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एक्सपायरी दवाओं के कारोबार से करोड़पति बने राजौरा ब्रदर्स, छापेमारी में खुली पोल

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Published : Feb 9, 2021, 10:18 PM IST

आगरा में एक्सपायरी दवाओं की रीपैकिंग करके करोड़पति बने राजौरा ब्रदर्स को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. यह एक्सपायरी दवाओं की रीपैकिंग करके बाजार में खपाते थे. महज डेढ़ साल में तीन मंजिला मकान और लग्जरी कार में चलने से पड़ोसी भी हैरान थे.

राजौरा बंधु
राजौरा बंधु

आगराः फलों का काम करने वाले राजौरा ब्रदर्स डेढ़ साल में एक्सपायरी दवाओं की रीपैकिंग करके करोड़पति बन गए हैं. तीन मंजिला मकान और लग्जरी कार में चलने से पड़ोसी भी हैरान थे. सोमवार को पुलिस और औषधि विभाग की छापेमारी से राजौरा ब्रदर्स प्रदीप और धीरज की करतूत सबके सामने आई. औषधि विभाग की टीम ने छानबीन के बाद मंगलवार शाम 30 घंटे बाद राजौरा बंधु प्रदीप और धीरज के साथ मथुरा में दवाओं की पैकिंग करने वाले सौरभ शर्मा को गिरफ्तार किया है. तीनों के खिलाफ सिकंदरा थाना में एफआईआर दर्ज कराने के लिए तहरीर दी है.

यह था मामला
औषधि विभाग और पुलिस की टीमों ने सोमवार को शासन के आदेश पर आवास विकास कॉलोनी सेक्टर-12 स्थित सत्यम प्लाजा में राजौरा डिस्ट्रीब्यूटर्स के यहां छापा मारा. औषधि टीम में आगरा, बागपत, बुलंदशहर, हाथरस, फिरोजाबाद और बिजनौर के औषधि निरीक्षक शामिल रहे. मथुरा में भी छापेमारी हुई, जहां से लाखों रुपये की अवैध दवा का जखीरा सील किया. दर्जनों सैंपल लिए गए. राजौरा डिस्ट्रीब्यूटर्स के संचालक प्रदीप और धीरज के साथ ही मथुरा से सौरभ को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई.

डेढ़ साल में बन गए करोड़पति
आगरा के औषधि निरीक्षक नरेश मोहन दीपक ने बताया कि, डेढ़ साल पहले तक राजौरा बंधुओं के पिता सिकंदरा मंडी में फल का काम करते थे. प्रदीप ने बीबीए किया है. धीरज बीएससी पास है. इसके बाद दोनों ने डेढ़ साल पहले आवास विकास कॉलोनी के सेक्टर-12 में स्थित सत्यम प्लाजा मार्केट में 2 दुकानें किराए पर ली. यहां पर एक्सपायर दवाओं को पैकिंग करने का काम शुरू किया. इसके बाद इन दवाओं को अपने नेटवर्क के जरिए डेढ़ साल में बाजार में खपाकर आवास विकास कॉलोनी सेक्टर-8 में तीन मंजिला मकान बनवा लिया. 20 लाख रुपये की लग्जरी गाड़ी खरीद ली.

जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़
औषधि विभाग और पुलिस की छानबीन में खुलासा हुआ है कि, राजौरा बंधु प्रदीप और धीरज किलो के हिसाब से एक्सपायर दवाओं को खरीदते थे. फिर रीपैकिंग कराते थे. औषधि निरीक्षक नरेश मोहन दीपक ने बताया कि मंगलवार को राजौरा बंधु प्रदीप और धीरज के साथ ही हिरासत में लिए गए सौरभ शर्मा से पूछताछ की गई. पूछताछ में अवैध दवाओं के कारोबार के बारे में तमाम सबूत मिले हैं. जिनके आधार पर इनके नेटवर्क को खंगाला जा रहा है. प्रदीप और धीरज लगातार सौरभ के यहां से दवाओं की रीपैकिंग कराकर जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे थे. पूछताछ में आरोपियों ने यह कबूला भी है.

20 रुपये में तैयार होती थी स्ट्रिप
औषधि निरीक्षक नरेश मोहन दीपक ने बताया कि, पूछताछ में धीरज राजौरा ने खुलासा किया कि, दवाओं की एक स्ट्रिप महज 20 से 25 रुपये में तैयार होती थी. इस स्ट्रिप को 400 रुपये में डॉक्टरों को बेचा जाता था. इस स्ट्रिप के ऊपर 799 रुपये की एमआरपी प्रिंट होती थी. इसी रेट पर डॉक्टर मरीजों को इस स्ट्रिप को बेचते थे. सौरभ का कहना है कि, प्रदीप राजौरा उसके पास दवाओं के साथ ही एलमुनियम की फाइल भी लेकर आता था. इससे ही वह प्रिंटिंग करता था. प्रदीप राजौरा ने सभी फर्म फर्जी बना रखी हैं.

संपत्ति का ब्योरा खंगाल रही पुलिस
एसपी सिटी रोहन पी बोत्रे का कहना है कि, राजौरा बंधुओं की संपत्ति का ब्यौरा जुटाया जा रहा है. उनके बैंक खातों का पता करके उनकी डिटेल खंगाली जा रही है. कहां-कहां से बैंक खातों में रुपये आते थे. इससे अवैध और नकली दवाओं के नेटवर्क का खुलासा हो सकता है. इसके साथ ही उनसे जुड़े नेटवर्क को खंगालने के लिए दोनों के मोबाइल की कॉल डिटेल भी खंगाली जा रही है.

आगराः फलों का काम करने वाले राजौरा ब्रदर्स डेढ़ साल में एक्सपायरी दवाओं की रीपैकिंग करके करोड़पति बन गए हैं. तीन मंजिला मकान और लग्जरी कार में चलने से पड़ोसी भी हैरान थे. सोमवार को पुलिस और औषधि विभाग की छापेमारी से राजौरा ब्रदर्स प्रदीप और धीरज की करतूत सबके सामने आई. औषधि विभाग की टीम ने छानबीन के बाद मंगलवार शाम 30 घंटे बाद राजौरा बंधु प्रदीप और धीरज के साथ मथुरा में दवाओं की पैकिंग करने वाले सौरभ शर्मा को गिरफ्तार किया है. तीनों के खिलाफ सिकंदरा थाना में एफआईआर दर्ज कराने के लिए तहरीर दी है.

यह था मामला
औषधि विभाग और पुलिस की टीमों ने सोमवार को शासन के आदेश पर आवास विकास कॉलोनी सेक्टर-12 स्थित सत्यम प्लाजा में राजौरा डिस्ट्रीब्यूटर्स के यहां छापा मारा. औषधि टीम में आगरा, बागपत, बुलंदशहर, हाथरस, फिरोजाबाद और बिजनौर के औषधि निरीक्षक शामिल रहे. मथुरा में भी छापेमारी हुई, जहां से लाखों रुपये की अवैध दवा का जखीरा सील किया. दर्जनों सैंपल लिए गए. राजौरा डिस्ट्रीब्यूटर्स के संचालक प्रदीप और धीरज के साथ ही मथुरा से सौरभ को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई.

डेढ़ साल में बन गए करोड़पति
आगरा के औषधि निरीक्षक नरेश मोहन दीपक ने बताया कि, डेढ़ साल पहले तक राजौरा बंधुओं के पिता सिकंदरा मंडी में फल का काम करते थे. प्रदीप ने बीबीए किया है. धीरज बीएससी पास है. इसके बाद दोनों ने डेढ़ साल पहले आवास विकास कॉलोनी के सेक्टर-12 में स्थित सत्यम प्लाजा मार्केट में 2 दुकानें किराए पर ली. यहां पर एक्सपायर दवाओं को पैकिंग करने का काम शुरू किया. इसके बाद इन दवाओं को अपने नेटवर्क के जरिए डेढ़ साल में बाजार में खपाकर आवास विकास कॉलोनी सेक्टर-8 में तीन मंजिला मकान बनवा लिया. 20 लाख रुपये की लग्जरी गाड़ी खरीद ली.

जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़
औषधि विभाग और पुलिस की छानबीन में खुलासा हुआ है कि, राजौरा बंधु प्रदीप और धीरज किलो के हिसाब से एक्सपायर दवाओं को खरीदते थे. फिर रीपैकिंग कराते थे. औषधि निरीक्षक नरेश मोहन दीपक ने बताया कि मंगलवार को राजौरा बंधु प्रदीप और धीरज के साथ ही हिरासत में लिए गए सौरभ शर्मा से पूछताछ की गई. पूछताछ में अवैध दवाओं के कारोबार के बारे में तमाम सबूत मिले हैं. जिनके आधार पर इनके नेटवर्क को खंगाला जा रहा है. प्रदीप और धीरज लगातार सौरभ के यहां से दवाओं की रीपैकिंग कराकर जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे थे. पूछताछ में आरोपियों ने यह कबूला भी है.

20 रुपये में तैयार होती थी स्ट्रिप
औषधि निरीक्षक नरेश मोहन दीपक ने बताया कि, पूछताछ में धीरज राजौरा ने खुलासा किया कि, दवाओं की एक स्ट्रिप महज 20 से 25 रुपये में तैयार होती थी. इस स्ट्रिप को 400 रुपये में डॉक्टरों को बेचा जाता था. इस स्ट्रिप के ऊपर 799 रुपये की एमआरपी प्रिंट होती थी. इसी रेट पर डॉक्टर मरीजों को इस स्ट्रिप को बेचते थे. सौरभ का कहना है कि, प्रदीप राजौरा उसके पास दवाओं के साथ ही एलमुनियम की फाइल भी लेकर आता था. इससे ही वह प्रिंटिंग करता था. प्रदीप राजौरा ने सभी फर्म फर्जी बना रखी हैं.

संपत्ति का ब्योरा खंगाल रही पुलिस
एसपी सिटी रोहन पी बोत्रे का कहना है कि, राजौरा बंधुओं की संपत्ति का ब्यौरा जुटाया जा रहा है. उनके बैंक खातों का पता करके उनकी डिटेल खंगाली जा रही है. कहां-कहां से बैंक खातों में रुपये आते थे. इससे अवैध और नकली दवाओं के नेटवर्क का खुलासा हो सकता है. इसके साथ ही उनसे जुड़े नेटवर्क को खंगालने के लिए दोनों के मोबाइल की कॉल डिटेल भी खंगाली जा रही है.

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