अलीगढ़: कोरोना काल में परिवार नियोजन की गतिविधियों पर विराम लग गया था, लेकिन अब स्वास्थ्य विभाग 21 नवंबर से 4 दिसंबर तक पुरुष नसबंदी पखवाड़ा चलाने जा रहा है. जोकि दो चरणों में चलेगा. पहले चरण में दंपत्ति संपर्क अभियान चलाकर परिवार नियोजन में पुरुषों की भागीदारी बढ़ाने का होगा. इसमें गांव में आशा, एएनएम, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पुरुषों को प्रोत्साहित करेंगी. जबकि दूसरे चरण में इच्छुक पुरुषों को नसबंदी की सेवा प्रदान की जाएगी. इसको लेकर के अलीगढ़ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर वीपी सिंह कल्याणी ने शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में तैनात एएनएम और आशा कर्मियों को नसबंदी का लक्ष्य दिया गया है.
पुरुष नसबंदी के लिए प्रोत्साहित करेगा प्रशासन
पुरुषों की ज्यादा से ज्यादा भागीदारी के लिए 21 नवंबर से पुरुष नसबंदी पखवाड़ा स्वास्थ्य विभाग चलाने जा रहा है. जिसमें 21 नवंबर से 26 नवंबर तक दंपत्ति संपर्क पखवाड़ा आयोजित करेगा और 27 नवम्बर से 4 दिसम्बर तक सेवा प्रदायिकी पखवाड़ा का आयोजन किया जाएगा. इस पखवाड़े में पुरुषों की पुरानी सोच को बदला जाएगा. इस पखवाड़े के अंतर्गत आशा और एएनएम घर-घर जाकर दंपतियों से संपर्क कर उनका रजिस्ट्रेशन करेंगी और स्वास्थ्य विभाग परिवार नियोजन के स्थाई और अस्थाई साधनों के प्रति लोगों को जागरूक करेंगे.
परिवार नियोजन के स्थाई और अस्थाई साधन उपलब्ध
परिवार नियोजन को लेकर कई तरह के साधन उपलब्ध है. जिसमें गोलियां, इंजेक्शन और कंडोम शामिल हैं. गर्भनिरोधक के अस्थाई साधन में आईयूसीडी, पीपीआईयूसीडी, अंतरा इंजेक्शन, साप्ताहिक गर्भनिरोधक गोली छाया, माला एन और कंडोम शामिल है. यह साधन बच्चों के जन्म में अंतर रखने के लिए है. वही स्थाई साधन में पुरुष नसबंदी और महिला नसबंदी शामिल है. इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग अब प्रत्येक गुरुवार को अंतराल दिवस मनाने जा रहा है. जिसमें बच्चों में अंतर रखने के लिए गर्भनिरोधक के अस्थाई साधन के बारे में बताया जाएगा. वहीं स्थाई साधन के लिए महीने में दो बार सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर नियत सेवा दिवस मनाया जाएगा. जिसमें नसबंदी के लिए सर्जन भी मौजूद होंगे.
कोरोना के कारण स्वास्थ्य सेवाएं पिछड़ी
उत्तर प्रदेश के 57 जिले मिशन परिवार विकास में रखा गया है. जिसमें अलीगढ भी शामिल है. यहां बच्चों की जन्म दर 3 से अधिक है. इसलिए यहां फरवरी, अप्रैल, जुलाई, नवंबर के महीने में अभियान चलाया जाता है. जिसके तहत सास-बहू सम्मेलन, नई पहल किट या शगुन किट, सारथी वाहन और प्रोत्साहन राशि दी जाती है. हालांकि स्वास्थ्य विभाग मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में परिवार नियोजन की भूमिका, गर्भावस्था का सही समय, बच्चों में उचित अंतराल और परिवार नियोजन के स्थाई-अस्थाई साधनों पर लोगों को जानकारी दे रहा है.
परिवार नियोजन के नोडल अधिकारी डॉक्टर एसपी सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश में एक लाख जीवित जन्म पर लगभग 216 माताओं की मौत हो जाती है. जबकि परिवार नियोजन द्वारा अनचाहे गर्भ की जटिलताओं को कम कर 30% तक मातृ मृत्यु को रोका जा सकता है. साथ ही परिवार नियोजन के साधन को अपनाकर 10 फीसदी शिशुओं को मृत्यु से बचाया जा सकता है. मुख्य चिकित्सा अधिकारी वीपी सिंह कल्याणी ने बताया कि कोविड के डर से सभी स्वास्थ्य सेवाएं बंद हो गई थी. केवल इमरजेंसी सेवाएं ही चल रही थी. परिवार नियोजन के कार्यक्रम में भी काफी पिछड़ गए हैं.