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आगरा: रंग बदलने वाले राजेश्वर महादेव, अद्भुत है इस मंदिर का इतिहास

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Published : Jul 22, 2019, 2:51 PM IST

हमेशा की तरह सावन के पहले सोमवार की शुरुआत ऐतिहासिक रंग बदलने वाले राजेश्वर मंदिर पर भोले नाथ के जयकारों से शुरू हुई. आगरा के हर मंदिर में सुबह तड़के से ही भक्तों का तांता लगा हुआ है.

राजेश्वर महादेव मंदिर आगरा.

आगरा: मोहब्बत की नगरी आगरा में सावन के चारो सोमवार शहर के चारों कोनों पर स्थित शिव मंदिरों में बारी-बारी विशाल मेले का आयोजन होता है. ऐसा माना जाता है कि नगर के चारों कोनों पर रहकर भगवान महादेव नगर की रक्षा करते हैं. सावन के मेलों की शुरुआत राजपुर चुंगी स्थित राजेश्वर मंदिर से होती है.

जानकारी देते महामंडलेश्वर हरिदास.

यहां मौजूद है अद्भुत शिवलिंग-

वैसे तो चारो मंदिर का अपना अपना विशेष इतिहास है. लेकिन ऐसा माना जाता है अगर श्रीराजेवश्वर महादेव मंदिर में स्थित अद्भुत शिवलिंग की आराधना की जाए, तो पुण्य दोगुना मिलता है. य​ह अद्भुत शिवलिंग दिन में तीन बार रंग ​बदलती है, जिसे देख भक्त भगवान के चमत्कार की अनुभूति करते हैं.

क्या है मान्यता-

ऐसा कहा जाता है कि एक बार साहूकार नर्मदा नदी से शिवलिंग लेकर आ रहे थे. गांव से पहले उन्होंने रात्रि विश्राम के लिए एक जगह बेलगाड़ी रोक दी. रात्रि में सपने में भगवान ने कहा कि कि शिवलिंग को इसी स्थान पर स्थापित कर दो. लेकिन साहूकार यह नहीं चाहता था. इसलिए उसने सुबह बैलगाड़ी में रखने के लिए शिवलिंग को जमीन से उठाकर ले जाने का प्रयास किया गया, तो बैलगाड़ी आगे ही नहीं बढ़ रही थी. कई गाड़ी और दर्जनों लोगों के प्रयास के बाद भी गाड़ी का पहिया आगे नहीं बढ़ा. इसी खींचतान के दौरान शिवलिंग जमीन पर गिर गई और वहीं स्थापित हो गई. इसके बाद पांच गांव के लोगों ने मिलकर मंदिर का निर्माण कराया. जिसमें गांव उखर्रा, राजपुर, बाग राजपुर, चमरौली और कहरई सम्मलित हैं. मंदिर की सेवा के लिए 24 बीघा जमीन भी जमीदारों द्वारा दी गई थी.

राजेश्वर महादेव मंदिर स्थित शिवलिंग का जब सुबह तड़के दर्शन किया जाए तो ये दूधिया सफेद होती है और दोपहर में इस शिवलिंग के दर्शन किए जाएं तो इस दूधिया शिवलिंग पर नीले रंग की धारियां आ जाती हैं. वहीं शाम की आरती के समय जब भक्त पूजन के लिए आते हैं, तो भक्तों को गुलाबी रंग के शिवलिंग के दर्शन होते हैं.
-रवि कुमार गोस्वामी , सेवादार , श्रीराजेवश्वर महादेव मंदिर

आगरा: मोहब्बत की नगरी आगरा में सावन के चारो सोमवार शहर के चारों कोनों पर स्थित शिव मंदिरों में बारी-बारी विशाल मेले का आयोजन होता है. ऐसा माना जाता है कि नगर के चारों कोनों पर रहकर भगवान महादेव नगर की रक्षा करते हैं. सावन के मेलों की शुरुआत राजपुर चुंगी स्थित राजेश्वर मंदिर से होती है.

जानकारी देते महामंडलेश्वर हरिदास.

यहां मौजूद है अद्भुत शिवलिंग-

वैसे तो चारो मंदिर का अपना अपना विशेष इतिहास है. लेकिन ऐसा माना जाता है अगर श्रीराजेवश्वर महादेव मंदिर में स्थित अद्भुत शिवलिंग की आराधना की जाए, तो पुण्य दोगुना मिलता है. य​ह अद्भुत शिवलिंग दिन में तीन बार रंग ​बदलती है, जिसे देख भक्त भगवान के चमत्कार की अनुभूति करते हैं.

क्या है मान्यता-

ऐसा कहा जाता है कि एक बार साहूकार नर्मदा नदी से शिवलिंग लेकर आ रहे थे. गांव से पहले उन्होंने रात्रि विश्राम के लिए एक जगह बेलगाड़ी रोक दी. रात्रि में सपने में भगवान ने कहा कि कि शिवलिंग को इसी स्थान पर स्थापित कर दो. लेकिन साहूकार यह नहीं चाहता था. इसलिए उसने सुबह बैलगाड़ी में रखने के लिए शिवलिंग को जमीन से उठाकर ले जाने का प्रयास किया गया, तो बैलगाड़ी आगे ही नहीं बढ़ रही थी. कई गाड़ी और दर्जनों लोगों के प्रयास के बाद भी गाड़ी का पहिया आगे नहीं बढ़ा. इसी खींचतान के दौरान शिवलिंग जमीन पर गिर गई और वहीं स्थापित हो गई. इसके बाद पांच गांव के लोगों ने मिलकर मंदिर का निर्माण कराया. जिसमें गांव उखर्रा, राजपुर, बाग राजपुर, चमरौली और कहरई सम्मलित हैं. मंदिर की सेवा के लिए 24 बीघा जमीन भी जमीदारों द्वारा दी गई थी.

राजेश्वर महादेव मंदिर स्थित शिवलिंग का जब सुबह तड़के दर्शन किया जाए तो ये दूधिया सफेद होती है और दोपहर में इस शिवलिंग के दर्शन किए जाएं तो इस दूधिया शिवलिंग पर नीले रंग की धारियां आ जाती हैं. वहीं शाम की आरती के समय जब भक्त पूजन के लिए आते हैं, तो भक्तों को गुलाबी रंग के शिवलिंग के दर्शन होते हैं.
-रवि कुमार गोस्वामी , सेवादार , श्रीराजेवश्वर महादेव मंदिर

Intro:आगरा।हमेशा की तरह सावन के पहले सोमवार की शुरुआत ऐतिहासिक रंग बदलने वाले राजेश्वर मन्दिर पर भोले नाथ के जयकारो से शुरू हुई।आगरा के हर मन्दिर में सुबह तड़के से ही भक्तो का तांता लगा हुआ है।बताते चलें कि मोहब्बत की नगरी आगरा में सावन के चारो सोमवार शहर के चारो कोनो पर स्थित शिवमन्दिरो में बारी बारी विशाल मेले का आयोजन होता है,ऐसा माना जाता है कि नगर के चारों कोनों पर रहकर भगवान महादेव नगर की रक्षा करते हैं।सावन के मेलों की शुरुआत राजपुर चुंगी स्थित राजेश्वर मन्दिर से होती है।

Body:वैसे तो चारो मन्दिरो का अपना अपना विशेष इतिहास है पर ऐसा माना जाता है की श्रीराजेवश्वर महादेव मंदिर में स्थित अदभुत शिवलिंग की अगर आराधना की जाए, तो पुण्य दोगुना मिलता है। य​ह अद्भुत शिवलिंग दिन में तीन बार रंग ​बदलती है, जिसे देख भक्त भगवान के चमत्कार की अनुभूति करते है।

इस अवसर पर श्रीराजेवश्वर महादेव मंदिर के सेवादार गोस्वामी ने बताया कि राजेश्वर महादेव मंदिर स्थित शिवलिंग का जब सुबह तड़के दर्शन किया जाए तो ये दूधिया सफेद होती है और दोपहर में इस शिवलिंग के दर्शन किए जाएं तो इस दूधिया शिवलिंग पर नीले रंग की धारियां आ जाती हैं। वहीं शाम की आरती के समय जब भक्त् पूजन के लिए आते हैं, तो भक्तों को गुलाबी रंग के शिवलिंग के दर्शन होते हैं।
सेवको की माने तो उनके पूर्वजों के अुनसार मंदिर में शिवलिंग की स्थापना राजाखेडा के एक साहूकार ने करवाई थी। बताया जाता है, कि साहूकार नर्मदा नदी से शिवलिंग लेकर आ रहे थे। गांव से पहले उन्होंने रात्रि विश्राम के लिए एक जगह बेलगाड़ी रोक दी। रात्रि में सपने में भगवान ने कहा कि कि शिवलिंग को इसी स्थान पर स्थापित कर दो पर साहूकार यह नही चाहता था इसलिए उसने सुबह बेलगाड़ी में रखने के लिए शिवलिंग को जमीन से उठाकर ले जाने का प्रयास किया गया, तो बैलगाड़ी आगे ही नहीं बढ़ रही थी। कई गाड़ी और दर्जनों लोगों के प्रयास के बाद भी गाड़ी का पहिया आगे नहीं बढा और इसी खींचतान के दौरान शिवलिंग जमीन पर गिर गई और वहीँ स्थापित हो गयी । इसके बाद पांच गांव के लोगों ने मिलकर मंदिर का निर्माण कराया। जिसमें गांव उखर्रा, राजपुर, बाग राजपुर, चमरौली और कहरई सम्मलित हैं। मंदिर की सेवा के लिए 24 बीघा जमीन भी जमीदारों द्वारा दी गई थी।

देर शाम मेला शुरू होने के बाद आज सुबह 4 बजे से ही ऐतिहासिक मन्दिर के बाहर हजारो लोगो की लाइन लगी हुई थी।पुलिस प्रशासन रात से ही व्यवस्थाओं में जुटा हुआ है।मेले में हर तरह के सामान की स्टाल और झूले लगे है जिनका लोग आराधना के बाद आनन्द उठा रहे हैं पर सबसे ज्यादा बिक्री फूल और बेलपत्र की ही हो रही है।
इसके अलावा मनकामेश्वर, रावली ,पृथ्वीनाथ मन्दिर,बल्केश्वर कैलाश,चामुंडा देवी,कामाक्षी माता का मन्दिर आदि पर भी भारी भीड़ है।


बाइट महामंडलेश्वर हरिदास

बाइट रवि कुमार गोस्वामी

बाइट भक्त रेखा शर्मा

बाइट भक्तConclusion:
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