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ओवरस्पीड और नींद आने से हो रहीं मौतें, यमुना एक्सप्रेसवे पर बढ़ी हादसों की संख्या

लोग हाईवे से अब एक्सप्रेस वे की तरफ बढ़ रहे हैं, लेकिन ओवर स्पीड और नींद आने के कारण हादसों की संख्या भी बढ़ रही है. यमुना एक्सप्रेसवे पर हादसों की मुख्य वजह वाहनों की ओवर स्पीड और चालकों का झपकी आना है. एक्सप्रेसवे पर हादसों का ग्राफ बढ़ता जा रहा है, जो चिंता का विषय है.

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सड़क हादसे
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Published : May 5, 2023, 5:35 PM IST

Updated : May 5, 2023, 6:01 PM IST

झपकी आने से हो रहे हादसे

आगराः यमुना एक्सप्रेस वे पर हादसों की मुख्य वजह वाहनों की ओवर स्पीड और चालकों का झपकी आना है. यह चौंकाने वाला खुलासा यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (येडा) की ओर से मांगी गई आरटीआई के जबाव में हुआ है. सन 2012 से 2023 तक 7256 हादसे हुए, जिनमें से वाहन चलाते समय चालकों को नींद की झपकी आने से 3207 हादसे हुए हैं. जबकि, ओवर स्पीडिंग के चलते 1302 हादसे हुए, लेकिन आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर हो रहे हादसों की वजह से जिम्मेदार अधिकारी अनजान हैं.

302 किलोमीटर लंबा आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे है, जो आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, इटावा, औरेया, कन्नौज, कानपुर, हरदोई, उन्नाव और लखनऊ सहित दस जनपदों से गुजरता है. मगर, उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) को आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर होने वाले हादसों की जानकारी तक नहीं हैं. इतना ही नहीं, हादसों में कितनी बार एंबुलेंस की सेवा दी गई. एक्सप्रेस-वे पर कितनी बार यातायात के नियमों का उल्लंघन हुआ. इसकी भनक तक जिम्मेदारों को नहीं हैं.

ओवर स्पीडिंग से 17.94 प्रतिशत हादसे हुए
यमुना एक्सप्रेस-वे पर सड़क हादसों की मुख्य वजह वाहन चालक को नींद की झपकी आना है. दूसरे नंबर पर हादसों की वजह ओवरस्पीडिंग हैं. यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (येडा) की ओर से आरटीआई में जानकारी दी गई कि, सन 2012 से 2023 तक यमुना एक्सप्रेस वे पर जो हादसे हुए. उसमें 44.2 प्रतिशत हादसे वाहन चालकों को नींद की झपकी आने से हुए हैं. जबकि, वाहन की ओवर स्पीडिंग से 17.94 प्रतिशत ही हादसे हुए हैं.

यमुना एक्सप्रेस-वे पर हादसों का हाल

हादसे की वजहहादसों की संख्यामृतकों की संख्याघायलों की संख्या
नींद आना32074883873
ओवरस्पीडिंग1302 1971816
टायर फटना760901219
घना कोहरा341 76679
शराब पीकर चलाना26387371
यांत्रिक कमी13317155
पदयात्री8624 34
लापरवाही व अन्य1164263 2373

यूपीडा का जानकारी देने से इनकार
वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन ने बताया कि यूपीडा से सन 2019 से लेकर अब तक आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे पर हुए हादसे, उनमें मृतक लोगों व घायलों की सूचना आरटीआई में मांगी थी. यूपीडा ने इस बारे में कोई सूचना नहीं दी है. यूपीडा को आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे पर सड़क हादसों में मदद के लिए भेजी गईं एंबुलेंस की जानकारी भी नहीं है. जबकि, इस एक्सप्रेस वे पर दुर्घटना में घायलों को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाने के लिए 10 एंबुलेंस हैं. इसमें पांच एंबुलेंस यूपीडा और पांच टोल कलेक्शन एजेंसी मैसर्स वान इंफ्रा लिमिटेड की हैं. इसके साथ ही एक्सप्रेसवे पर 50 पेन टिल्ट जूम (पीटीजेड) कैमरे लगे हैं.

वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन बताते हैं कि, आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे को सड़क सुरक्षा की दृष्टि से सुरक्षित बनाया जाना चाहिए. यूपीडा को आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे पर होने वाले हादसों की संख्या, हादसे कहां और कब हुए. इसके साथ ही हादसे की वजह क्या रही. यह भी यूपीडा को मालूम होनी चाहिए. इसके साथ ही इस एक्सप्रेस वे पर यातायात नियमों के उल्लंघन, चालान, एंबुलेंस सेवा के आंकड़ों की जानकारी भी यूपीडा के पास होनी चाहिए, तभी तो सड़क हादसे रोकने की प्लानिंग की जा सकती है. इतला ही नहीं, हादसे के बाद गोल्डन आवर्स में एंबुलेंस सेवा उपलब्ध कराकर घायलों की जान बचाई जा सकती है.

ऑनलाइन डैशबोर्ड बनवाने की मांग
वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन की यूपीडा से ऑनलाइन डेशबोर्ड बनाने की मांग की है, जिससे हादसों की रियल टाइम सूचना अपलोड हो सकें. इससे इस एक्सप्रेस वे पर होने वाले हादसों की संख्या व विवरण भी हो. इसके साथ ही हादसों को लेकर वाहन चालक अधिक जागरूक व सावधान किया जा सके.

यूपीडा ने पहले यह दी थी जानकारी
वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन ने बताया कि यूपीडा की ओर से आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे पर हुए हादसे और उनमें हुई मौतों की जानकारी दी गई थी. यूपीडा ने पहले अगस्त 2017 से मार्च 2019 तक एक्सप्रसेव वे पर हुए हादसों की सूचना आरटीआई में उपलब्ध कराई थी, तब 2,373 हादसों में 227 लोगों की जान गई थी.

आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे पर हादसों का हाल

अवधि हादसे मौत
अगस्त 2017 से मार्च 2018 858100
अप्रैल 2018 से दिसंबर 20181113 91
जनवरी 2019 से मार्च 2019 40236

पढ़ेंः रफ्तार का रोमांच, लोगों की ले रहा जान

झपकी आने से हो रहे हादसे

आगराः यमुना एक्सप्रेस वे पर हादसों की मुख्य वजह वाहनों की ओवर स्पीड और चालकों का झपकी आना है. यह चौंकाने वाला खुलासा यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (येडा) की ओर से मांगी गई आरटीआई के जबाव में हुआ है. सन 2012 से 2023 तक 7256 हादसे हुए, जिनमें से वाहन चलाते समय चालकों को नींद की झपकी आने से 3207 हादसे हुए हैं. जबकि, ओवर स्पीडिंग के चलते 1302 हादसे हुए, लेकिन आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर हो रहे हादसों की वजह से जिम्मेदार अधिकारी अनजान हैं.

302 किलोमीटर लंबा आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे है, जो आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, इटावा, औरेया, कन्नौज, कानपुर, हरदोई, उन्नाव और लखनऊ सहित दस जनपदों से गुजरता है. मगर, उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) को आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर होने वाले हादसों की जानकारी तक नहीं हैं. इतना ही नहीं, हादसों में कितनी बार एंबुलेंस की सेवा दी गई. एक्सप्रेस-वे पर कितनी बार यातायात के नियमों का उल्लंघन हुआ. इसकी भनक तक जिम्मेदारों को नहीं हैं.

ओवर स्पीडिंग से 17.94 प्रतिशत हादसे हुए
यमुना एक्सप्रेस-वे पर सड़क हादसों की मुख्य वजह वाहन चालक को नींद की झपकी आना है. दूसरे नंबर पर हादसों की वजह ओवरस्पीडिंग हैं. यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (येडा) की ओर से आरटीआई में जानकारी दी गई कि, सन 2012 से 2023 तक यमुना एक्सप्रेस वे पर जो हादसे हुए. उसमें 44.2 प्रतिशत हादसे वाहन चालकों को नींद की झपकी आने से हुए हैं. जबकि, वाहन की ओवर स्पीडिंग से 17.94 प्रतिशत ही हादसे हुए हैं.

यमुना एक्सप्रेस-वे पर हादसों का हाल

हादसे की वजहहादसों की संख्यामृतकों की संख्याघायलों की संख्या
नींद आना32074883873
ओवरस्पीडिंग1302 1971816
टायर फटना760901219
घना कोहरा341 76679
शराब पीकर चलाना26387371
यांत्रिक कमी13317155
पदयात्री8624 34
लापरवाही व अन्य1164263 2373

यूपीडा का जानकारी देने से इनकार
वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन ने बताया कि यूपीडा से सन 2019 से लेकर अब तक आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे पर हुए हादसे, उनमें मृतक लोगों व घायलों की सूचना आरटीआई में मांगी थी. यूपीडा ने इस बारे में कोई सूचना नहीं दी है. यूपीडा को आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे पर सड़क हादसों में मदद के लिए भेजी गईं एंबुलेंस की जानकारी भी नहीं है. जबकि, इस एक्सप्रेस वे पर दुर्घटना में घायलों को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाने के लिए 10 एंबुलेंस हैं. इसमें पांच एंबुलेंस यूपीडा और पांच टोल कलेक्शन एजेंसी मैसर्स वान इंफ्रा लिमिटेड की हैं. इसके साथ ही एक्सप्रेसवे पर 50 पेन टिल्ट जूम (पीटीजेड) कैमरे लगे हैं.

वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन बताते हैं कि, आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे को सड़क सुरक्षा की दृष्टि से सुरक्षित बनाया जाना चाहिए. यूपीडा को आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे पर होने वाले हादसों की संख्या, हादसे कहां और कब हुए. इसके साथ ही हादसे की वजह क्या रही. यह भी यूपीडा को मालूम होनी चाहिए. इसके साथ ही इस एक्सप्रेस वे पर यातायात नियमों के उल्लंघन, चालान, एंबुलेंस सेवा के आंकड़ों की जानकारी भी यूपीडा के पास होनी चाहिए, तभी तो सड़क हादसे रोकने की प्लानिंग की जा सकती है. इतला ही नहीं, हादसे के बाद गोल्डन आवर्स में एंबुलेंस सेवा उपलब्ध कराकर घायलों की जान बचाई जा सकती है.

ऑनलाइन डैशबोर्ड बनवाने की मांग
वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन की यूपीडा से ऑनलाइन डेशबोर्ड बनाने की मांग की है, जिससे हादसों की रियल टाइम सूचना अपलोड हो सकें. इससे इस एक्सप्रेस वे पर होने वाले हादसों की संख्या व विवरण भी हो. इसके साथ ही हादसों को लेकर वाहन चालक अधिक जागरूक व सावधान किया जा सके.

यूपीडा ने पहले यह दी थी जानकारी
वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन ने बताया कि यूपीडा की ओर से आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे पर हुए हादसे और उनमें हुई मौतों की जानकारी दी गई थी. यूपीडा ने पहले अगस्त 2017 से मार्च 2019 तक एक्सप्रसेव वे पर हुए हादसों की सूचना आरटीआई में उपलब्ध कराई थी, तब 2,373 हादसों में 227 लोगों की जान गई थी.

आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे पर हादसों का हाल

अवधि हादसे मौत
अगस्त 2017 से मार्च 2018 858100
अप्रैल 2018 से दिसंबर 20181113 91
जनवरी 2019 से मार्च 2019 40236

पढ़ेंः रफ्तार का रोमांच, लोगों की ले रहा जान

Last Updated : May 5, 2023, 6:01 PM IST
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