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अलीगढ़ बना रोहिंग्याओं की शरणस्थली, पुलिस ने दो और को किया गिरफ्तार

रोरावर पुलिस टीम ने सोमवार को गश्त के दौरान ऐलाना मीट फैक्ट्री को जाने वाले रास्ते पर हाईवे पुल व रेलवे लाइन पुल के बीच से मौहम्मद जमाल व मोहम्मद हसन को बिना पासपोर्ट, कूट रचित दस्तावेज तैयार कर आधार कार्ड बनवाकर अवैध तरीके से निवास करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया.

अलीगढ़ बना रोहिंग्याओं की शरणस्थली, पुलिस ने दो और को किया गिरफ्तार
अलीगढ़ बना रोहिंग्याओं की शरणस्थली, पुलिस ने दो और को किया गिरफ्तार
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Published : Aug 2, 2021, 7:15 PM IST

Updated : Aug 2, 2021, 7:23 PM IST

अलीगढ़ : शहर में अवैध तरीके से रह रहे दो बांग्लादेशियों को थाना रोरावर पुलिस ने गिरफ्तार किया है. दोनों आरोपी बिना पासपोर्ट के अलीगढ़ में रह रहे थे. उन्होंने फर्जी आधार कार्ड और दस्तावेज भी तैयार करा लिया था. पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर धोखाधड़ी और 14 विदेशी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर न्यायालय में पेश किया है.

रोरावर पुलिस टीम ने सोमवार को गश्त के दौरान ऐलाना मीट फैक्ट्री को जाने वाले रास्ते पर हाईवे पुल व रेलवे लाइन पुल के बीच से मौहम्मद जमाल व मोहम्मद हसन को बिना पासपोर्ट, कूट रचित दस्तावेज तैयार कर आधार कार्ड बनवाकर अवैध तरीके से निवास करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. इसके संबंध में रोरावर थाने पर 14 विदेशी अधिनियम समेत धोखधड़ी आदि कई धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है.

गिरफ्तार अभियुक्तों ने पूछताछ में बताया कि दोनों बांग्लादेश में कोई काम न मिलने के कारण करीब 07- 08 वर्ष पूर्व काम की तलाश में एक अंजान दलाल के जरिये बांग्लादेश भारत बार्डर से अवैध तरीके से भारत में आ गए.

यहां से ट्रेन में बैठकर अलीगढ़ आए. अलीगढ़ में काम की तलाश में सभी जगह आधार कार्ड या अन्य कागजात मांगे जाने के कारण फर्जी तरीके से दोनों ने आधार कार्ड बनवाया. दोनों अलीगढ़ में मेहनत मजदूरी का काम करते थे.

दोनों के पास से दो आधार कार्ड (कूटरचित), 02 मोबाइल फोन बरामद किया गया है. रोरावर थाना प्रभारी सुनील कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि मुखबिर की सूचना पर दो बांग्लादेशियों को गिरफ्तार किया है. दोनों के पास पासपोर्ट नहीं है और फर्जी दस्तावे पाए गए हैं. इस मामले में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. आरोपियों से पूछताछ जारी है.

2012 से अलीगढ़ आना शुरू हुए रोहिंग्या परिवार

अलीगढ़ में 2012 के आसपास रोहिंग्या परिवारों का आना तब शुरू हुआ जब यहां मीट एक्सपोर्ट इंडस्ट्री की जड़ें जमनी शुरू हुईं. उस समय यहां कुछ परिवार गोंडा रोड के कमेला व गोंडा रोड के बाईपास की मीट फैक्ट्रियों में ही रहा करते थे. धीरे-धीरे अलीगढ़ मीट एक्सपोर्ट इंडस्ट्री का हब बन गया. यहां के मकदूम नगर में इन्हें ठिकाना मिलने लगा. यहां मीट कारोबार से जुड़े स्थानीय लोगों ने इन्हें अपने घरों में किराए पर रखना शुरू कर दिया.

इस तरह मकदूम नगर में तकरीबन 300 से 400 लोग आकर बस गए. इसके अलावा भुजपुरा व शाहजमाल में भी ये आकर रहने लगे. एक एनजीओ के सर्वे के अनुसार करीब एक हजार रोहिंग्या शहर की इन बस्तियों में रह रहे हैं. हालांकि 2017-18 के बाद से नए लोग नहीं आ रहे हैं.

यह भी पढ़ें : जिन्ना के बाप हैं हम, AMU से तस्वीर हटाएगी करणी सेनाः सूरजपाल अम्मू

पूर्व पार्षद के प्लाट में संचालित है मदरसा

बेशक कई साल से रोहिंग्या इन मीट फैक्ट्रियों में काम कर रहे हैं. मगर इनका शहर के अन्य हिस्से से कोई नाता नहीं रहता. जो लोग मीट फैक्ट्रियों के अंदर या आसपास रहते हैं, उनके हर इंतजाम की जिम्मेदारी फैक्टरी मालिकान व प्रबंधक की रहती है जो उनसे अलग बस्तियों में रह रहे हैं, वह समाज में घुल मिलकर रह रहे हैं.

यही वजह है कि मकदूम नगर में इलाके के एक पूर्व पार्षद ने अपनी खाली पड़ी जमीन रोहिंग्या परिवारों के बच्चों के लिए दे दी है. इस पर 30 वर्षीय रोहिंग्या मो. बिलाल (आलिम-मदरसे में पढ़ाने वाले) मदरसा चलाते हैं. इनके मदरसे में 30 के करीब रोहिंग्या बच्चे पढ़ते हैं. वहीं, पुलिस/एलआईयू और रोहिंग्या के बीच की कड़ी भी हैं.

फर्जी स्थानीय पहचान पत्र बनवाए, सीएए-एनआरसी के विरोध में भी आए

पिछली सरकार में स्थानीय स्तर पर सियासी सहयोग से काफी संख्या में रोहिंग्या के स्थानीय पहचान पत्र भी बन गए हैं. इस बात की तस्दीक पिछले साल शहर में सीएए-एनआरसी विरोधी उपद्रव के दौरान हुई. इस उपद्रव में जब शाहजमाल ईदगाह के सामने पुलिस पर हमला हुआ, उस हमले में कई सौ रोहिंग्या युवक ही पुलिस पर पथराव करने वालों के रूप में चिह्नित हुए थे. हालांकि सही से नाम पते सामने न आने के कारण उन पर कार्रवाई नहीं हो सकी.

तस्करी व अवैध कारोबार में रहते हैं शामिल, हाल ही में यूपी ATS ने 6 सोने के बिस्किट किए थे बरामद

अलीगढ़ में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्याओं को अक्सर तस्करी और हर तरीके के अवैध गतिविधियों में शामिल होते पाया गया है. करीब डेढ़ महीने पूर्व अवैध रूप से यहां रह रहे दो और रोहिंग्या को एटीएस ने गिरफ्तार किया था.

मोहम्मद रफीक और उसका भाई मोहम्मद आमीन मूल रूप से म्यांमार के रहने वाले बताए गए. ये दोनों कई महीनों से अलीगढ़ के मकदूमनगर में रह रहे थे. दोनों के पास से सोने के बिस्कुट भी बरामद किए गए हैं. एटीएस की पूछताछ में पता चला कि दोनों सोने के बिस्कुट की तस्करी करते थे. फिलहाल दोनों को जेल भेज दिया गया है. आगे की पूछताछ के लिए एटीएस दोनों को रिमांड पर लेने की तैयारी कर रही है.

अब तक 13 से अधिक रोहिंग्या दलाल हो चुके गिरफ्तार

बांग्लादेश के रास्ते रोहिंग्या नागरिकों की भारत में घुसपैठ कराकर उनके फर्जी दस्तावेज बनवाने वाले आपराधिक प्रवृत्ति के 13 रोहिंग्याओं को यूपी पुलिस अब तक गिरफ्तार कर चुकी है. पकड़े गए सभी रोहिंग्या अपने साथियों को अवैध तरीके से देश में लाकर उनके भारतीय नागरिकता के फर्जी दस्तावेज बनवाने के एवज में उनसे वसूली करते थे.

अलीगढ़ : शहर में अवैध तरीके से रह रहे दो बांग्लादेशियों को थाना रोरावर पुलिस ने गिरफ्तार किया है. दोनों आरोपी बिना पासपोर्ट के अलीगढ़ में रह रहे थे. उन्होंने फर्जी आधार कार्ड और दस्तावेज भी तैयार करा लिया था. पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर धोखाधड़ी और 14 विदेशी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर न्यायालय में पेश किया है.

रोरावर पुलिस टीम ने सोमवार को गश्त के दौरान ऐलाना मीट फैक्ट्री को जाने वाले रास्ते पर हाईवे पुल व रेलवे लाइन पुल के बीच से मौहम्मद जमाल व मोहम्मद हसन को बिना पासपोर्ट, कूट रचित दस्तावेज तैयार कर आधार कार्ड बनवाकर अवैध तरीके से निवास करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. इसके संबंध में रोरावर थाने पर 14 विदेशी अधिनियम समेत धोखधड़ी आदि कई धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है.

गिरफ्तार अभियुक्तों ने पूछताछ में बताया कि दोनों बांग्लादेश में कोई काम न मिलने के कारण करीब 07- 08 वर्ष पूर्व काम की तलाश में एक अंजान दलाल के जरिये बांग्लादेश भारत बार्डर से अवैध तरीके से भारत में आ गए.

यहां से ट्रेन में बैठकर अलीगढ़ आए. अलीगढ़ में काम की तलाश में सभी जगह आधार कार्ड या अन्य कागजात मांगे जाने के कारण फर्जी तरीके से दोनों ने आधार कार्ड बनवाया. दोनों अलीगढ़ में मेहनत मजदूरी का काम करते थे.

दोनों के पास से दो आधार कार्ड (कूटरचित), 02 मोबाइल फोन बरामद किया गया है. रोरावर थाना प्रभारी सुनील कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि मुखबिर की सूचना पर दो बांग्लादेशियों को गिरफ्तार किया है. दोनों के पास पासपोर्ट नहीं है और फर्जी दस्तावे पाए गए हैं. इस मामले में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. आरोपियों से पूछताछ जारी है.

2012 से अलीगढ़ आना शुरू हुए रोहिंग्या परिवार

अलीगढ़ में 2012 के आसपास रोहिंग्या परिवारों का आना तब शुरू हुआ जब यहां मीट एक्सपोर्ट इंडस्ट्री की जड़ें जमनी शुरू हुईं. उस समय यहां कुछ परिवार गोंडा रोड के कमेला व गोंडा रोड के बाईपास की मीट फैक्ट्रियों में ही रहा करते थे. धीरे-धीरे अलीगढ़ मीट एक्सपोर्ट इंडस्ट्री का हब बन गया. यहां के मकदूम नगर में इन्हें ठिकाना मिलने लगा. यहां मीट कारोबार से जुड़े स्थानीय लोगों ने इन्हें अपने घरों में किराए पर रखना शुरू कर दिया.

इस तरह मकदूम नगर में तकरीबन 300 से 400 लोग आकर बस गए. इसके अलावा भुजपुरा व शाहजमाल में भी ये आकर रहने लगे. एक एनजीओ के सर्वे के अनुसार करीब एक हजार रोहिंग्या शहर की इन बस्तियों में रह रहे हैं. हालांकि 2017-18 के बाद से नए लोग नहीं आ रहे हैं.

यह भी पढ़ें : जिन्ना के बाप हैं हम, AMU से तस्वीर हटाएगी करणी सेनाः सूरजपाल अम्मू

पूर्व पार्षद के प्लाट में संचालित है मदरसा

बेशक कई साल से रोहिंग्या इन मीट फैक्ट्रियों में काम कर रहे हैं. मगर इनका शहर के अन्य हिस्से से कोई नाता नहीं रहता. जो लोग मीट फैक्ट्रियों के अंदर या आसपास रहते हैं, उनके हर इंतजाम की जिम्मेदारी फैक्टरी मालिकान व प्रबंधक की रहती है जो उनसे अलग बस्तियों में रह रहे हैं, वह समाज में घुल मिलकर रह रहे हैं.

यही वजह है कि मकदूम नगर में इलाके के एक पूर्व पार्षद ने अपनी खाली पड़ी जमीन रोहिंग्या परिवारों के बच्चों के लिए दे दी है. इस पर 30 वर्षीय रोहिंग्या मो. बिलाल (आलिम-मदरसे में पढ़ाने वाले) मदरसा चलाते हैं. इनके मदरसे में 30 के करीब रोहिंग्या बच्चे पढ़ते हैं. वहीं, पुलिस/एलआईयू और रोहिंग्या के बीच की कड़ी भी हैं.

फर्जी स्थानीय पहचान पत्र बनवाए, सीएए-एनआरसी के विरोध में भी आए

पिछली सरकार में स्थानीय स्तर पर सियासी सहयोग से काफी संख्या में रोहिंग्या के स्थानीय पहचान पत्र भी बन गए हैं. इस बात की तस्दीक पिछले साल शहर में सीएए-एनआरसी विरोधी उपद्रव के दौरान हुई. इस उपद्रव में जब शाहजमाल ईदगाह के सामने पुलिस पर हमला हुआ, उस हमले में कई सौ रोहिंग्या युवक ही पुलिस पर पथराव करने वालों के रूप में चिह्नित हुए थे. हालांकि सही से नाम पते सामने न आने के कारण उन पर कार्रवाई नहीं हो सकी.

तस्करी व अवैध कारोबार में रहते हैं शामिल, हाल ही में यूपी ATS ने 6 सोने के बिस्किट किए थे बरामद

अलीगढ़ में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्याओं को अक्सर तस्करी और हर तरीके के अवैध गतिविधियों में शामिल होते पाया गया है. करीब डेढ़ महीने पूर्व अवैध रूप से यहां रह रहे दो और रोहिंग्या को एटीएस ने गिरफ्तार किया था.

मोहम्मद रफीक और उसका भाई मोहम्मद आमीन मूल रूप से म्यांमार के रहने वाले बताए गए. ये दोनों कई महीनों से अलीगढ़ के मकदूमनगर में रह रहे थे. दोनों के पास से सोने के बिस्कुट भी बरामद किए गए हैं. एटीएस की पूछताछ में पता चला कि दोनों सोने के बिस्कुट की तस्करी करते थे. फिलहाल दोनों को जेल भेज दिया गया है. आगे की पूछताछ के लिए एटीएस दोनों को रिमांड पर लेने की तैयारी कर रही है.

अब तक 13 से अधिक रोहिंग्या दलाल हो चुके गिरफ्तार

बांग्लादेश के रास्ते रोहिंग्या नागरिकों की भारत में घुसपैठ कराकर उनके फर्जी दस्तावेज बनवाने वाले आपराधिक प्रवृत्ति के 13 रोहिंग्याओं को यूपी पुलिस अब तक गिरफ्तार कर चुकी है. पकड़े गए सभी रोहिंग्या अपने साथियों को अवैध तरीके से देश में लाकर उनके भारतीय नागरिकता के फर्जी दस्तावेज बनवाने के एवज में उनसे वसूली करते थे.

Last Updated : Aug 2, 2021, 7:23 PM IST
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