आगराः कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण से मोहब्बत की निशानी ताजमहल के साथ ही प्रदेश के कई स्मारक 31 मार्च तक बंद रहेंगे. यूपी सरकार ने 16 मार्च देर रात यह फैसला लिया. इस फैसले की जानकारी काफी लोगों को नहीं थी. वह ताज का दीदार करने पहुंचे तो उन्हें मोहब्बत की कब्र के दर्शन से महरूम रहना पड़ा. इसके चलते कई विदेशी पर्यटकों की आंखे भी छलक आईं.
ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है, जब ताजमहल को बंद किया गया हो. 49 साल में यह तीसरा मौका है, जब ताजमहल को बंद किया गया. साल 1971 के बाद दूसरी बार ताजमहल 15 दिन के लिए बंद किया गया. इसके बाद साल 1978 में आई बाढ़ के चलते भी ताजमहल सात दिन के लिए बंद किया गया था. इस पर ईटीवी भारत ने साल 1971 में ताजमहल पर ASI के सहायक संरक्षण अधिकारी एसके शर्मा से एक्सक्लुसिव बातचीत की.
एसके शर्मा ने बताया कि साल 1971 में जंग छिड़ गई थी. दुश्मन देश ताजमहल पर भी हमला कर सकता था. इसी के मद्देनजर ताज को जंगल में तबदील किया गया और पूरे ताज को त्रिपाल से ढक दिया गया था. पूरे 15 दिनों तक ताज महल बंद रहा था.
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ठीक सात साल बाद 1978 में एक बार फिर ताजमहल सात दिन के लिए बंद किया गया. इस बार, लेकिन जो कारण थे वो अलग थे. एसके शर्मा बताते हैं कि ताजमहल को बंद करने का कारण बाढ़ थी. ताजमहल के कई हिस्सों में पानी भर गया था, जिसके चलते सात दिनों के लिए लोगों का आना-जाना बंद कर दिया गया था.
सरकारी आदेश के हिसाब से अभी तो सिर्फ 15 दिनों के लिए ही ताजमहल बंद किया गया है, लेकिन अगर कोरोना के संक्रमण का खतरा इसी तरह बढ़ता रहा तो न सिर्फ ताज के पर्यटन से होने वाली कमाई पर असर पड़ेगा. बल्कि आम जन जीवन भी अस्त-वयस्त हो जाएगा.