो देश में छूट गई हैं. अंग्रेजों के नक्शे कदम पर ही महौल बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि फासिस्ट पावर को न तो बातचीत करनी आती है और न ही वाद-विवाद करना आता है, क्योंकि यह इस काबिल नहीं है और न ही पीछे कदम हटाते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार नहीं जागी तो जनता जागेगी और सरकार को सत्ता से जाना होगा. गौहर रजा ने कहा कि इस मुल्क का नौजवान जाग रहा है और लोगों को जगा रहा है.

'आज छात्रों के आंदोलन ने सरहदें पार कर दी हैं'
गौहर रजा ने कहा कि 1857 में मेरठ से एक चिंगारी उठी थी, जिसने पूरे मुल्क को अपने लपेटे में ले लिया था. इस बार जामिया से चिंगारी उठी है और पूरे मुल्क और यूनिवर्सिटी को लपेटे में ले लिया है. उन्होंने कहा कि 1857 और आज के आंदोलन में फर्क इतना है कि 1857 में आंदोलन मुल्क की हदों के अंदर हुआ था, लेकिन आज छात्रों के आंदोलन ने सरहदें पार कर दी है. दुनिया के हर यूनिवर्सिटी, जिसमें साउथ अफ्रीका से लेकर यूरोप तक और जापान से लेकर अमेरिका तक यूनिवर्सिटी से आवाजें उठ रही हैं.


'सत्ता के पास लाठी गोली बम है और आम इंसान और स्टूडेंट के पास नारे'

उन्होंने कहा कि नारों और गानों के ऊपर एतराज किया गया. फैज की नज्म से जर्नल जिया परेशान थे, तो हिंदुस्तान में आरएसएस परेशान है. उन्होंने कहा कि छात्रों के नारों से सत्ता की कुर्सी हिलने लगती है. सत्ता के पास लाठी गोली बम है और आम इंसान और स्टूडेंट के पास नारे होते हैं. उन्होंने कहा कि लाठी, गोली, बम, धमाके सिर्फ जिस्म तक ही सीमित होते हैं, जबकि नारे जहन पर असर करते हैं. उन्होंने कहा कि मोदी और अमित शाह जैसे लोग दुनिया में रिजेक्ट होते रहे हैं. इस दौरान उन्होंने अपनी कविताएं छात्रों को सुनाकर तालियां भी बटोरीं.

इसे भी पढ़ें- मशहूर शायर मुनव्वर राना की बेटियों के खिलाफ FIR दर्ज, CAA के खिलाफ कर रहीं प्रदर्शन

Intro:अलीगढ़ : प्रसिद्ध साइंटिस्ट. कवि और  डॉक्यूमेंट्री फिल्ममेकर गौहर रजा ने मुनव्वर राणा की बेटियों पर मुकदमा दर्ज किए जाने को लेकर कहा है कि यूपी सरकार को शर्म आना चाहिए कि बेटियों के ऊपर जुर्म कर रहे है और खासतौर से शायर की बेटी को मुकदमे में फंसाने की कोशिश कर सरकार मुल्क की सभी बेटियों को डराना चाहती हैं. उन्होंने कहा कि मुल्क की बेटियां खड़ी हो गई है और मोदी -शाह व योगी जी की साजिश को पहचानती है. 


 



Body:गौहर रजा ने सीएए व एनआरसी के विरोध में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के बाबे सैयद गेट पर एक पब्लिक डिस्कशन में छात्रों को संबोधित किया. इस दौरान उनकी जबान भी फिसल गई. उन्होंने कहा कि बांटने की सियासत की अपनी हदें हुआ करती है. डिवाइड और रुल की पालिसी अंग्रेजों की थी. लेकिन अंग्रेजों की नाजायज औलादें है जो देश में छूट गई है.अंग्रेजों के नक्शे कदम पर ही महौल बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि फासिस्ट पावर को ना तो बातचीत करनी आती है. ना वाद-विवाद करना आता है. क्योंकि यह इस काबिल नहीं है और ना ही  पीछे कदम हटाते हैं. उन्होंने कहा कि  सरकार नहीं जागी तो जनता जागेगी और सरकार को सत्ता से जाना होगा. गौहर रजा ने कहा कि इस मुल्क का नौजवान जाग रहा है और लोगों को जगा रहा है. 


Conclusion:उन्होंने कहा कि 1857 में मेरठ से एक चिंगारी उठी थी. जिसने पूरे मुल्क को अपने लपेट में ले लिया और इस बार जामिया से चिंगारी उठी है और पूरे मुल्क और यूनिवर्सिटी को लपेट में ले लिया है. उन्होंने कहा कि 1857 और आज के आंदोलन में फर्क है. 1857 मुल्क की हदों के अंदर हुआ था. लेकिन छात्रों के आंदोलन ने सरहदें पार कर दी है. दुनिया के हर यूनिवर्सिटी जिसमें साउथ अफ्रीका से लेकर यूरोप तक और  जापान से लेकर अमेरिका तक यूनिवर्सिटी से आवाजें उठ रही हैं.  उन्होंने कहा कि नारों और गानों  के ऊपर एतराज किया गया. फैज की नज्म से जर्नल जिया परेशान थे तो हिंदुस्तान में आरएसएस. परेशान है. उन्होंने कहा कि छात्रों के नारों से सत्ता की कुर्सी हिलने लगती है. सत्ता के पास लाठी गोली बम है और आम इंसान और स्टूडेंट के पास नारे होती हैं. उन्होने कहा कि  लाठी, गोली, बम, धमाके सिर्फ जिस्म तक सीमित होते हैं. जबकि नारे जहन  पर असर करते हैं.  उन्होंने कहा कि मोदी और अमित शाह जैसे लोग दुनिया में रिजेक्ट होते रहे हैं. इस दौरान उन्होंने अपनी कविताएं छात्रों को सुना कर तालियां बटोरी. 

बाइट -  गौहर रजा, साइंटिस्ट.पोएट, डाक्यूमेंट्री फिल्म मेकर 

आलोक सिंह, अलीगढ़
9837830535


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