अलीगढ़ः डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने कहा कि जाट राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम से बनने वाले विश्वविद्यालय को लेकर लोगों में काफी उत्साह है. उन्होंने कहा कि ऐसे व्यक्ति का सम्मान जिन्होंने 32 सालों तक अंग्रेजों से लोहा लिया. उन्होंने कहा कि यह दुखद पहलू है कि जिन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के लिए अपनी जमीन को केवल दो रुपये के पट्टे पर 90 साल के लिए दान कर दिया. उनके नाम का अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में उल्लेख नहीं है. यह विसंगति और दुख का परिचायक है.
एएमयू द्वारा राजा महेंद्र प्रताप सिंह को सम्मान नहीं देने के सवाल पर उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की स्वयत्तता पर सवाल नहीं उठा सकते. उन्हें कर्तव्य का पाठ पढ़ाने की आवश्यकता नहीं है . जो करेगा वह वंदनीय होगा और जो नहीं करेगा वह निंदनीय होगा. उन्होने कहा कि हमारी ख्वाहिश थी कि राजा महेंद्र प्रताप सिंह पर विश्वविद्यालय बनायें. वहीं अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में जिन्ना के मुद्दे पर कहा कि विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता है. सरकार उसका अतिक्रमण नहीं करती. लेकिन राष्ट्र प्रेम हमारी रग-रग में होना चाहिए. लोगों को राजा महेंद्र प्रताप सिंह से राष्ट्र प्रेम की प्रेरणा मिलती है. जिससे शिक्षा में नई क्रांति आएगी.
जाट राजा के रुप में संबोधन पर सफाई देते हुए डिप्टी मुख्यमंत्री ने कहा कि राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम के आगे जाट राजा लगा है जो कि इतिहास में भी दर्ज है. उन्होंने कहा कि जब राजा जापान, रूस और जर्मनी गए. तो इसी नाम से उन्हें पुकारा गया. उन्होंने कहा कि राजा महेंद्र प्रताप जात-पात, छुआछूत, संप्रदायिकता से बहुत दूर थे. उनका नाम न आना एक दुखद विषय है. उनके शिक्षा के क्रम को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी उठाई है. इसको न राजनीति से जोड़ना चाहिए और न जाति संप्रदाय से जोड़ना चाहिए.
दो साल पहले विश्वविद्यालय बनाने का लिया था संकल्प
अचानक राजा महेंद्र प्रताप सिंह का नाम सुर्खियों में आने पर डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने कहा कि दो साल पहले ही भाजपा ने विश्वविद्यालय बनाने का संकल्प लिया था. उन्होंने कहा कि जब चुनाव नहीं था. तब कैबिनेट से इसे पास किया गया था. यह चुनावी मुद्दा नहीं था. दो साल में जमीन का आवंटन किया गया. कई विभागों से स्वीकृत लिया गया. उन्होंने कहा कि किसी लालच में या चुनावी परिदृश्य में विश्वविद्यालय के निर्माण को सोचना ठीक नहीं है.
साढ़े चार साल तक विपक्ष बड़ा आंदोलन नहीं खड़ा कर पाया
विपक्ष के सवाल पर उन्होंने कहा कि भ्रमित वे लोग कर रहे जिन्होंने काम नहीं किया है. कोरोना के समय में विपक्ष घरों में बैठकर ट्विटर-ट्विटर खेल रहा था. एक भी बड़ा नेता कोराना काल में जनता के बीच में नहीं गया. लेकिन भाजपा के जमीनी नेता जनता की सेवा में लगे रहे. उन्होंने कहा कि साढ़े चार साल तक किसी विपक्षी नेता ने कोई बड़ा आंदोलन खड़ा नहीं किया. उन्होंने कहा कि हर चुनाव से पहले कुछ राजनीतिक दल के लोग राजनीतिक पर्यटन यात्रा पर निकल पड़ते हैं. कोई नौका विहार करता है. कोई छोटे से बच्चे को पुचकारता है. राम जी के नाम की कल्पना करने वाले लोग अब मंदिरों में पूजा करने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि विपक्ष का कोई भी नेता रामलला के दर्शन करने नहीं गया. चुनाव में भगवान याद आते हैं. उन्होंने कहा कि कपोल-कल्पित लोगों की सच्चाई जनता जानती है.
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दुष्प्रचार का षडयंत्र कर रहा विपक्ष
किसान आंदोलन पर उन्होंने कहा कि अन्नदाता हमारा आराध्य और कृषि और किसान भारतीय जनता पार्टी की प्राथमिकताओं में है. लेकिन आजकल शिगूफा चल रहा है. विपक्ष जब हर चुनाव हार रहा है, तो यह दुष्प्रचार करने का षड्यंत्र करते हैं. जनता इससे भ्रमित होने वाली नहीं है. उन्होंने कहा कि किसान, छात्र, शिक्षक, अधिवक्ता के छद्म रूप में आंदोलन खड़ा करते हैं. यह अपनी पार्टी के तहत आंदोलन नहीं करते हैं. यह विभिन्न रुपों में आंदोलन करते हैं. किसान आंदोलन में राजनीतिक आकांक्षा कहां से आई. उन्होंने कहा कि विपक्ष में घबराहट है. इसलिए दुष्प्रचार में तल्लीन है और ऐसे लोगों का कोई वर्चस्व नहीं होगा.