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अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में 'नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन' पर सेमिनार का आयोजन

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में 'नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन' पर सेमिनार का आयोजन किया गया. इस आयोजन में नलसार कानून विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. फैजान मुस्तफा ने कहा कि एनआरसी का कानून सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय
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Published : Apr 7, 2019, 2:41 AM IST

अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन पर सेमिनार का आयोजन किया गया. सेमिनार की खास बात यह रही की एनआरसी के कानूनों पर चर्चा की गई. इस मौके पर नलसार कानून विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ फैजान मुस्तफा ने कहा कि एनआरसी का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.

यूनिवर्सिटी के कैनेडी हॉल में लॉ के छात्रों से उन्होंने कहा कि असम में लगातार घुसपैठ जारी है. साथ ही उन्हें चिन्हित करने के लिए कार्यक्रम चलाया जा रहा है. अवैध रूप से असम में रह रहे बांग्लादेशियों को निकालने के लिए नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन अभियान चलाया जा रहा है. अगर हम बात करें बांग्लादेश से आए घुसपैठियों की, तो 1971 से लगातार बांग्लादेश से भारत में घुसपैठ की जा रही है. जिसके बाद घुसपैठियों के बीच झड़प की खबरें कई बार सामने आई है. एनआरसी को लेकर पहला ड्राफ्ट जारी किया गया है, जिसमें 40 लाख लोग अपनी नागरिकता के वैध दस्तावेज नहीं दिखा पाए.

एमयू में सेमिनार के आयोजन

गुवाहटी हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट हाफिज राशिद ने सरकार पर आरोप लगाते हुए बताया कहा कि 40 लाख को घुसपैठिया बताना गलत है. इन्होंने कहा कि यह एक प्रक्रिया है जिसमें 1971 के अनुसार रजिस्टर बनाने की बात कही गई. सभी पार्टी इसके लिए राजी हुई. उन्होंने कहा कि आसाम में बहुत से लोगों ने अप्लाई नहीं किया है. उन्होने सरकार पर सीधा-सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि बांग्लादेशी मुसलमानों के लिए यह बिल लाया गया है.

अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन पर सेमिनार का आयोजन किया गया. सेमिनार की खास बात यह रही की एनआरसी के कानूनों पर चर्चा की गई. इस मौके पर नलसार कानून विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ फैजान मुस्तफा ने कहा कि एनआरसी का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.

यूनिवर्सिटी के कैनेडी हॉल में लॉ के छात्रों से उन्होंने कहा कि असम में लगातार घुसपैठ जारी है. साथ ही उन्हें चिन्हित करने के लिए कार्यक्रम चलाया जा रहा है. अवैध रूप से असम में रह रहे बांग्लादेशियों को निकालने के लिए नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन अभियान चलाया जा रहा है. अगर हम बात करें बांग्लादेश से आए घुसपैठियों की, तो 1971 से लगातार बांग्लादेश से भारत में घुसपैठ की जा रही है. जिसके बाद घुसपैठियों के बीच झड़प की खबरें कई बार सामने आई है. एनआरसी को लेकर पहला ड्राफ्ट जारी किया गया है, जिसमें 40 लाख लोग अपनी नागरिकता के वैध दस्तावेज नहीं दिखा पाए.

एमयू में सेमिनार के आयोजन

गुवाहटी हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट हाफिज राशिद ने सरकार पर आरोप लगाते हुए बताया कहा कि 40 लाख को घुसपैठिया बताना गलत है. इन्होंने कहा कि यह एक प्रक्रिया है जिसमें 1971 के अनुसार रजिस्टर बनाने की बात कही गई. सभी पार्टी इसके लिए राजी हुई. उन्होंने कहा कि आसाम में बहुत से लोगों ने अप्लाई नहीं किया है. उन्होने सरकार पर सीधा-सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि बांग्लादेशी मुसलमानों के लिए यह बिल लाया गया है.

Intro:अलीगढ़ : अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन पर सेमिनार का आयोजन किया गया. कैंनेडी हॉल में आयोजित एनआरसी पर लॉ के छात्रों के साथ असम से आए विधि विशेषज्ञों ने भाग लिया. खास बात यह रही कि एनआरसी के कानूनी पहलुओं पर व्यापक चर्चा की गई . इस मौके पर नलसार कानून विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ फैजान मुस्तफा ने कहा कि एनआरसी का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है . उन्होंने कहा पहले उसकी संवैधानिकता तय करें. उसके बाद इसे लागू करें. कुलपति डॉ फैजान मुस्तफा ने कहा जितने लोग एनआरसी में शामिल नहीं हुए हैं. वह सब घुसपैठिया नहीं है. वह भारतीय नागरिक है . उनके पास दस्तावेजों में कमियां है. उन्होंने कहा अपने ही नागरिक को घुसपैठिया घोषित नहीं करना चाहिए . कुलपति डॉक्टर फैजान मुस्तफा ने कहा कि बीजेपी और आरएसएस के लोग अखंड भारत की बात करते हैं. लेकिन असम में लोगों को भगा रहे हैं उन्होंने कहा जब वे चाहते हैं. अखंड भारत की बात करते हैं और जब चाहते हैं लोगों को भगा देने की बात करते हैं.


Body:अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय छात्र संघ की तरफ से आयोजित इस कार्यक्रम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन के पहलुओं पर चर्चा की गई . दरअसल असम में कितने घुसपैठिए रह रहे हैं. और उनको चिन्हित करने के लिए दुनिया का सबसे बड़ा कार्यक्रम चलाया जा रहा है . असम में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों को निकालने के लिए वहां सरकार ने नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन अभियान चलाया है. हालांकि अभियान वहां 37 सालों से चल रहा है. 1971 में बांग्लादेश से पलायन कर लोग भारत आ गए थे और यही बस गए . जिसके बाद स्थानीय लोग व घुसपैठियों के बीच झड़प भी होने लगी. एनआरसी को लेकर पहला ड्राफ्ट जारी किया गया है. जिसमें 3.29 करोड़ में से 1.9 करोड़ लोग वैध पाए गए . वहीं 40 लाख लोग अपनी नागरिकता के वैध दस्तावेज साबित नहीं कर पाए. फिर सवाल उठा कि 40 लाख लोग कौन हैं . जिन पर बेघर होने का खतरा मंडरा रहा है . हालांकि इन्हें आपत्तियां व शिकायत दर्ज करने का मौका दिया गया है. वहीं भाजपा ने 2014 में इसे चुनावी मुद्दा बनाया . चुनाव प्रचार में भी बांग्लादेशियों को वापस भेजने की बात कही और 2016 में असम में भाजपा की सरकार बनी. तो बांग्लादेशियों को वापस भेजने की प्रक्रिया में तेजी आई.


Conclusion:इस मामले में गुवाहाटी हाई कोर्ट के सीनियर एडवोकेट हाफिज राशिद अहमद ने बताया कि 40 लाख को घुसपैठिया बताना गलत है . यह एक प्रक्रिया है जिसमें 1971 के अनुसार रजिस्टर बनाने की बात कही गई. सभी पार्टी इसके लिए राजी हुई. उन्होंने कहा कि आसाम में बहुत से लोगों ने अप्लाई नहीं किया है. कुछ जगह पिता का नाम है तो कुछ जगह पुत्र का नाम नहीं है . इस तरह के मामले बहुत हैं . एडवोकेट हाफिज राशिद अहमद ने कहा कि 1971 के बाद कोई भी घुसपैठिया असम में आया है तो उसे निकाला जाए. उन्होंने कहा कि बांग्लादेशी मुसलमानों के लिए यह बिल लाया गया है. और केवल हिंदू वोट लेने के लिए अफवाह फैलाया जा रहा है .

बाइट: हाफिज राशिद अहमद, सीनियर एडवोकेट, गुवाहाटी हाई कोर्ट
बाइट: डॉ फैजान मुस्तफा, कुलपति नलसार लॉ कॉलेज

आलोक सिंह, अलीगढ़

9837830535
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