आगराः विधानसभा क्षेत्र एत्मादपुर के थाना खंदौली को अंग्रेजों के जमाने में सन 1873 में यानी 147 साल पहले बनाया गया था. थाना खंदौली की बिल्डिंग एवं पुलिसकर्मियों के आवासों को गिराने के लिए टेंडर पास होने के बाद बिल्डिंग गिराने का काम तेजी से शुरू हो गया है. थाना खंदौली की बिल्डिंग की स्थिति ठीक न होने पर अधिकारियों ने थाना परिसर का दौरा किया था और उसका निरीक्षण किया था. नई बिल्डिंग बनाने के लिए पुरानी बिल्डिंग को गिराने हेतु टेंडर फिरोजाबाद की फार्म ने 3.55 लाख रुपये में लिया है. बिल्डिंग को गिराने का काम तेजी से चल रहा है. वहीं पुरानी बिल्डिंग से निकली ईट व टेल ठेकेदार द्वारा नई के भाव में बिक्री की जा रही है.
- अब अंग्रेजों के जमाने की बैरक में नहीं अत्याधुनिक बैरक में रहेंगे पुलिसकर्मी.
- 147 साल पुरानी थाना खंदौली की इमारत ढहाई, जल्द होगा नया निर्माण.
- 1873 में अंग्रेजों ने तहसील के लिए बनाई थी बिल्डिंग.
- पुरानी बिल्डिंग में लगी ईंटों और टेल की नए के भाव में हो रही हैं बिक्री.
अंग्रेजों के जमाने में बनी थी थाना खंदौली की बिल्डिंग
थाना प्रभारी एवं पुलिसकर्मियों के जर्जर हो चुके आवासों को गिराने का काम फिरोजाबाद के ठेकेदार अख्तर हुसैन की फर्म कर रही है. अख्तर हुसैन ने 3.55 लाख में ठेका लिया है. वहीं ठेकेदार ने बिल्डिंग को एक दूसरे ठेकेदार मोहम्मद साकिर को दे दिया है. बिल्डिंग व आवासों को गिराने का काम तेजी से चल रहा है. बिल्डिंग में लगी लकड़ी की सोट, ईंट व टेल बहुत ही मजबूत निकल रही है. ठेकेदार द्वारा ईंट व टेल 4500 से 5500 प्रति हजार रुपये में बेची जा रही है.
थानाध्यक्ष के पास नहीं है आवास
थाने में तैनात पुलिसकर्मी आवास न होने के चलते परेशान हैं. दारोगा ही नहीं थाना प्रभारी के पास भी आवास नहीं है. 2003 में तत्कालीन थाना प्रभारी उमेश चंद्र चतुर्वेदी पर पूजा के दौरान छत का लैंटर भरभरा कर गिर गया था, लेकिन उन्हें और उनके पूरे परिवार को खरोच भी नहीं आई थी. तब से लेकर आज तक किसी भी थाना प्रभारी के पास आवास नहीं है. थाना प्रभारी बैरक में बने एक कमरे में निवास करते हैं.
महिला पुलिस के लिए आवास तो छोड़ शौचालय तक नहीं
थाने में एक महिला दारोगा सहित दस महिला पुलिसकर्मी तैनात हैं. इनको आवास तो बहुत दूर की बात है. इनके लिए शौचालय तक नहीं बनवाया गया था.