आगरा: मुगल बादशाह अकबर की राजधानी रही फतेहपुर सीकरी पूर्व में आदिमानव की शरण स्थली रही थी. इसके ठोस सबूत अरावली की पहाड़ियों में बने राॅक शेल्टर्स यानी गुफाएं और राॅक पेंटिंग्स यानि कि शैल चित्रों में मिलते हैं. जो करीब सात हजार साल पुरान बताए जा रहे हैं. जिन्हें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) अब संरक्षित करने का काम करेगा. ASI ने राॅक शेल्टर्स और राॅक पेंटिग्स के संरक्षण के लिए साइट प्लान बनाकर दिल्ली मुख्यालय भेजा है. इसकी जानकारी एएसआई ने सूचना के अधिकार के तहत पर्यावरणविद् डाॅ. देवाशीष भटटाचार्य को दी है.
बता दें कि, फतेहपुर सीकरी के आसपास स्थित गांव रसूलपुर, मदनपुरा, पतसाल और गांव जाजाली में अरावली की पर्वत श्रृंखलाएं मौजूद हैं. जहां पर उत्तर पाषाण काल से लेकर गुप्त काल के मध्य में बनी राॅक पेंटिग्स मिली हैं. यह राॅक पेंटिग्स पहाडियों के राॅक शैल्टर्स में बनी हैं. जिनका रंग भी अभी फीका नहीं हुआ है. इन शेल्टर्स की खोज 80 के दशक में राॅक आर्ट सोसायटी आफ इंडिया के सचिव पुरातत्वविद् डाॅ. गिरिराज कुमार ने की थी. उन्होंने रसूलपुर में 12, मदनपुरा में तीन, जाजाली में आठ और पतसाल में चार राॅक शेल्टर्स की खोज की थी. अवैध खनन से इन अनमोल धरोहर बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने खनन पर रोक लगा दी है. जिससे कुछ राॅक शेल्टर्स बच गए हैं. जिनमें ही सात हजार साल पुरानी राॅक पेंटिंग्स बनी हुई हैं.
पतसाल व मदनपुरा की राॅक शेल्टर्स में सबसे अधिक शैल चित्र
इतिहासविद् राजकिशोर राजे ने भी अपनी पुस्तक 'तवारीख-ए आगरा' में गांव पतसाल व गांव मदनपुरा के राॅक शेल्टर्स की जानकारी के सचित्रि दी है. राजकिशोर राजे का कहना है कि, राॅक शेल्टर्स में बने शैल चित्र उत्तर पाषाण काल से लेकर गुप्त काल तक के हैं. शैल चित्र से स्पष्ट है कि यहां आदिमानव रहते होंगे. गांव पतसाल की पहाड़ी पर पेड़, पौधे, पशु समूह, नृत्य और हथियारों से संबंधित राॅक पेंटिंग्स हैं.
सूचना का अधिकार में मिली जानकारी
पर्यावरणविद डाॅ. देवाशीष भट्टाचार्य का कहना है कि राॅक शेल्टर्स के संरक्षण को लेकर लंबे समय से प्रयास कर रहा था. नवंबर 2020 में तत्कालीन केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल से मिला था. उन्होंने राॅक शेल्टर्स के संरक्षण करने का आश्वासन दिया था. एएसआई के स्मारक निदेशक से भी वार्ता की. एएसआइ के आगरा सर्किल से मुझे सूचना का अधिकार तहत सात जुलाई 2021 को राॅक शेल्टर्स के संरक्षण की योजना बनाने जानकारी दी गई है.
संरक्षण का काम जल्द शुरू होगा
एएसआई के आगरा सर्किल के अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार का कहना है कि, साल 1950 के समय से ही एएसआई की ओर से फतेहपुर सीकरी के आसपास के गांव में मौजूद पहाडियों के राॅक शेल्टर्स और उनमें मौजूद राॅक पेंटिंग्स का अध्ययन कर रहा है. तमाम रिसर्च पेपर भी प्रकाशित किए गए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने खनन पर रोक लगा दी है. इससे अब राॅक शेल्टर्स सुरक्षित हैं. एएसआई की ओर से राॅक शेल्टर्स और राॅक पेंटिंग को संरिक्षत करने के लिए प्रस्ताव बनाया है. जिससे जल्द ही इस ओर काम शुरु हो जाएगा.
राजस्व रिकार्ड में दर्ज है पहाड़
एएसआइ के मुताबिक, जो राजस्व रिकार्ड मिला है. उसमें राॅक शेल्टर्स की जगह को पहाड़ बताया गया है. इससे संरक्षण कार्य में आसानी होगी. अरावली की पहाड़ियों में स्थित रॉक पेंटिंग्स भीम बैठका की रॉक पेंटिंग्स से मिलती हैं. भीम बैठका में रॉक पेंटिंग्स संरक्षित हैं.
खनन से इतिहास हुआ खत्म
खनन से रसूलपुर, मदनपुरा, पतसाल और जाजाली में पहाडियों का बड़ा हिस्सा खत्म हो चुका है. जहां पर रॉक शेल्टर्स और राॅक पेंटिंग्स का बड़ा हिस्सा नष्ट भी हो चुका है. अब कुछ पहाड़ियों पर ही राॅक शेल्टर्स और राॅक पेंटिंग बची हैं.
हाथी-नीलगाय के बने हैं शैल चित्र
पतसाल व मदनपुरा में स्थित रॉक शेल्टर्स में काफी पेंटिंग बनी हैं. पतसाल के रॉक शेल्टर्स में पेड़, पौधे, पशु समूहों, नृत्य व हथियारों से संबंधित राॅक पेंटिंग्स मिली हैं. वहीं, मदनपुरा में दंतीला हाथी, नीलगाय, दो सांड़ के चित्र नजर आए हैं. अनदेखी और समय के साथ यह पेंटिग्स के कलर भी अब फीके पड़ रहे हैं. फतेहपुर सीकरी में राॅक शेल्टर्स और राॅक पेंटिंग्स के संरक्षित करने से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. यहां पर नए टूरिस्ट प्वाइंट बनेंगे. जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. टूरिस्टों का नाइट स्टे भी बढ़ने की संभावना है.